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Naxal News: छत्तीसगढ़ में आपस में ही लड़ रहे हैं नक्सली ! बस्तर रेंज के IG का दावा-बाहरी और स्थानीय कैडर में ठनी

Chhattisgarh Naxal News: बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने बताया कि पुलिस को विश्वनीय सूत्रों से मिल रही सूचना से यह बात सामने आ रही है कि वर्ष 2024 में तेलंगाना/ओडिशा/महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों के सीनियर कैडर्स की हो रही र्दुगति को देखते हुए माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मच गई है, जिससे बाहर के माओवादी कैडर्स ने स्थानीय माओवादी कैडर्स के ऊपर संदेह और शक करते हुए, उन्हें कई प्रकार से प्रताड़ित कर रहे हैं.

Naxal News: छत्तीसगढ़ में आपस में ही लड़ रहे हैं नक्सली ! बस्तर रेंज के IG का दावा-बाहरी और स्थानीय कैडर में ठनी

Naxalites In Chhattisgarh: कथित गरीबों की हितों की लड़ाई लड़ने वाले नक्सली अब छत्तीसगढ़ में आपस में ही लड़ पड़े हैं. हालात ये है कि स्थानीय और बाहरी के नाम पर भिड़ कर एक दूसरे को मौत के घाट उतार रहे हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद पिछले 6 महीने में अलग-अलग एनकाउंटरों में 153 बड़े नक्सली कमांडर मारे जा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर बाहरी नक्सली थे. लिहाजा, अब स्थानीय नक्सलियों पर मुखबिरी का आरोप लगा कर उसकी हत्या की जा रही है. यह खुलासा बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने की है.

स्थानीय को मार रहे हैं बाहरी नक्सली

दरअसल, वर्ष 2024 में बस्तर संभाग में माओवादियों के विरुद्ध की गई प्रभावी कार्यवाही के बाद 153 से ज्यादा नक्सलियों के शव सुरक्षाबलों ने बरामद की है. गौरतलब है कि  पिछले 8 महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों की ओर से तेलंगाना निवासी माओवादी कैडर DKSZC के सदस्य जोगन्ना, DKSZC सदस्य रणधीर, TSC सदस्य, CRC कमाण्डर सागर, DVCM विनय उर्फ रवि जैसे शीर्ष माओवादी कैडर्स को मौत की नींद सुलाया जा चुका है. इसी दौरान महाराष्ट्र निवासी माओवादी कैडर ACM संगीता उर्फ सन्नी और ओडिशा निवासी PPCM  लक्ष्मी का भी शव मुठभेड़ के बाद बरामद किया गया था. इस प्रकार बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के रहने वाले शीर्ष माओवादी कैडर्स का नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारा जाना छत्तीसगढ़ में पहली बार हुआ है.

फेल हो रही जान बचाने की माओवादियों की ये रणनीति

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने बताया कि प्रतिबंधित और गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन की ओर से एक रणनीति के तहत सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान स्थानीय माओवादी कैडर्स को एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुए बाहरी राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स मौके का फायदा उठाकर फरार हो जाते हैं, लेकिन हाल-फिलहाल में हुए मुठभेड़ों के दौरान बाहर राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स की यह रणनीति विफल होती हुई नजर आई है.

शीर्ष नक्सली नेताओं की मौत से मची खलबली

उन्होंने बताया कि पुलिस को विश्वनीय सूत्रों से मिल रही सूचना से यह बात सामने आ रही है कि वर्ष 2024 में तेलंगाना/ओडिशा/महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों के सीनियर कैडर्स की हो रही र्दुगति को देखते हुए माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मच गई है, जिससे बाहर के माओवादी कैडर्स ने स्थानीय माओवादी कैडर्स के ऊपर संदेह और शक करते हुए, उन्हें कई प्रकार से प्रताड़ित कर रहे हैं. इससे  माओवादी संगठन में विश्वासघात और विद्रोह की स्थिति निर्मित हो गई है. पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने बताया कि  माओवादी शीर्ष नेतृत्व द्वारा माओवादी संगठन के इन सभी अंदरूनी कलह से खुद के माओवादी कैडर और जनता का ध्यान भटकाने के लिए ख़ुद अपने हाथों मारे गए नक्सलियों को पुलिस मुखबिर/क्रान्तिकारी विरोधी/संगठन की गद्दारी करने जैसे मनगढ़ंत कहानी बताते हुए झुठे और तथ्यविहीन प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है.

बाहरी नकस्ली कर रहे हैं लूट-खसोट

सुन्दरराज पी. ने बताया कि पिछले दिनों माओवादी संगठन को बस्तर संभाग अंतर्गत दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इलाके में भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसके कारण प्रतिबंधित और गैरकानूनी संगठन अभी दिशा-विहीन और नेतृत्व विहीन हो चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी प्रांत के शीर्ष माओवादी नेतृत्व पिछले 30-40 वर्षों से स्थानीय माओवादी कैडर्स को एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुए करोड़ों-अरबों रुपयों की लूट-खसोट की है. लिहाजा, अब स्थानीय माओवादी कैडर्स के सामने बाहरी माओवादी कैडर्स बेनकाब होते जा रहे हैं, जिसके कारण से मावोवादियों में आपस में विश्वासघात और विद्रोह की स्थिति बढ़ रही है.

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पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज ने यह भी बताया कि अब स्थानीय माओवादियों कैडर्स के पास हिंसा छोड़कर शासन के सामने आत्मसमर्पण करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है. बस्तर क्षेत्र के शांति, सुरक्षा और विकास के लिए यह उचित होगा कि प्रतिबंधित और गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन कुछ शीर्ष कैडर और उनके गिने-चुने समर्थकों की साजिश/चंगुल से बाहर आकर माओवादी कैडर्स समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सुरक्षित एवं विकसित बस्तर की भागीदारी बने.

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