
Success Story of Board Topper: कच्चे मकान की दीवारों से निकलती उम्मीद की रोशनी और उसी रोशनी में अर्चना अहिरवार (Archana Ahirwar) का नाम चमका. एक मजदूर की बेटी, जिसने ना सिर्फ गरीबी की बेड़ियों को तोड़ा, बल्कि मध्य प्रदेश 12वीं बोर्ड (MP Board Topper) टॉप 3 में आकर अपने गांव का नाम भी इतिहास में दर्ज करवा दिया. दो कमरे के घर में पांच बहन-भाई रहते हैं. मां-बाप दिनभर खेतों में मजदूरी करते हैं. रोज़ की मजदूरी उन्हें सिर्फ 300 रुपये मिलते हैं. ये संघर्ष से सफलता तक की एक सच्ची कहानी है. माता-पिता का कहना है कि अर्चना ने हमारा सपना पूरा किया है.
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टूटे घर में चमकाई किस्मत
मध्य प्रदेश के विदिशा जिला के शमशाबाद तहसील के सकतपुर गांव की मिट्टी में पली-बढ़ी अर्चना अहिरवार ने एक टूटी हुई छत, दीवारों से झांकती धूप और टिमटिमाती बल्ब की रोशनी में पढ़ाई की है. लेकिन, उसके हौसले इतने मजबूत थे कि प्रदेश की मेरिट लिस्ट में तीसरा स्थान हासिल किया. उसके पास कभी किताबों के लिए पैसे नहीं थे, तो कभी स्कूल जाने के लिए चप्पल नहीं थी. लेकिन, अर्चना ने कभी हार नहीं मानी.

अर्चना का किया गया सम्मान
माता-पिता ने कही ये बात
अर्चना के माता - पिता, दोनों खेतों में मजदूरी करते हैं. अपनी बेटी के प्रदेश में टॉप 3 में आने को लेकर उन्होंने कहा, "हमने खेतों में काम किया. सिर्फ एक ही सपना था कि बच्चे पढ़ें. आज हमारी अर्चना ने वो सपना पूरा कर दिखाया." अर्चना की बहन नीमा अहिरवार ने कहा, "हम सब पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन अर्चना ने जो किया, वो पूरे परिवार का गर्व है. वो हमारी प्रेरणा है."
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पूरे गांव में अर्चना की सफलता का जश्न
एमपी 12वीं बोर्ड में 97% अंक लाकर अर्चना ने साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे पक्के हों तो कोई मंजिल दूर नहीं होती. आज पूरा गांव जश्न मना रहा है. गांववालों ने फूल बरसाकर अर्चना का स्वागत किया. वहीं, विदिशा कलेक्टर भी अर्चना को बधाई देने उसके घर पहुंचे.
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