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This Article is From Sep 09, 2024

MP News: मध्य प्रदेश में किराए के भवन में नौनिहाल, ऐसे में कैसे होगा 'भविष्य' का कल्याण

मकान मालिक जमना बाई बताती है कि मैंने आंगनवाड़ी केंद्र के लिए अपना भवन किराए से दी है, जिसका किराया दो हज़ार रुपये होते है. यहां छह साल से केंद्र चल रहा है. लेकिन, कभी भी महीने में किराया नहीं आता है. पूरा हिसाब क्लियर नहीं हुआ है. वह कहती है कि दो हज़ार में होता क्या है. सब बिल भरने पड़ते है, पैसा बढ़ भी नहीं रहा, कुछ दिन देखेंगे नहीं, तो खाली करवा देंगे.

MP News: मध्य प्रदेश में किराए के भवन में नौनिहाल, ऐसे में कैसे होगा 'भविष्य' का कल्याण

Anganwadi Center in Bhopal: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नौनिहाल किराए के भवनों में पढ़ने और सीखने को मजबूर है. दरअसल, प्रदेश के  97,329 आंगनवाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) में से 25 हज़ार से ज़्यादा आंगनवाड़ी किराए के भवनों पर चल रहा है. इनमें से कई आंगनबाड़ियों में तो समय पर किराया भी नहीं आता है, जिसकी वजह से कई केंद्र को तो बंद करने की नौबत तक आ गई है. अकेले राजधानी भोपाल (Bhopal)  में ही आधे से ज़्यादा आंगनबाड़ी केंद्र किराए पर है. महीने का बस दो से चार हज़ार किराया, मुश्किल से पहुंच रहा है और न ही विभाग के पास केंद्र संचालित करने के लिए खुद के भवन ही है.

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इसके बाद सरकार की चाहत है कि 1500 रुपये के किराये में आंगनबाड़ी चलाने के लिए भवन मिल जाए, जिसमें कमरे, बरामदा, साफ-सफाई, शौचालय, खेल का मैदान और बिजली वगैरह भी हो. लेकिन, महंगाई के इस दौरान ऐसी जगह का मिलना नामुमकिन है. लिहाजा, जब एनडीटीवी ने मध्य प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों का जायजा लिया तो हकीकत सामने आई, वह बहुत ही शर्मसार करने वाली है. राजधानी भोपाल में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों की दीवारों पर सीलन दिखा. ऐसा लग रहा था मानो सालों से भवन का रंग रोगन नहीं हुआ है. बच्चे ज़मीन पर बैठे मिले. पास में ही सीमेंट की बोरियां और दूसरा सामान रखा था. बच्चों का खाना उन्हीं गंदगियों के बीच रखा मिला. इसी कमरे में बच्चे पढ़ते भी हैं. यूं तो केंद्र संचालन के लिए 650 वर्ग फीट की जगह निर्धारित है, लेकिन कई जगह पर तो 10-10 के कमरों में आंगनबाड़ी चल रही है.

भोपाल में ऐसी है आंगनबाड़ी की हालत

भोपाल में शिवनगर और रोशनपुरा इलाके के इन आंगनबाड़ी केन्द्रों में न तो बच्चों के बैठने के लिए जगह है. न ही सहायिकाओं के बैठने की व्यवस्था है. किराया भी कई महीनों की देरी से आता है. आंगनवाड़ी सहायिका रमा कुशवाहा बताती हैं कि ये किराए के भवन में संचालित है. किराया तीन हजार है. मकान मालिक को बोल कर एडजस्ट करते हैं. लेकिन, ये बूहुत छोटा पड़ता है, जिससे बहुत परेशानी होती है. बच्चों को आंगनवाड़ी संचालित करने के लिए माहौल नहीं मिल पाता है. बार-बार भवन चेंज भी करना पड़ता है. ऐसे में बाहर गलियों में ही बच्चे खेल कूद और दूसरी एक्टिविटी करते हैं, क्योंकि यहां ग्राउंड है नहीं. रूम के हिसाब से किराया आता है. उन्होंने बताया कि सरकार ने व्यवस्था बनाई थी कि अब किराया सीधा मकान मालिक के खाते में आएगा. लेकिन, पैसा नहीं मिल रहा है, मकान मालिक कहते हैं कमरा खाली करो.

महीनों किराया नहीं मिलने पर कई आंगनबाड़ियों केन्द्रों पर डल गए ताले

मकान मालिक जमना बाई बताती है कि मैंने आंगनवाड़ी केंद्र के लिए अपना भवन किराए से दी है, जिसका किराया दो हज़ार रुपये होते है. यहां छह साल से केंद्र चल रहा है. लेकिन, कभी भी महीने में किराया नहीं आता है. पूरा हिसाब क्लियर नहीं हुआ है. वह कहती है कि दो हज़ार में होता क्या है. सब बिल भरने पड़ते है, पैसा बढ़ भी नहीं रहा, कुछ दिन देखेंगे नहीं, तो खाली करवा देंगे.

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जिम्मेदार अब कर रही हैं मॉडल तैयार करने की बात

इस बारे में जब महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम मॉडल तैयार करेंगे. हम भी यही चाहते हैं किराए के भवन में आंगनबाड़ी न रहे, क्योंकि ये नींव होती है. वहीं, प्रदेश में आगनवाड़ी केंद्रों की इस स्थिति पर विपक्ष के नेता और कांग्रेस मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने इसे सरकारी की नाकामी करार देते हुए निसाना साधा.

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