
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चंबल अंचल में खाद्य पदार्थों में मिलावट की बहुतायत और मिलावटखोरों के शासन और प्रशासन में बढ़ते दबदबे के चलते है. लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इस मामले में अब न्यायालय ने संज्ञान ले लिया है. मिलावटखोरों पर नकेल कसने के लिए मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सख़्त एक्शन लेते हुए शासन से एक्शन टेकन रिपोर्ट नियमित रूप से मांगी है. कोर्ट के इस कदम के बाद मिलावटखोरों में हड़कंप मचना तय माना जा रहा है.
मिलावटी खाद्य पदार्थों की होती है खुलेआम बिक्री
ग्वालियर चंबल संभाग में मिलावटी खाद्य पदार्थों के रूप में सिंथेटिक दूध, पनीर और खोया की बिक्री खुलेआम होती है, लेकिन उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. जिसके चलते उनके हौसले बुलंद रहते हैं और वे बेखौफ़ अपने काम को कर रहे हैं. मिलावटखोरों के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मिलावट को लेकर अपना सख्त रवैया अपनाया है. हाईकोर्ट ने शासन से हाईकोर्ट कार्यक्षेत्र के अधीन 9 जिलों में मिलावट के खिलाफ हो रही कार्रवाई की लगातार एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है.
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मिलावटखोरी को लेकर शासन नहीं पेश कर पाया कोई जवाब
इस मामले में जब कोर्ट में सुनवाई हुई तो शासन की ओर से विधानसभा चुनाव होने और प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी के बदले जाने का कारण बताते हुए दो सप्ताह की मोहलत मांगी गई है. यहां आपको जानकारी दे दें कि ग्वालियर अंचल में मिलावटखोरी को लेकर हाइकोर्ट में शासन अपना जवाब भी पेश नहीं कर पाया, जिसके बाद कोर्ट ने इस पर नाराजी जताई. इस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के अतिरिक्त महाअधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी की ओर से तर्क दिया गया कि मध्य प्रदेश में हाल ही में मुख्य सचिव का बदलाव हुआ है, इस कारण व्यवस्था बदली हुई है, लिहाजा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाए. जिसके बाद जस्टिस रोहित आर्य की अध्यक्षता वाली बेंच ने शासन को रिपोर्ट पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया है.
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