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NDTV की खबर का असर : मटर किसानों को फर्जी पर्ची थमाने के बाद अधिकारी को नोटिस, मुआवजे से बच रही है सरकार!

Madhya Pradesh News : 30 हजार बोरी मटर के लिए ₹700 प्रति बोरी मुआवजा देने की घोषणा की गई और कृषि उपज मंडी बोर्ड की मुआवजा पर्ची जारी कर दी गई, इसके बाद किसान पूरी तरह आश्वस्त होकर लौट गए कि उन्हें उनकी फसल का जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा सरकार के द्वारा दिया जाएगा, लेकिन जब इस धोखाधड़ी की पर्ची की कहानी खुलनी शुरू हुई तो पता चला कि इस तरह का मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है.

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NDTV की खबर का असर : मटर किसानों को फर्जी पर्ची थमाने के बाद अधिकारी को नोटिस, मुआवजे से बच रही है सरकार!
जबलपुर:

Madhya Pradesh Latest News : कृषि उपज मंडी जबलपुर (Krishi Upaj Mandi Jabalpur) और शहपुरा-सहजपुर में मटर किसानों (Farmers) के द्वारा किए गए बंद और चक्का जम के बाद किसानों को ₹700 प्रति बोरी मुआवजा दिए जाने की खबर एनडीटीवी (NDTV) में चलने के बाद जबलपुर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा है. एनडीटीवी ने अपनी खबर में बताया था कि कृषि उपज मंडी बोर्ड (Krishi Upaj Mandi Board), जिला प्रशासन (District Administration) और जिला पंचायत (Jila Panchayat) के पास मटर का मुआवजा देने का कोई प्रावधान ही नहीं है. उसके बाद भी 30 हजार बोरी मटर के लिए ₹700 प्रति बोरी मुआवजा देने की घोषणा की गई और कृषि उपज मंडी बोर्ड की मुआवजा पर्ची जारी कर दी गई, इसके बाद किसान पूरी तरह आश्वस्त होकर लौट गए कि उन्हें उनकी फसल का जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा सरकार के द्वारा दिया जाएगा, लेकिन जब इस धोखाधड़ी की पर्ची की कहानी तब खुलनी शुरू हुई जब पता चला कि इस तरह का मुआवजा देने का कोई प्रावधान ही नहीं है.

पर्ची कांड की जांच के लिए अपर संचालक मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड चंद्रशेखर वशिष्ठ जबलपुर आए थे. बाद में एक्शन लेते हुए पहले तो  कृषि उपज मंडी के सचिव राजेश सैयाम को कारण बताओ नोटिस जारी किया. उसके बाद विपणन बोर्ड के उपसंचालक एसके कुम्हरे को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में पूछा गया है कि आपके उपस्थिति के बाद भी यह लापरवाही किसने और क्यों की? क्यों ना आपके खिलाफ कार्यवाही की जाए?

कारण बताओ नोट बताओ नोटिस जारी कर मुआवजे से बच रही है सरकार

यह बात आसानी से समझ नहीं आती कि कृषि उपज मंडी के सचिव राजेश सैयाम बिना किसी उच्च अधिकारी के निर्देश लिए बिना पर्ची कैसे जारी कर सकते हैं? बताया जाता है कि किसानों के उग्र आंदोलन को देखते हुए राजेश सैयाम को उच्च अधिकारियों के द्वारा पर्ची जारी करने के मौखिक निर्देश दिए गए थे और यह समझा जा रहा था कि किसान अभी चले जाएं बाद में जो होगा देखा जाएगा, लेकिन एनडीटीवी ने जब इस खबर को प्राथमिकता से दिखाया तब जबलपुर से भोपाल तक अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया और जांच के लिए चंद्रशेखर वशिष्ठ को भोपाल से भेजा गया जो अपनी जांच प्रतिवेदन मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबन्ध संचालक को प्रस्तुत करेंगे.

ऐसा कहा जा रहा है कि दो अधिकारियों को नोटिस देकर और उसके बाद उन पर निलंबन जैसी कार्रवाई कर 600 मटर उत्पादक किसानों के 30 हजार बोरी मटर के मुआवजे को ठंडे बस्ती में डाल दिया जाएगा.

किसान संघ करेगा आंदोलन

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल ने NDTV से कहा कि जबलपुर जिला मटर का प्रमुख उत्पादक जिला है. एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत मटर का चयन किया गया है. जिसके लिये प्रशासन ने बढ़ चढ़कर प्रचार प्रसार कर किसानों को मटर उत्पादन के लिये प्रेरित किया. जिसके परिणाम स्वरूप जिले में मटर उत्पादक किसानों ने बंपर उत्पादन किया है. यह गंभीर बात है कि प्रशासन मटर की खरीदी व लाभकारी मूल्य दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे अन्यथा भारतीय किसान संघ मटर उत्पादक किसानों की मांगों को लेकर तीव्र आंदोलन करने के लिये बाध्य होगा.

क्या है गिरदावरी?

गिरदावरी दर्ज करने से आशय है कि किसान ने अपने खेत में कौन सी फसल लगाई है. जिसे पटवारी फील्ड निरीक्षण करने के बाद राजस्व रिकार्ड में दर्ज करता है. जब कभी प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से फसल में क्षति होती है तो शासन के रिकार्ड के अनुसार उस किसान के खेत में दर्ज फसल के अनुसार वह उस फसल को समर्थन मूल्य पर विक्रय करने का पंजीयन कराता है और इसी आधार पर फसल बीमा का क्लेम करने का हकदार होता है. 

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल ने जानकारी देते हुये बताया कि जबलपुर जिले में गिरदावरी में मटर को दर्ज नहीं किया जा रहा है. जबकि 40 हजार हैक्टेयर से भी अधिक रकबे में किसान मटर पैदा कर रहे हैं.

राघवेंद्र पटेल ने कहा कि जब तक गिरदावरी दर्ज नहीं होगी तब तक मटर उत्पादक किसानों की संख्या का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, जिससे शासकीय रिकार्ड में मटर उत्पादन भी शून्य ही होगा.

गिरदावरी न होने से नहीं मिलता है फसल बीमा और मुआवजा

गिरदावारी में मटर दर्ज न होने के कारण मटर उत्पादक किसानों को प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाली फसल नुकसान का मुआवजा नहीं मिलता है. दूसरी ओर गिरदावरी में सिर्फ और सिर्फ गेंहू व धान ही दर्ज किया जा रहा है. मटर दर्ज करने का कॉलम ही साफटवेयर में नहीं है. ऐसी स्थिति में पाला व ओला गिरने की स्थिति में मटर उत्पादक किसान फसल नुकसान के मुआवजे का हकदार नहीं बचता है. जिसके कारण किसान को नुकसान उठाना पड़ता है.

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