
मध्यप्रदेश का ऐसा जिला जिसकी पहचान उपजाऊ भूमि को लेकर है. हम बात कर रहे हैं प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की. यहां की मिट्टी काली है और हर तरह की खेती के लिए उपयुक्त है. अपने समृद्ध कृषि उत्पादन को लेकर ये काफी प्रसिद्ध जिला है. यहां के ज्यादातर उद्योग कृषि पर ही आधारित हैं. जिले का 26.55 प्रतिशत क्षेत्र जंगल है, जहां जड़ी-बूटियों का भंडार है. सतपुड़ा और विंध्याचल के पहाड़ी इलाकों में सागौन, साल, बांस और साज के पेड़ मौजूद हैं. मैदानी इलाके महुआ, आम, खैरी, आचार, करोंदा, हर्र और बहेड़ा के पेड़ों से भरे हुए हैं.
नरसिंहपुर का पौराणिक महत्व
बरमान घाट नर्मदा नदी के मणि सागर पर बना नरसिंहपुर का सबसे प्रसिद्ध घाट है. प्राचीन समय में ब्रह्मांड घाट के तौर पर जाना जाता था. भगवान ब्रह्मा की यज्ञशाला, दीपेश्वर महादेव मंदिर, हाथी दरवाजा और वराह मूर्ति यहां आकर्षण का केंद्र है. यहां भगवान नरसिंह का एक विशाल मंदिर भी है.
रॉक पेटिंग से प्राचीनता के सबूत
नरसिंहपुर के करेली वन क्षेत्र में मानव जीवन के शुरुआती दिनों के चिन्ह पाए गए हैं. जिले के भीतरी इलाकों में नर्मदा नदी की सहायक शक्कर नदी के तट पर बसे विनायकी गांव की गुफाओं में आदिमानवों के बनाए गए रॉक पेंटिंग पाए गए हैं. इन तस्वीरों में कुल्हाड़ी, धनुष, तीर और तलवारें बनी हैं. रॉक पेंटिंग में घुड़सवारी, घोड़ों और हाथियों के साथ इंसानों को खेलते हुए उकेरा गया है.
नरसिंहपुर में शासन
नरसिंहपुर में कई राजाओं और वंशों का शासन रहा है. यहां सातवाहन वंश के शासकों, राजगौड़ वंश, मराठा भोंसले शासकों ने राज किया. इसके बाद यहां अंग्रेजों का शासन रहा. इस इलाके के लोगों ने भारत की आजादी के आंदोलन में भी बढ़चढ़कर भाग लिया. खासतौर पर 1857 के विद्रोह में यहां के मदनपुर के गौड़ शासक डेलन शाह ने अहम् भूमिका निभाई. बाद में अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दी.
नरसिंहपुर की खास बातें
- जनसंख्या- 10.92 लाख
- साक्षरता- 75.69 प्रतिशत
- विधानसभा- 4
- तहसील- 6
- गांव -1076
- ग्राम पंचायत- 450
- ब्लॉक -6