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श्यामला हिल्स के VIP बंगले में न पंखा, न AC: रोज़ एक घंटे बत्ती गुल रखते हैं मंत्री इंदर सिंह परमार

Inder Singh Parmar news:"सत्ता और वीवीआईपी कल्चर के बीच मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो पर्यावरण संरक्षण को किताबी बातों से निकालकर सीधे आचरण में लाती है. दोपहर के तपते सूरज के बीच उनका बंगला रोज़ एक घंटे के लिए खुद को बिजली की चकाचौंध से मुक्त कर ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ एक मूक लेकिन बेहद सशक्त संदेश देता है."

श्यामला हिल्स के VIP बंगले में न पंखा, न AC: रोज़ एक घंटे बत्ती गुल रखते हैं मंत्री इंदर सिंह परमार

MP Minister Energy Conservation: मध्य प्रदेश में अक्सर सरकारी बंगले सत्ता, सुविधा और आराम की पहचान माने जाते हैं.लेकिन राजधानी भोपाल के वीवीआईपी इलाके श्यामला हिल्स में स्थित बंगला नंबर बी-4 इस परंपरा से थोड़ा अलग दिखता है. यहां रोज़ दोपहर ठीक 1:30 से 2:30 बजे तक न बिजली रहती है, न पंखे चलते हैं और न ही एसी. इसके बावजूद काम रुकता नहीं. यह बंगला है मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का.

"जीवन में रोज 1 घंटे बिजली कम किया"

जब एनडीटीवी ने मंत्री से पूछा कि वीवीआईपी बंगले में रोज़ एक घंटे का अंधेरा क्यों,तो मंत्री इंदर सिंह परमार कहते हैं, “हमने एक व्यवस्था की है कि हमारे भोपाल के सरकारी बंगले और कार्यालय में, शुजालपुर स्थित हमारे घर और वहां के कार्यालय में भी रोज़ एक घंटे लाइट बंद रहती है. इसके पीछे भाव ग्लोबल वॉर्मिंग का है. एक नागरिक और एक व्यक्ति के नाते हम धरती के लिए क्या कर सकते हैं इसी सोच के तहत अपने जीवन में बिजली के उपयोग में एक घंटे की कटौती करते हैं.”

"जहां संभव होता है, वहां हम करते हैं"

उनके मुताबिक यह सिर्फ बिजली बचाने का संदेश नहीं है, बल्कि प्रकृति पर बढ़ते संकट के खिलाफ एक प्रतीकात्मक कदम है.सवाल उठता है क्या यह नियम सिर्फ बंगले तक सीमित है, या फिर दौरों और बैठकों में भी लागू होता है? इस पर मंत्री साफ कहते हैं, “जहां संभव होता है, वहां हम यह करते हैं. लेकिन बड़ी बैठकों और कार्यक्रमों में सब लोग इसे मानते नहीं हैं. हालांकि जहां मेरा नियंत्रण है मेरे निवास और कार्यालय में वहां इसे सौ फीसदी लागू किया जाता है. हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी अपने-अपने कमरों की लाइट बंद रखते हैं. किसी को बाहर से टोकने की ज़रूरत नहीं पड़ती.”

"...तो हाथ वाले पंखे का लेते हैं सहारा"

गर्मी के सवाल पर भी मंत्री का जवाब अलग है. “प्राकृतिक रोशनी में काम होता है. धूप और सूर्य के उजाले से. अगर कोई ज्यादा परेशान हो तो हाथ वाला पंखा दे दिया जाता है.” श्यामला हिल्स के इस बंगले में अंधेरा दरअसल एक संदेश है कि पर्यावरण की लड़ाई सिर्फ नीतियों से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आचरण से भी लड़ी जा सकती है.सवाल यह है कि क्या यह प्रयोग सिर्फ एक मंत्री तक सीमित रहेगा, या फिर सत्ता के दूसरे गलियारों तक भी इसकी रोशनी पहुंचेगी?
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