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This Article is From Dec 02, 2023

MP हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, अब CJE में  OBC को भी SC-ST की तरह मिलेगी न्यूनतम पात्रता अंक में छूट 

MP Civil Judge Exam : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा सिविल जज भर्ती परीक्षा में अन्य बेकवर्ड क्लास वर्ग को अनारक्षित वर्ग के साथ रखा गया था. इससे उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं. ओबीसी वर्ग को भी अनुसूचित वर्ग के समान न्यूनतम पात्रता अंक में छूट मिलनी चाहिए.

MP हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, अब CJE में  OBC को भी SC-ST की तरह मिलेगी न्यूनतम पात्रता अंक में छूट 

Madhya Pradesh High-count: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा में ओबीसी (OBC) वर्ग के उम्मीदवारों को राहत देते हुए अपने आदेश में कहा है कि एससी-एसटी (SC-ST) वर्ग के समान न्यूनतम पात्रता अंक में ओबीसी को भी छूट दी जाए. मध्य प्रदेश हाइ कोर्ट (Madhya Pradesh Hight Court) ने सिविल जज की प्रारंभिक (Civil Judge Exam) और मुख्य दोनों परीक्षा में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को अन्य आरक्षित वर्ग के समान छूट देने वाले चीफ जस्टिस रवि मलिमठ (Justice Ravi Malimath) और जस्टिस विशाल मिश्रा (Justice Vishal Mishra) की खंडपीठ के फैसले को प्रशासन को तीन दिन में ही अधिसूचना प्रकाशित करने को कहा है. 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा सिविल जज भर्ती परीक्षा में अन्य बेकवर्ड क्लास वर्ग को अनारक्षित वर्ग के साथ रखा गया था. इससे उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं. ओबीसी वर्ग को भी अनुसूचित वर्ग के समान न्यूनतम पात्रता अंक में छूट मिलनी चाहिए.

इस वर्ष के अभ्यर्थियों को भी मिलेगा लाभ

18 दिसंबर 2023  सिविल जज जूनियर डिवीजन - 2022 परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि है. सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए सामान्य वर्ग के लिए एलएलबी में न्यूनतम 70 फीसदी अंक निर्धारित किए गए हैं, जो कि बिना एटीकेटी के होगी. वहीं, अनुसूचित वर्ग  के लिए न्यूनतम 50  प्रतिशत अंक की योग्यता रखी गई है . अब अन्य बेकवर्ड क्लास के उम्मीदवार को भी अनुसूचित वर्ग के समान छूट मिलेगी.

यह है पूरा मामला 

ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता वर्षा पटेल ने यह याचिका लगाई थी. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पैरवी की. याचिका में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से भर्ती नियम 1994 में 23 जून 2023 को किए गए संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी. 

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ये दी गई दलील

कोर्च में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि हाईकोर्ट में लंबे समय से अनारक्षित पदों को प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में केवल अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से ही भरे जाने की प्रक्रिया चल रही है. आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस अभ्यर्थियों को प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अनारक्षित वर्ग में चयन से वंचित कर दिया जाता है. इससे आरक्षित वर्ग के लिए आरक्षण का कानून अभिशाप बन जाता है. हाईकोर्ट कई वर्षों से कम्युनल आरक्षण को लागू करता आया है. 

सिविल जज के भर्ती नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंड पीठ ने हाईकोर्ट  प्रशासन से जबाब मांगा था, चीफ जस्टिस ने स्पष्ट भी किया है कि ओबीसी को अनारक्षित वर्ग के समान योग्यता वाले प्रावधान को संशोधित करते हुए एससी और एसटी के समान मापदंड निर्धारित किए जाएंगे.

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