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अब 'सांची' के दूध से निकलेगी मुनाफे की मलाई ! MP सरकार ने किया NDDB से करार, कांग्रेस ने किया प्रहार

मध्यप्रदेश में सांची बनाम अमूल विवाद पर सियासत गरमाई हुई है लेकिन इसी बीच मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने ऐसा फैसला लिया है जिससे राज्य में दूध और इससे जुड़े उत्पादों के लिए अच्छे दिन आने की उम्मीद जगी है. सरकार ने राज्य कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन के लिये अगले पांच सालों तक राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ करार किया है.

अब 'सांची' के दूध से निकलेगी मुनाफे की मलाई ! MP सरकार ने किया NDDB से करार, कांग्रेस ने किया प्रहार

Milk Production in MP: मध्यप्रदेश में सांची बनाम अमूल विवाद (Sanchi vs Amul dispute)पर सियासत गरमाई हुई है लेकिन इसी बीच मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार (Mohan Yadav Government) ने ऐसा फैसला लिया है जिससे राज्य में दूध और इससे जुड़े उत्पादों के लिए अच्छे दिन आने की उम्मीद जगी है. सरकार ने राज्य कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन के लिये अगले पांच सालों तक राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) के साथ करार किया है.

हालांकि इस फैसले से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक्त अमूल औऱ नंदिनी दूध के बीच चले विवाद जैसी स्थिति बनती दिख रही है. कांग्रेस ने सीधे-सीधे आरोप लगाया है कि सरकार अमूल दूध को बड़ा बाज़ार देने के लिये प्रदेश के सांची दूध को बर्बाद कर रही है, हालांकि सरकार ने तुरंत ही इसे फिजूल का विवाद बता दिया है.  खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साफ किया है कि  प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए ही राष्ट्रीय बोर्ड से करार किया गया है. उन्होंने यहां तक कहा कि यदि जरूरी हुआ तो इस कार्य के उद्देश्य से सहकारिता अधिनियम में आवश्यक संशोधन भी किया जाएगा. इस रिपोर्ट में अब  अब आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि मध्यप्रदेश में गोवंश और दूध के उत्पादन की स्थिति क्या है? 

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मध्यप्रदेश में देश के कुल दूध उत्पादन का 9 से 10 प्रतिशत उत्पाद होता है जो यूपी और राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा है . सरकार का लक्ष्य अगले 5 साल में इसे दोगुना करने का है जिसका खाका अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाएगा. अब ये भी जान लीजिए कि राज्य में दूध उत्पादन में दिक्कत क्या है जिसे दूर करने के लिए सरकार ये कवायद कर रही है.  

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सरकार का दावा है कि NDDB के आने से राज्य में दूध उत्पादन में काफी सुधार होगा.  

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NDBB यानी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के दूसरे राज्यों में प्रदर्शन के बारे में भी आपको बताएंगे लेकिन पहले इस फैसले को लेकर हो रही सियासत को भी जान लेते हैं. विपक्ष को सरकार के इस फैसले से ऐतराज है. उसे लगता है ये सांची को अमूल को देने का बैक डोर प्लान है, वहीं सरकार का कहना है इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी कांग्रेस भ्रम फैला रही है.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि मिल्क प्रॉडक्ट्स के विश्वसनीय ब्रांड सांची को गुजरात का प्रसिद्ध ब्रांड अमूल पीछे के दरवाज़े से टेक ओवर कर रहा है. कर्नाटक के नंदिनी के साथ भी यह प्रयास हुआ था. मप्र सरकार चाहे घुटने टेक दे , मगर एमपी की 7.5 करोड़ जनता , जिसके लिये साँची घर-घर का ब्रांड है इसका विरोध करेगी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले को विधानसभा और संसद में उठाएगी और जरुरत पड़ी तो हम इसे अदालत में भी लेकर जायेंगे लेकिन सांची को बचायेंगे. दूसरी तरफ राज्य के पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने विवेक तन्खा के बयान पर पलटवार करते हुए स्थिति पर सरकार का पक्ष रखा है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है. हमारा NDDB के साथ MOU हुआ है न की अमूल के साथ. इसमें हमारी संस्था सांची को आगे बढ़ाने, मार्केटिंग के लिए और नए-नए आयाम विकसित करने पर काम होगा.  हम NDDB के साथ मिलकर दूध उत्पादन बढ़ाना चाहतें है लेकिन कांग्रेस को किसानों की भलाई अच्छी नहीं लग रही है.  
ये तो बात हुई सियासत की लेकिन लगे हाथ आप ये भी जान लीजिए कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड और असम जैसे कई राज्यों में परफॉर्मेंस कैसा रहा है. क्या उसके साथ आने से वहां दूध उत्पादन बढ़ा है? 

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इसके अलावा, असम सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम कंपनी नॉर्थ ईस्ट डेयरी एंड फूड्स लिमिटेड का भी गठन किया गया है, जिसका लक्ष्य 10 लाख लीटर प्रति दिन का उत्पादन का है. ऐसे में सरकार का मानना है कि जब दुग्ध संघों के दुग्ध संकलन, विपणन और आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाएगा, तब इनका प्रबंधन फिर से राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा.तबतक इस त्रिपक्षीय समझौते से मध्यप्रदेश में डेयरी का समग्र विकास होगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी.सरकार का दावा है इन उपायों से पांच साल में दूध उत्पादन दोगुना होगा. राज्य के 40,000 गांवों में किसानों की आमदनी बढ़ेगी साथ ही वो बायो रसोई और ऑर्गनिक खाद का भी उत्‍पादन करेंगे. 

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