MP High Court: सिर्फ रसूख के लिए पुलिस की सुरक्षा (Police Protection) व्यवस्था हासिल करने के मामले में हाईकोर्ट काफी सख्त नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने अपात्र लोगों को दी गई पुलिस सुरक्षा के मामले में कठोर रवैया अपनाया है. नवल किशोर शर्मा द्वारा इस मामले में दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने गौर करते हुए राज्य शासन को नोटिस जारी किये हैं. सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि यह याचिका नवल किशोर शर्मा द्वारा दायर की गई थी.
याचिका में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि "ग्वालियर में पुलिस बल की कमी होने के बावजूद कई अपात्र लोगों की निजी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए जा रहे हैं." याचिकाकर्ता के वकील डीपी सिंह ने बताया कि पूर्व में उच्च न्यायालय द्वारा निजी व्यक्तियों को दी जाने वाली पुलिस सुरक्षा की समीक्षा के आदेश के बावजूद वर्तमान में कई लोग पुलिस सुरक्षा लिए घूम रहे हैं, जबकि वे इसके लिए पात्र नहीं हैं.
याचिका के अनुसार पुलिस सुरक्षा के नाम पर शासन का लाखों रुपए खर्च हो रहा है जबकि कई लोग पुलिस सुरक्षा की पात्रता में भी नहीं आते हैं. इस मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने इसे जनहित का मामला मानते हुए राज्य शास को नोटिस जारी करते चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है.
पहले भी सुरक्षा पर उठ चुके हैं सवाल
इससे पहले भी उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में महलगांव मंदिर के महंत परिवार से जुड़े जमीन कारोबारी संजय शर्मा और दिलीप शर्मा को दी गई सुरक्षा पर पात्रता की बात उठ चुकी है. तब न्यायालय ने पुलिस सुरक्षा को लेकर सुनवाई के दौरान ने सख्त सख्त टिप्पणी की थी. न्यायालय ने माना था कि अपात्र व्यक्तियों को इस तरह पुलिस सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए. साथ ही कोर्ट ने दिलीप और संजय पर सुरक्षा के नाम पर हुई दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा कराने के आदेश दिए थे जिसकी वसूली की प्रक्रिया अभी भी चल रही है.
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