Pt. Khushilal Sharma Govt. (Autonomous) Ayurveda College and Institute Bhopal: मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों के लिए बड़ी ही गौरवांवित करने वाली खबर सामने आ रही है. जल्द ही एमपी की वर्षों पुरानी 30 से ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियों (Ayurvedic Medicines) का उपयोग देश भर में किया जाएगा. दरअसल आज से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज (Pandit Khushilal Sharma Ayurvedic College) में दो दिनों का सेमिनार शुरु हो रहा है. इस सेमिनार में देश के जाने-माने एक्सपर्ट्स इस विषय पर मंथन करेंगे, जिससे कि इन औषधियों के उपयोग की अनुमति दी जा सके. वैसे तो मध्य प्रदेश के ट्राइबल इलाकों में वर्षों से इन औषधियों का इस्तेमाल हो रहा है था, लेकिन एक्सपेरिमेंट और क्लिनिकल ट्रायल (Experiment and Clinical Trial) नहीं होने से आयुर्वेदिक फार्माकोपिया में इन औषधियों को शामिल नहीं किया जा सका है.
पहले आयुर्वेदिक फार्माकोपिया में शामिल किया जाएगा, उसके बाद उपयोग होगा
दो दिनों के इस सेमिनार में देश भर से एक्सपर्ट शामिल हो रहे हैं. ये एक्सपर्ट उन औषधियों पर हुई रिसर्च पर मंथन करेंगे जो चार जिलों में खोजी गई हैं. इसके साथ ही वे अपनी रिकमंडेशन भी देंगे, ताकि इनको आगे बढ़ाया जा सके. प्राप्त जानकारी के अनुसाी जल्द ही इन औषधियों का एक्सपेरिमेंटल और क्लीनिकल ट्रायल किए जाएंगे. ट्रायल इस दौर में अगर ये औषधियां कारगर पायी जाती हैं, तब ही इन औषधियों को लोगों पर उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. हालांकि उससे पहले इन औषधियों को आयुर्वेदिक फार्माकोपिया में शामिल किया जाएगा.
कौन सी औषधियां खोजी गईं?
मधुमेह में उपयोग के लिए दहीमन और मीठी पत्ती तो यूरीन इंफेक्शन में कारगर औषधि राजविहरी खोजी गई. जबकि घाव भरने के लिए कुब्बी व डंडोत्पला, एपीलेप्सी के लिए कटेली और जोड़ों के दर्द में उपयोग के लिए समरभंज को खोजा गया है.
कहां मिली हैं औषधियां?
मध्य प्रदेश के डिंडौरी में 11, शहडोल में 8, मंडला में 8 और अनूपपुर में 6 औषधियां मिली हैं.
30 लोगों की टीम ने 400 से ज्यादा औषधियों पर की रिसर्च
इस रिसर्च प्रोजेक्ट में 30 लोगों की टीम काम कर रही है. 6 फील्ड कॉर्डिनेटर की ओर से एक जिले में तीन महीने तक फील्ड में सर्वे किया गया. इन्होंने क्षेत्रीय वैद्य और परिवारों से संपर्क करते हुए 400 से ज्यादा औषधियों को खोज निकाला. ये ऐसी औषधियां हैं जिनका उपयोग किया जाता है.
संस्थान की ओर से बताया गया है कि अब इन्हीं औषधियों की पहचान करने की प्रक्रिया चल रही है, ट्रेडिशनल मैथेड और मॉर्डन नॉलेज दोनों के माध्यम से पहचान करके रिसर्च करने वाले इन औषधियाें को दुनिया के सामने रखना चाहते हैं. जिससे कि इनको भी भविष्य में मरीजों के उपयोग के लिए आयुर्वेदिक फार्माकोपिया में शामिल किया जा सके.
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