NDTV Exclusive Ground Report: शिवपुरी (Shivpuri) शहर से लगभग 4 किलोमीटर के दायरे में मौजूद संख्या सागर झील (Sankhya Sagar Lake) और जाधव सागर तालाब (Jadhav Sagar) में कई बरसों से बड़े-बड़े मगरमच्छों (Big Crocodiles) का बसेरा था, लेकिन मगरमच्छों की बदनसीबी कहिए या सिस्टम की घोर लापरवाही. इन दोनों ही तालाबों पर जलकुंभी (Water Hyacinth) ने अपना कब्जा जमा लिया और अब यहां रहने वाले हजारों मगरमच्छों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है यह मगरमच्छ इन तालाबों से निकलकर शहर से गुजरने वाले गंदे से नाले में पहुंच गए हैं और इनकी संख्या यहां हजारों की तादाद में बताई जाती है, आसपास के लोग खेती करते हैं, लेकिन खतरा हमेशा बरकरार रहता है. जानकार बताते हैं कि जल्द अगर मगरमच्छों का रेस्क्यू (Crocodile Rescue) नहीं किया गया, तो गर्मी आते-आते यह नाला भी सूख जाएगा और मगरमच्छों के जीवन पर बड़ा संकट गहराने लगेगा.
मगरमच्छों को बचाने के लिए हमारा सिस्टम कब हरकत में आएगा?
झील-तालाब जलकुंभी से पटे पड़े हैं. यही वजह है कि हजारों मगरमच्छ आज बेहद गंदे नाले में किसी तरह रहकर अपने जीवन से संघर्ष करते हुए इंसानों से यह सवाल पूछ रहे हैं कि इस धरती पर क्या उनका कोई अधिकार नहीं? जैसे ही एनडीटीवी (NDTV) को इसकी खबर लगी एनडीटीवी ने मौके पर जाकर पड़ताल करना बेहतर समझा और जान जोखिम में डालकर हमारी टीम वहां पहुंची, टीम के साथ एक एक्सपर्ट को भी अपने साथ हमने रखा था.
अगर प्रशासन नहीं जागा तो शहरवासियों के लिए खतरा बन सकते हैं भूखे मगरमच्छ
शिवपुरी में हजारों की संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं, लेकिन जलकुंभी की वजह से तालाब सिकुड़ रहे हैं. अब यह भूखे मगरमच्छ इधर-उधर डेरा डालकर अपने जीवन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अगर ये भूख मिटाने में कामयाब नहीं हुए तो यह शहरवासियों के लिए खतरा बनकर मंडराने लगेंगे और शहर में घुसने पर मजबूर हो जाएंगे. एनडीटीवी समय रहते प्रशासन को सजग कर रहा है कि अगर जल्द ही इन भूखे मगरमच्छों को रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित जगह शिफ्ट नहीं किया गया तो यह शहर और शहारवासी दोनों के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं.
जल, जंगल और जमीन की बात करती है सरकार, फिर क्यों नहीं सुनती इनकी 'गुहार'
सरकारी कार्यक्रमों में सरकार आए दिन जल (Water), जंगल (Forest) और जमीन (Land) को सुरक्षित बनाने की बातें करती है लेकिन जल, जंगल और जमीन के इस खेल में कहीं ना कहीं मगरमच्छों के 'तड़प' और 'पुकार' खो गई है. वैसे तो शिवपुरी में ना जंगल सुरक्षित हैं ना ही जल और जमीन. ऐसे में अगर वन्य जीव संकट में हो तो वह अपनी फरियाद किसे सुनाएं?
नालों के सूखने के बाद शहरों पर बढ़ सकता है संकट
जानकार बता रहे हैं कि अगर समय रहते इन मगरमच्छों को यहां से रेस्क्यू नहीं किया गया तो नालों के सूखते ही यह बड़ी संख्या में शहर में बढ़ते हुए दिखाई देंगे. ऐसा नहीं है कि आज यह मगरमच्छ शहर नहीं पहुंचते, आज भी ये कई बार शहर में घुस जाते हैं, जिससे दहशत फैलती है. इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया (Social Media) की सुर्खियां बन चुकी हैं, बावजूद इसके वन प्रशासन के आला अधिकारी (Forest Officers) और जिम्मेदार इस तरह ध्यान नहीं दे रहे हैं.
भूख से हमलावर हो सकते हैं मगरमच्छ
एनडीटीवी ने इस खबर की हर पहलू से पड़ताल की है. जानकारों से बात करने पर पता लगा कि अब कहीं ना कहीं ये मगरमच्छ भोजन के अभाव में भूख से तड़पते हुए नजर आने लगे हैं. अगर बंद प्रशासन ने जल्द ही कोई इंतजाम नहीं किया तो यह मगरमच्छ न केवल आदमखोर हो सकते हैं बल्कि बहुत खतरनाक हमलावर भी साबित हो सकते हैं.
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
नेशनल पार्क डायरेक्टर (National Park Director) उत्तम कुमार शर्मा ने NDTV को बताया कि हम लगातार कोशिश कर रहे हैं और हम इन मगरमच्छों पर नजर भी रख रहे हैं. जल्द ही इन मगरमच्छों को रेस्क्यू कर मणिखेड़ा तालाब में छोड़ने का इंतजाम किया जाएगा. हालांकि आगे देखना दिलचस्प होगा कि आखिर वन विभाग अपनी नजर किस तरह से मगरमच्छों पर बनाए हुए है. लेकिन NDTV की आपसे यही गुजारिश है कि सावधान और सतर्क रहें.
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