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This Article is From May 10, 2024

MP News: कांग्रेस को इंदौर में लगा 'सुप्रीम' झटका, वैकल्पिक उम्मीदवार मोती सिंह भी नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

Moti Singh Patel: पटेल ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के सामने रिट याचिका लगाई. जिसे कोर्ट ने 4 मई को खारिज कर दिया. इसके बाद मोती सिंह पटेल ने 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई जिसकी सुनवाई आज 10 मई को हुई.

MP News: कांग्रेस को इंदौर में लगा 'सुप्रीम' झटका, वैकल्पिक उम्मीदवार मोती सिंह भी नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
Madhya Pradesh: कांग्रेस को एक और झटका लगा है

Lok Sabha Election 2024: चौथे चरण के चुनाव (4 Phase Voting) से पहले इंदौर (Indore) में कांग्रेस (Congress) की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार मोती सिंह पटेल (Moti Singh Patel) की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा- अब समय नहीं है, 13 को चुनाव है और 11, 12 को शनिवार, रविवार है. दरअसल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चौथे चरण में 8 लोकसभा सीटों (Lok Sabha Seat) पर चुनाव होने हैं. इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok sabha Seat) पर भी इस दिन ही वोटिंग होनी है. बता दें कि बीते दिनों कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने इंदौर से नामांकन वापस  लिया था. जिसके कारण पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार मोती सिंह पटेल ने  सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. 

मोती सिंह पटेल ने भी भरा था पर्चा

दरअसल कांग्रेस को डर था कि कहीं सूरत की तरह इंदौर में भी प्रत्याशी अक्षय बम का नामांकन निरस्त ना हो जाए. इसके लिए कांग्रेस ने एहतियात बरतते हुए सब्स्टीट्यूट(वैकल्पिक) प्रत्याशी के रूप में किसान नेता मोती सिंह पटेल का नामांकन करवाया था. 26 अप्रैल को फॉर्म की जांच में मोती सिंह पटेल का फॉर्म यह कारण देते हुए निरस्त कर दिया गया कि कांग्रेस के मुख्य प्रत्याशी अक्षय बम का फॉर्म मान्य पाया गया है तो आपका फॉर्म अपने आप निरस्त होता है और आपके फॉर्म में 10 प्रस्तावक के साइन भी नहीं है. यहां एक बात गौर करने लायक है कि 10 प्रस्तावक निर्दलीय फॉर्म में लगते हैं और मोती सिंह पटेल ने पार्टी से फॉर्म भरा था.

रिट लगातार कांग्रेस प्रत्याशी बनाने की मांग की

इसके बाद जब अक्षय बम ने 29 अप्रैल को नामांकन वापस लिया. उसी दिन मोती सिंह पटेल ने रिटर्निंग ऑफिसर के सामने आवेदन देकर उन्हें कांग्रेस का चिन्ह देने की मांग की, क्योंकि सब्स्टीट्यूट प्रत्याशी का यह अधिकार है की वह मुख्य प्रत्याशी के नामांकन निरस्त होने पर या उसके द्वारा नाम वापस लिए जाने पर स्वतः पार्टी का मुख्य प्रत्याशी बन जाएगा.

इसके बाद अगले दिन 30 अप्रैल को ही मोती सिंह पटेल ने हाई कोर्ट में रिट याचिका लगाकर उन्हें कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित करने की मांग की थी, जिसके जवाब में कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि फॉर्म में 10 प्रस्तावक नहीं है और आपका फॉर्म पहले ही रिजेक्ट हो चुका है. इसलिए आप रेस में ही नहीं हैं. इसलिए ये याचिका खारिज की जाती है.

इसके बाद 2 मई को पटेल ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के सामने रिट याचिका लगाई. जिसे कोर्ट ने 4 मई को खारिज कर दिया. इसके बाद मोती सिंह पटेल ने 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई जिसकी सुनवाई आज 10 मई को हुई. लगभग 8 मिनट तक बहस चली. जिसमें कोर्ट ने कहा कि आप लेट हो गए हो, डाक मत पत्र की वोटिंग हो चुकी है. साथ ही बीच में शनिवार, रविवार का अवकाश है और सोमवार को चुनाव हैं, ऐसे में चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दे सकते.

इन सवालों के कब मिलेंगे जवाब

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मोतीमसिंह पटेल के वरिष्ठ वकील रवि शंकर और वकील वरुण चोपड़ा द्वारा उठाए गए बिंदुओं से सहमत होकर विधि के प्रश्न को खुला रखा है जिसमे 10 प्रस्तावक नहीं होने पर फॉर्म निरस्त होना चाहिए या नहीं? मुख्य प्रत्याशी द्वारा नाम वापसी पर वैकल्पिक प्रत्याशी स्वतः पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनेगा या नहीं? क्या वैकल्पिक प्रत्याशी के नामांकन की दो बार जांच होनी चाहिए या नहीं, आदि विधिक बिंदु शामिल हैं.

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