
MP Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनाव परिणामों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. 17 नवबंर को मतदान के बाद से अब सभी की नजर रिजल्ट पर है. हालांकि, अब रिजल्ट के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. क्योंकि 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम पता चल जाएगा. हालांकि, कांग्रेस मतदान के बाद से EVM को लेकर चिंता जाहिर कर रही है और इसकी पहरेदारी भी करा रही है. लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस को एक और डर सता रहा है. शायद इसी वजह से कांग्रेस नेता कमलनाथ ने पार्टी के सभी 230 प्रत्योशियों की बैठक बुलाई है. वैसे तो इस बैठक को लेकर कहा गया है कि, ये एक ट्रेनिंग कैंप हैं जिसमें उम्मीदवारों को मतगणना सबंधित जानकारी दी जाएगी. लेकिन 26 नवंबर को होने वाली इस बैठक के मायने कुछ और ही हैं.
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि, इस बार भी मध्य प्रदेश में साल 2018 जैसे परिणाम देखने को मिल सकते हैं. जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों को बहुमत हासिल नहीं हुआ था. ऐसे में कांग्रेस को इसी बात का डर सता रहा है कि, अगर ऐसे परिणाम आए तो बीजेपी फिर से ऑपरेशन लोटस चला सकती है.
ऐसा था साल 2018 चुनाव के परिणाम
कांग्रेस-114 सीटें
बीजेपी-109 सीटें
बसपा-2 सीटें
सपा-1 सीट
निर्दलीय-4 सीटें
साल 2018 में परिणाम आने के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया था. इसमें निर्दलीय विधायकों ने अहम भूमिका निभाई थी और कांग्रेस के साथ आकर सरकार का गठन किया था. लेकिन 15 महीने बाद 2020 ही पूरी तस्वीर बदल गई और कांग्रेस की सरकार तब धरासाही हो गई. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत की और सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस के पास 92 विधायक बचे थे और कांग्रेस की बहुमत छिन गई थी. इसके बाद जब उपचुनाव हुआ तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई थी और बीजेपी बहुमत में आ गई. सिंधिया और उनके खेमे के सभी नेता आज बीजेपी में हैं.
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वर्तमान में विधानसभा की स्थिति
बीजेपी-127 विधायक
कांग्रेस-96 विधायक
बसपा-2 विधायक (1 बीजेपी में)
सपा-1 विधायक (अब बीजेपी में )
निर्दलीय-4 विधायक
कांग्रेस में फिर तीन साल पुराना डर
दरअसल, 2020 में जो कांग्रेस के साथ हुआ वह फिर से न हो, इसी को लेकर कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी डरी हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि, कांग्रेस अपने सभी 230 प्रत्याशियों भरोसा चाहते हैं कि, वह चुनाव परिणामों के बाद दगा नहीं करेंगे. इसी वजह से ट्रेनिंग के बहाने कमलनाथ सभी से बात कर पार्टी के साथ हर हाल में खड़े रहने का वादा मांगेंगे. इसके लिए उन्हें शपथ भी दिलाई जा सकती है. कांग्रेस चाहती है कि, उससे जो तीन साल पहले दगा हुई थी वह फिर दोबारा न हो.
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