Madhya Pradesh News : बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) देते वक्त बीमा कंपनियां (Insurance companies) हजार वादे और दावे तो करती हैं, लेकिन क्लेम (Insurance Claim) देते वक्त तरह-तरह के बहाने बनाकर क्लेम राशि देने में आनाकानी की जाती है. ऐसे ही एक मामले में जिला उपभोक्ता आयोग (District Consumer Commission) ने बीमा कंपनी की सेवा में कमी के रवैये को आड़े हाथों लिया. आयोग ने श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेश दिया कि उपभोक्ता के हक में एक लाख 94 हजार 700 रुपये क्षतिपूर्ति राशि छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर सहित अदा करें. साथ ही साथ मानसिक पीड़ा के एवज में 19 हजार व मुकदमे का खर्च दो हजार भी भुगतान करने निर्देश दिया. आयोग ने स्पष्ट किया है कि दो महीने के अंदर इस आदेश का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो इस मामले में एक लाख रुपये का जुर्माना या तीन साल का कारावास या दोनों से दंंडित किया जा सकता है.
क्लेम न देने का बनाया था यह बहाना
इस मामले में कंपनी ने पालिसी धारक के अस्थमा से पीड़ित होने की बात का बहाना बनाया था. जिला उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन (Chairman of District Consumer Commission) नवीन कुमार सक्सेना व सदस्य सुषमा पटेल व मनोज कुमार मिश्रा की न्यायपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. जिसमें परिवादी एसबीआई कालोनी, जानकीनगर निवासी संतोष चौरसिया की ओर से अधिवक्ता अरुण जैन ने पक्ष रखा.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अरुण जैन ने एनडीटीवी को बताया कि बीमा कंपनी के द्वारा जब क्लेम ना देने के बहाने बनाए जाने लगे, तब यह कदम उठाया गया एवं उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की गई. कोर्ट में यह बताया गया कि हाइपरटेंशन, डायबिटीज और अस्थमा जैसे रोग एक बार हो जाने के बाद सदैव बने रहते हैं. वहीं जब बीमा कंपनी के द्वारा ही हेल्थ चेकअप कराया गया था तो उस दौरान भी बीमा कंपनी के डॉक्टर ने इस तरफ कोई इशारा नहीं किया. अधिवक्ता अरुण जैन ने कोर्ट को बताया कि बीमाधारी की मृत्यु का कारण भी अस्थमा नहीं था, उनकी मृत्यु किसी अन्य कारण से हुई है.
आयोग ने कैसे फैसला दिया?
आयोग ने पूर्व में दिए गए निर्णय एवं अधिवक्ता की बात से सहमति जताते हुए निर्णय दिया. बीमाधारक के परिजनों ने बीमा कंपनी के इस रवैये के विरुद्ध पहले अधिवक्ता के जरिए लीगल नोटिस जारी किया गया और बाद में परिवाद दायर कर न्याय की मांग की गई. आयोग ने कंपनी के इस रवैये को सेवा में कमी माना और कंपनी को ब्याज समेत क्लेम की राशि अदा करने का फैसला सुनाया है.
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