
MP Assembly Election 1990: साल था 1990. देशभर में राम मंदिर (Ram Mandir) आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी. इसका सबसे गहरा असर उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्यों में देखने को मिल रहा था. इस बीच मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) हुए जिनके नतीजों में राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव साफ देखा जा सकता था. राज्य में हमेशा से मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच ही रहा है और आज भी टक्कर इन्हीं दोनों पार्टियों में होती है.

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पहली बार ढहा कांग्रेस का किला
1990 के चुनावी नतीजों ने सभी को चौंका दिया. यह पहली बार था जब राज्य में कांग्रेस का किला ढहा था. राम मंदिर आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश में 1990 के विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कुल 3,76,10,000 मतदाताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान 54.2 प्रतिशत कुल मतदान दर्ज किया गया. 1990 में मध्य प्रदेश में 320 सीटें हुआ करती थीं. इन सीटों पर कुल 4216 उम्मीदवार मैदान में थे.

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56 सीटों पर सिमट गई कांग्रेस
हर बार की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच था लेकिन मध्य प्रदेश के मतदाताओं का मूड इस बार कुछ बदला हुआ था. चुनाव हुआ, वोट पड़े और नतीजे आए. रिजल्ट देखकर न सिर्फ जनता बल्कि कांग्रेस और बीजेपी भी हैरान हो गए. जिस कांग्रेस ने 1951 से कभी यहां हार का मुंह नहीं देखा था वह सिर्फ 56 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. 318 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने वाली कांग्रेस को महज 33.4 प्रतिशत वोट मिले.
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बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
दूसरी ओर जिस बीजेपी को पहले चुनाव से सिर्फ दहाई का आंकड़ा छूकर संतोष करना पड़ रहा था उसे जनता ने 220 सीटों पर विजयी बनाया. यह भारतीय जनता पार्टी के लिए ऐतिहासिक जीत थी. कांग्रेस बीजेपी के अलावा इस चुनाव में सीपीआई को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई. वहीं सीपीआई-एम अपना खाता भी नहीं खोल पाई. बीएसपी को भी दो सीटें मिलीं. इस चुनाव में 2,730 निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे जिनमें से सिर्फ 10 सफल हुए.