Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट के फैसले के अनुसार अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दूध बेचने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा. कोर्ट ने साथ ही कहा है कि प्रदेश सरकार को समय - समय पर दूध विक्रेताओं की जांच भी करनी होगी. अब अगर कोई बिना लाइसेंस के या फिर मिलावटी दूध बेचता हुआ पकड़ा जाएगा तो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.
नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉक्टर पी जी नाजापांडे ने दायर की थी याचिका
दरअसल नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉक्टर पी जी नाजपांडे ने 2017 में कोर्ट में एक जनयाचिका दायर की थी. जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था की जबलपुर सहित पूरे मध्यप्रदेश में दूध विक्रेता दूध में मिलावट करके नागरिकों की जान से खेलकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं. नागरिक उपभोक्ता मंच ने जो जानकारी दी थी उसी के आधार पर पहले भी सरकार को नोटिस जारी किया गया था. उस समय नोटिस के प्रतिपालन में प्रशासन ने कुछ कार्रवाई भी की थी, लेकिन थोड़े समय बाद स्थिति पहले जैसी ही हो गई थी.
ये भी पढ़ें MP New CM: मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने पर यादव समाज बेहद खुश, आतिशबाजी के बाद बांटी मिठाई
नकली दूध से हो रहा है लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़
हाइकोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कहा की सरकार को लगातार कार्रवाई करनी चाहिए. जिसके बाद सरकार की तरफ से पिछले पांच साल में की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी दिया है. गौरतलब है कि देश और प्रदेश में दूध में मिलावट करने की कई घटना सामने आती हैं. दूध बेचने वाले लोग कुछ पैसों के लिए इंसानों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं, साथ ही सरकार भी इस मामले में निष्क्रिय ही दिखाई देती है.
ये भी पढ़ें शपथ ग्रहण से पहले विष्णुदेव ने मां से लिया आशीर्वाद, वाजपेयी और वीर नारायण की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण