MP News In Hindi: मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को उज्जैन के शहीद पार्क पर हल्ला बोल आंदोलन किया. करीब चार घंटे तक चले आंदोलन में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार केंद्र सरकार को जमकर घेरा. वहीं, प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव पर भी जमीनों पर कब्जे के आरोप लगाए. इसके बाद कांग्रेस नेता सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कोठी पहुंचे और कलेक्टर नीरज सिंह को ज्ञापन सौंपा.
करीब ढाई घंटे देरी से शुरू हुआ आंदोलन
शहीद पार्क पर हुए इस सभा में जीतू पटवारी, दिग्गी राजा, सज्जन वर्मा, उमंग सिंगार और विधायक महेश परमार ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर शहर में बिगड़ती कानून व्यवस्था, महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार,नर्सिंग घोटाला, नीट एग्जाम फर्जीवाड़ा, शिप्रा नदी के प्रदूषित के मुद्दों पर जमकर हमला बोला.
इस मामले पर दी चेतावनी
इसके बाद प्रदर्शन कर घेराव करने कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पटवारी, सिंगार ने दलितों की जमीन पर हो रहे कब्जे और दर्ज किए जा रहे प्रकरण को लेकर चेतावनी दी. सिंगार ने कहा, अगर या नहीं रुक तो कांग्रेस उग्र आंदोलन करेगी. इसके बाद उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन दिया. आंदोलन में शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी, रवि राय, चेतन यादव, माया त्रिवेदी, विधायक दिनेश जैन बोस आदि भी मौजूद थे.
"सीएम के घर हल्ला बोल के लिए बधाई"
पूर्व सीएम और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह प्रदर्शन से पहले महाकाल मंदिर पहुंचे और चांदी द्वार से बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया. सभा में सीएम के घर हल्ला बोलने की बधाई देते हुए कांग्रेस से भाजपा में गए लोगों पर तंज कसते हुए कहा कि डरता वो है, जिन्होंने कांग्रेस से खूब कमाया और खाया है. जब लड़ने का मौका आया तब बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने कहा मोदी ने 10 साल में बड़े उद्योगपति के 12.5 लाख करोड़ के कर्ज माफ किए. बिजली का नया मीटर आया है, जो 1000 का बिल 4-5 हजार का देगा.
शराब का व्यवसाय बंद करें
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा-सीएम को महाकाल की नगरी में शराब का व्यवसाय बंद करवाना चाहिए. इसके होने पर नागरिक अभिनंदन करेंगे. उमंग सिंगार ने कहा- उज्जैन में करोड़ों रुपये की जमीन आरएसएस को दे दी. प्रदेश में सबसे महंगी शराब उज्जैन में बिक रही है. यहां शराब बंदी क्यों नहीं करते?
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टकराव की थी उम्मीद
मुख्यमंत्री मोहन यादव के गृह नगर में हल्ला बोल आंदोलन होने के कारण पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली थी. उम्मीद थी कि बड़े नेता साथ होने पर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान कांग्रेसी हंगामा कर सकते हैं. इसलिए उन्हें रोकने के लिए भारी बल के साथ, वाटर कैनन आदि का भी इंतजाम किया था. लेकिन ज्ञापन लेने के कारण टकराव नहीं हुआ.
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