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फिंगर लगाकर खाद देने के आदेश के बाद भी ऑपरेटर कर रहा 'खेल'! आखिर क्यों पर्ची के पीछे लिख रहे हैं कोड

ये मामला मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराज नगर का है. यहां ऑपरेटर अपनी मनमानी पर उतारू है. बताया जाता है कि यहां पीओएस मशीन से ज्यादा मात्रा का स्लिप ऑपरेटर निकाल लिया जाता है. इसके बाद पर्ची के पीछे किसानों को दी जाने वाली मात्रा दर्ज कर दी जाती है. इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है, जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है.

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फिंगर लगाकर खाद देने के आदेश के बाद भी ऑपरेटर कर रहा 'खेल'! आखिर क्यों पर्ची के पीछे लिख रहे हैं कोड

रबी की फसल बोनी के बाद किसान यूरिया की डिमांड करने लगे हैं. वहीं, इस मांग के बीच मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारियों ने फर्जीवाड़े का अजब-गजब तरीका ढूंढ निकाला है. यहां पीओएस मशीन में किसानों के फिंगर मिलान नहीं होने की आड़ लेकर दूसरे किसानों के नाम पर अधिक मात्रा की पर्ची पीओएस मशीन से काटी जा रही है. बाद में पीओएस मशीन से काटी गई पर्ची के पीछे पेन से खाद और यूरिया की कम मात्रा लिखकर उन्हें खाद देकर चलता कर दिया जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अधिक मात्रा का पैसा कौन जमा कर रहा है. क्या किसानों के नाम पर व्यापारियों की ओर से कोई बड़ा खेल किया जा रहा है? वहीं, इस मामले में विभागीय अधिकारी किसानों से शिकायत नहीं मिलने की बात कहकर मामले को रफा दफा कर रहे हैं.

मामला मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराज नगर का है. यहां ऑपरेटर अपनी मनमानी पर उतारू है. बताया जाता है कि यहां पीओएस मशीन से ज्यादा मात्रा का स्लिप ऑपरेटर निकाल लेता है. इसके बाद पर्ची के पीछे किसानों को दी जाने वाली मात्रा दर्ज कर दी जाती है. इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है, जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है.

केस-1

रामनगर के देवदहा निवासी ब्रजलाल सिंह वैस के नाम पर यूरिया की पर्ची पीओएस मशीन से काटी गई. पीओएस मशीन में 20 बोरी दर्ज की गई. जिसका रेट 5330 रुपए हुआ. वहीं, इसी पर्ची के पीछे पेन से तीन बोरी यूरिया हाथ से लिखकर दिया गया. इस पर्ची में दर्ज 17 बोरी यूरिया कहां गई? किन किसानों के नाम पर इसका अर्जेस्टमेंट किया गया? ऐसे में सवाल पैदा होता है, क्या ऑपरेटर किसी प्राइवेट दुकान से मिलीभगत कर यह खेल तो नहीं खेल रहा है.

केस-2

गोरहाई के किसान भी देवराज नगर के विपणन संघ खाद लेने पहुंचे थे. उन्हें भी तीन बोरी खाद की जरूरत थी. उनके नाम पर 15 बोरी खाद की पर्ची निकाली गई. पर्ची के पीछे तीन बोरी हाथ से लिखी कई. इनकी 12 बोरी खाद कहां चली गई? किस किसान का फिंगर नहीं मिला, इसके बारे में कोई भी जानकारी न तो विभाग के अधिकारी को है और न ही किसी अन्य को.

केस-3

गैलहरी के किसान रमाकांत पटेल भी खाद लेने के लिए पहुंचे थे. इनके नाम पर भी 15 बोरी यूरिया की पर्ची निकाली गई. जबकि उन्हें खाद मात्र तीन बोरी दी गई. उनसे पैसा कितना लिया गया, यह तो स्पष्ट नहीं हो सका, लेकिन पर्ची के पीछे लिखी तीन बोरी की मात्रा यह बताती है कि यहां भी कुछ खेल जरूर हुआ है.

बाजार में खाद खपाने की आशंका

जिस प्रकार से मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराज नगर के ऑपरेटर द्वारा पर्ची अधिक की काटी जाती है और खाद कम दी जा रही है, उससे आशंका यही है कि यह खाद बाजार में खपाई जा रही है. नाम न छापने की शर्त पर किसानों ने बताया कि यह पूरा खेल किसानों के नाम पर इसलिए किया जा रहा है कि इसको जांच में कोई पकड़ नहीं सके. अब यहां देखना होगा कि क्या विभाग के अधिकारी ऑपरेटर से इस बात की पुष्टि करेंगे कि फिंगर न मिलने वाले कितने किसान उनके पास पहुंचे और वे इस बात को कैसे प्रमाणित करेंगे?

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क्या है ऑपरेटर की दलील

वहीं, इस पूरे मामले पर मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराज नगर के ऑपरेटर आनंद बहोर द्विवेदी का अपना ही दावा है. उन्होंने कहा कि वे फिंगर मिलान नहीं होने वाले किसानों की सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं. ऐसे में इस बात का प्रमाण लिया जाना चाहिए कि फिंगर मिलान नहीं होने वाले कितने किसान उनके पास पहुंचे. जब यहां अधिकांश किसान दो से तीन बोरी यूरिया ले रहे हैं, तो फिंगर न मिलान होने वाले किसानों को ही 17 और 12 बोरी यूरिया की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

इनका कहना है

वहीं, पूरे मामले पर रामनगर एसएडीओ विष्णु त्रिपाठी ने कहा है कि पीओएस मशीन से ही खाद किसानों को दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं. कलम से लिखना पूरी तरह से अनुचित है. जैसा बताया जा रहा है, वैसी शिकायत किसी किसान की ओर से नहीं की गई. अगर, ऐसा हो रहा है, तो इस मामले की जांच कराई जाएगी.

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