MP Information Department: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) निवासी अधिवक्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में याचिका दायर कर बताया कि उनके द्वारा मंत्रालय वल्लभ भवन स्वास्थ्य विभाग में एक आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत ऑनलाइन दाखिल किया था, जिसमें जबलपुर में हुए न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड (New Life Hospital Aagnikaand) में संभागायुक्त की कमेटी से कराई गई जांच की रिपोर्ट की कॉपी मांगी गई थी. विशाल बघेल के RTI आवेदन पर मंत्रालय द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई. जिसके चलते आवेदक ने अधिनियम की धारा 19 के तहत प्रथम अपील वरिष्ठ अधिकारी को पेश की. लेकिन, अधिकारियों द्वारा प्रथम अपील की भी सुनवाई नहीं की गई. इसके बाद दूसरी अपील 21 सितंबर 2023 को दाखिल की गई. लेकिन, उसका भी जवाब नहीं मिल पाया.
एक साल बाद भी नहीं हुआ निवारण
राज्य सूचना आयोग द्वारा विशाल बघेल की अपील का निराकरण लगभग एक साल से नहीं किया गया है. एमपी सूचना का अधिकार फीस और अपील नियम के अनुसार दूसरी अपील का निराकरण 180 दिनों में किया जाना अनिवार्य होता है. याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में दलील दी गई कि उसकी अपील का निराकरण इसलिए नहीं हो रहा है, क्योंकि मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में वर्तमान में एक भी आयुक्त पदस्थ नहीं है और पूरा आयोग पांच माह से एक भी सूचना आयुक्त ना होने से बंद पड़ा है. जिससे अपीलार्थी परेशान हो रहे हैं और हजारों अपील पेंडिंग हैं.
राज्य सरकार को जारी हुआ नोटिस
हाईकोर्ट की जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने याचिका में राज्य शासन को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं और मामले की अगली सुनवाई अब 23 सितंबर को करने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के 10 पद स्वीकृत हैं. लेकिन, सभी पदों पर नियुक्त आयुक्त के सेवानिवृत हो जाने के बाद सरकार द्वारा दोबारा नियुक्ति नहीं की जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा वर्ष पिछले तीन सालों में तीन बार विज्ञापन जारी कर सूचना आयुक्त के पदों पर आवेदन मंगाए थे. लेकिन, नियुक्तियां नहीं की गई.
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सीएम की खास कमेटी का रहता है अहम रोल
गौरतलब है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के प्रावधान अनुसार राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की जाती है. जिसमें नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक अन्य कैबिनेट मंत्री भी समिति में शामिल होते हैं.
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