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बजट तो बढ़ा पर छात्र घटे: मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में क्या 'गलत' हो रहा है?

मध्यप्रदेश में पिछले साल जब बजट पेश हुआ था तो अधिकांश जगहों पर शीर्षक बना था- मोहन सरकार ने शिक्षा के लिए खोला खजाना. कुछ हद तक ये सही भी था लेकिन राज्य की एक स्याह हकीकत ये है कि शिक्षा का बजट तो बढ़ा है लेकिन छात्र कम हो रहे हैं. ये विरोधाभास क्या है...जानिए इस रिपोर्ट में.

बजट तो बढ़ा पर छात्र घटे: मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में क्या 'गलत' हो रहा है?

MP Budget 2025-26: मध्य प्रदेश के शिक्षा बजट में 2024-25 के लिए 4% की वृद्धि हुई है, जिसमें सरकार ने कुल बजट का 11.26% इस क्षेत्र के लिए आवंटित किया है. कागजों पर यह एक सकारात्मक कदम प्रतीत होता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है. राज्य में कक्षाएं खाली हो रही हैं और छात्र संख्या लगातार घट रही है. ये आंकड़े एक विरोधाभासी कहानी बयां करते हैं—जिसका शीर्षक हो सकता है- बढ़ता बजट, घटते छात्र. हालात कितने गंभीर है इसका अंदाजा खुद सरकार द्वारा ही पेश आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट से लग जाता है. 

सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में प्राथमिक शिक्षा के लिए 7,134.7 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्य योजना को मंजूरी दी थी लेकिन आंकड़ों के आइने में 30 नवंबर 2024 तक जो तस्वीर सामने आई है वो चिंता बढ़ाती है.  कुल ₹7,134.7 करोड़ में से मात्र ₹3,247.2 करोड़ की राशि प्राप्त हुई और केवल ₹2,921.93 करोड़ खर्च हो पाए. बजट और व्यय के बीच इस विशाल अंतराल के पीछे आखिर समस्या क्या है, इस पर बात करने से पहले पूरी तस्वीर जान लीजिए. 

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सरकारी आंकड़ों में शिक्षा पर खर्च तो बढ़ गया लेकिन हकीकत ये है कि जिनके लिए ये खर्च बढ़ाया गया उनकी संख्या साल-दर-साल कम होती जा रही है. ये हाल प्राथमिक शिक्षा से लेकर हायर सेकेंडरी तक की कक्षाओं में है.  हर स्टेप पर छात्रों के नामांकन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.   

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सबसे चिंताजनक बात यह है कि छात्राओं की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बढ़ते बजट के बावजूद शिक्षा का आकर्षण कम क्यों हो रहा है?

शिक्षक संकट: कौन पढ़ाएगा?

मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान, विधायक जयवर्धन सिंह ने यह मुद्दा उठाया कि राज्य के स्कूलों में 70,000 शिक्षकों की कमी है. उन्होंने पूछा कि यदि स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे, तो शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी? इस पर मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि विपक्ष के सदस्य राज्यपाल के अभिभाषण से इतर विषयों पर बयानबाजी कर रहे हैं. यह चर्चा जल्द ही तीखी बहस में बदल गई, जहां सत्ताधारी पार्टी ने सरकार का समर्थन किया और कांग्रेस विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया.

बजट बढ़ा पर बदलाव नहीं दिखा

सरकार द्वारा शिक्षा के लिए बढ़ा हुआ बजट बेहतर बुनियादी ढांचे, शिक्षा का बेहतर माहौल और छात्रों की बढ़ती संख्या के संकेत लेकर आना चाहिए था. लेकिन हकीकत ये है कि  पैसा तो आ रहा है, लेकिन इसका ठोस असर छात्रों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसी विरोधाभास से कई सवाल खड़े होते हैं.  

ये सवाल ढूंढ रहे हैं जवाब

  •  जो धनराशि खर्च नहीं हो रही, वह कहाँ जा रही है?
  • अधिक निवेश के बावजूद छात्र शिक्षा छोड़ने को मजबूर क्यों हो रहे हैं?
  • 70,000 शिक्षकों की भारी कमी कब तक दूर हो सकेगी?

दरअसल मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि ठोस संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है. बजट बढ़ाना तभी सार्थक होगा जब स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक होंगे और छात्र वास्तव में लाभान्वित होंगे. नीति-निर्माताओं को केवल राशि आवंटित करने से आगे बढ़कर इस बात पर ध्यान देना होगा कि हर रुपया सही मायनों में शिक्षा की बेहतरी में ही खर्च हो रहा है या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता तो यह विरोधाभास बना रहेगा—बढ़ता बजट, घटते छात्र, और खाली पड़ी कक्षाओं की गूंज.
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