
Cyber Crime: इंदौर (Indore) की 62 साल महिला से 31.64 लाख रुपये की साइबर ठगी के मामले में अदालत से बरी होने के सात महीने बाद नाइजीरिया के एक नागरिक को 28 फरवरी को उसके मुल्क भेजा जाएगा. पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
नहीं था भारत में रहने का कोई दस्तावेज
अधिकारी ने बताया कि जुलाई 2023 में दोषमुक्ति के कारण जेल से रिहाई के बावजूद नाइजीरियाई नागरिक ओबिन्ना विज्डम चिमेजी (30) को स्थानीय पुलिस ने अपनी निगरानी में रखा क्योंकि उनके पासपोर्ट और भारतीय वीजा, दोनों की मियाद काफी पहले खत्म हो चुकी थी यानी उनके पास भारत में रहने की अनुमति का कोई भी वैध दस्तावेज नहीं था.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने संवाददाताओं को बताया कि भारतीय एजेंसियों द्वारा नाइजीरियाई दूतावास से तालमेल के बाद जरूरी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी की गई है और चिमेजी को 28 फरवरी को उसके देश भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि साइबर ठगी के मामले में अदालत में जुर्म साबित न होने के कारण जेल से रिहाई के बाद चिमेजी को निगरानी की दृष्टि से एमजी रोड थाने में रखा गया था.
2021 में किया गया था गिरफ्तार
पुलिस के साइबर दस्ते के एक अधिकारी ने बताया कि चिमेजी को इंदौर की 62 वर्षीय महिला से 31.64 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले में अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया था.
उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष का आरोप था कि चिमेजी ने इंदौर की महिला से फर्जी पहचान वाले सोशल मीडिया खाते के जरिये संपर्क किया था और इसके कुछ वक्त बाद उसे ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाते हुए उससे अलग-अलग किश्तों में कुल 31.64 लाख रुपये बैंक खातों में जमा करा लिए गए थे.
कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर करता था ठगी
अधिकारी ने बताया कि अभियोजन का आरोप था कि चिमेजी उस ठग गिरोह का सदस्य है जो खासकर महिलाओं को कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर ऑनलाइन झांसा देता है कि उनके नाम भेजी गई विदेशी मुद्रा और उपहारों पर सीमा शुल्क बकाया है और इसकी अदायगी न होने पर उन्हें मोटा जुर्माना चुकाना होगा. बहरहाल, अभियोजन पक्ष चिमेजी के खिलाफ लगाए गए आरोप एक स्थानीय अदालत में साबित नहीं कर सका और अदालत ने उन्हें 10 जुलाई 2023 को बरी कर दिया था.
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