MP olice Corruption: मध्यप्रदेश में कानून के रखवालों की विश्वसनीयता पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. राज्य की खाकी खुद कानून के कटघरे में दिखाई दे रही है. मंदसौर के मल्हारगढ़ थाने का एक सनसनीखेज मामला, जहां एक छात्र को बस से उठाकर पीटा गया और फिर NDPS एक्ट के झूठे केस में फंसा दिया गया, इसने प्रदेश की पुलिसिंग व्यवस्था की पोल खोल दी है. यह केवल एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि उस गहरी संस्थागत बीमारी की तस्वीर है जिसका खुलासा अब विधानसभा के आधिकारिक आंकड़ों ने भी कर दिया है.

2 साल में 329 पुलिसकर्मियों पर केस
विधानसभा में कांग्रेस विधायक बाला बच्चन के एक सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने चौंकाने वाला तथ्य स्वीकार किया है. सरकार ने माना है कि पिछले दो वर्षों के दौरान प्रदेश के 329 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं. इनमें 61 मामलों की जांच अभी जारी है, जबकि 259 मामलों में चालान भी पेश हो चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा मामले भोपाल शहर (48) में दर्ज हुए हैं. इसके बाद ग्वालियर (27), सिवनी (18), इंदौर (शहरी) (17), इंदौर (ग्रामीण) (17), गुना (17) और बालाघाट (13) का नंबर आता है. आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा मामले भोपाल शहर (48) में दर्ज हुए हैं. इसके बाद ग्वालियर (27), सिवनी (18), इंदौर (शहरी) (17), इंदौर (ग्रामीण) (17), गुना (17) और बालाघाट (13) का नंबर आता है. इन आंकड़ों से यह भी साफ होता है कि भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद भी लूट, चोरी और वाहन चोरी जैसे अपराधों पर लगाम लगने के बजाय वे बढ़े हैं.

'मॉडल थाना' बना फसाद की जड़
इन सबके बीच,सबसे भयावह और डरावना चेहरा मंदसौर के मल्हारगढ़ थाने ने दिखाया है. विडंबना यह है कि इस थाने को कभी देश का 9वां सर्वश्रेष्ठ थाना बताया गया था.अब इसी थाने के थाना प्रभारी, दो सब इंस्पेक्टर और तीन आरक्षकों को निलंबित किया गया है. आरोप है कि पुलिस के इन कर्मचारियों ने एक निर्दोष छात्र सोहनलाल को ढाई किलो अफीम रखकर झूठे मामले में फंसाया.
6 घंटे तक बंद रखकर पीटा
पीड़ित सोहनलाल के परिवार ने एनडीटीवी को बताया कि 12वीं फर्स्ट डिविजन से पास सोहनलाल पीएससी की तैयारी करना चाहता था. उसके भाई कथिराम गुलेचा ने सीधा आरोप लगाया कि सोहनलाल किसी काम से बस में सफर कर रहा था.इसी दौरान उसे बस से उतारकर करीब छह घंटे तक उसे बंद रखकर पीटा गया. इतना ही नहीं पैसे नहीं देने पर शाम को एनडीपीएस का झूठा केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया. परिवार ने न्याय की मांग करते हुए इसमें शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है.
आज तक उसके खिलाफ कोई मामला नहीं है,न ही किसी से कोई झगड़ा हुआ,जिसकी वजह से वह फंस सकता.
हाईकोर्ट में SP ने मानी 'गंभीर चूक'
इस मामले ने तब और सनसनीखेज मोड़ ले लिया जब मंदसौर एसपी विनोद मीणा ने खुद हाईकोर्ट में पुलिस की गलती स्वीकार कर ली. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ के सामने पेश होकर एसपी ने माना कि मल्हारगढ़ थाने के स्टाफ और सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मियों ने पूरी कार्रवाई में गंभीर चूक की. एसपी ने कोर्ट को बताया कि युवक को जबरन बस से उतारा गया, थाने ले जाया गया और उसके खिलाफ 2.5 किलो अफीम रखने का झूठा मामला दर्ज किया गया था. सबसे अहम बात यह रही कि एसपी ने जांच अधिकारी के अदालत में दिए गए बयान को भी गलत बताया.जाहिर है- जब प्रदेश में 329 पुलिसकर्मी खुद आपराधिक मामलों में फंसे हों, जब एक "मॉडल थाना" निर्दोष युवकों को फंसाने का आरोप झेल रहा हो, और जब एसपी को अदालत में अपनी ही पुलिस की गलती माननी पड़े तो यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नैतिक विफलता है.
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