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MP Budget 2025: किसानों को बाेनस से सब्सिड़ी तक का ऐलान! अन्नदाताओं को मोहन सरकार ने दी ये सौगातें

Madhya Pradesh Budget 2025: बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि, अर्थव्यवस्था का एक ऐसा क्षेत्र है जिसके माध्यम से जनता को खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती एवं किसानों को आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त होती है. बजट में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिये रुपये 58 हज़ार 257 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो वर्ष 2024-25 के प्रावधान से रुपये 13 हज़ार 409 करोड़ अधिक है.

MP Budget 2025: किसानों को बाेनस से सब्सिड़ी तक का ऐलान! अन्नदाताओं को मोहन सरकार ने दी ये सौगातें
MP Budget 2025: किसानों को क्या कुछ मिला?

Madhya Pradesh Budget 2025: मध्यप्रदेश विधानसभा (MP Vidhan Sabha Budget 2025) में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा में 4 लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश किया इस बजट में किसानों के लिए 58 हज़ार 257 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. जो बीते साल  2024-25 के 13 हजार 409 करोड़ अधिक है. मध्यप्रदेश में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, दुग्ध उत्पादकों को दूध का उत्पादन और कलेक्शन बढ़ाने के लिए दुग्ध संकलन पर 5 रुपये प्रति लीटर की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. इसके लिये मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना के अंतर्गत रुपये 50 करोड़ का प्रावधान बजट में किया गया है.

कृषि विकास और किसान कल्याण के लिए क्या है?

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछला वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया गया था. हमारी सरकार ने इसे आगे बढ़ाते हुये "मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन" के माध्यम से "श्रीअन्न" के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए "रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना" लागू की है. मध्यप्रदेश सरकार कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु कृत संकल्पित है. वर्तमान में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि अन्तर्गत सभी किसान परिवारों को रुपये 6 हज़ार प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. इसके अतिरिक्त, हमारी सरकार द्वारा भी कृषकों को राशि रुपये 6 हज़ार प्रतिवर्ष का लाभ दिया जा रहा है.

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में इस वर्ष रुपये 5 हज़ार 220 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. नवीन योजना "मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना" के अंतर्गत परम्परागत रूप से एक या दो फ़सलें ले रहे किसानों को, फ़सल विविधीकरण में पारिस्थितिकीय संतुलन हेतु सहायक फ़सलें लेने पर, राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.

नई योजना मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत परम्परागत रूप से एक या दो फ़सलें ले रहे किसानों को सहायक फ़सलें लेने पर राज्य सरकार विशेष प्रोत्साहन राशि देगी विधानसभा में वित्त मंत्री ने कहा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि अन्तर्गत सभी किसान परिवारों को 6 हज़ार प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसके साथ ही मध्यप्रदेश सरकार भी किसानों को 6 हज़ार हर साल दे रही है.

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में इस साल 5 हज़ार 220 करोड़ का प्रावधान किया गया है. किसानों को बिजली बिल में दी जा रही है जिससे लगभग 37 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं. इसके लिये 19 हजार 208 करोड़ का प्रावधान है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 2 करोड़ 42 लाख प्रकरणों में रुपये 29 हज़ार 555 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. बजट में इस बार  2 हज़ार करोड़ का प्रावधान किया गया है.

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कृषि मंत्री ने क्या कहा?

कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को सोलर पंप दिये जाने की योजना भी सरकार ने बनाई है. प्रदेश में गौशालाएँ स्थापित करने के लिये नीति तैयार की जा रही है,प्रदेश में संचालित लगभग 2 हजार 200 गौशालाओं में 3 लाख 45 हज़ार से अधिक गौवंश का पालन हो रहा है. गौशालाओं में पशु आहार के लिए प्रति गौवंश प्रतिदिन रुपये 20 को दोगुना कर रुपये 40 किया जा रहा है. "गाँ संवर्धन एवं पशुओं का संवर्धन योजना" में रुपये 505 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.

वित्त मंत्री ने कहा कि मछली उत्पादन व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना" में रुपये 105 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, "मुख्यमंत्री मछुआ समृ‌द्धि योजना" में रुपये 145 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो गत वर्ष से रुपये 100 करोड़ अधिक है.

कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन तथा कीट प्रबंधन जैसे विषयों पर नवीन अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के लिए कुल रुपये 40 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. "नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑइल एण्ड ऑइलसीड" में रुपये 183 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो गत वर्ष के प्रावधान की अपेक्षा दो गुना से भी अधिक है.

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बजट में ये भी बताया गया

कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत बिल में दी जा रही राहत को निरन्तर रखा गया है, जिससे लगभग 37 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं. इस मद में रुपये 19 हज़ार 208 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 2 करोड़ 42 लाख प्रकरणों में रुपये 29 हज़ार 555 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. इस हेतु वर्ष 2025-26 में रुपये 2 हज़ार करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.

  • प्रदेश के किसानों को सिंचाई हेतु कृषि पम्प विद्युत कनेक्शन की वर्तमान व्यवस्था के स्थान पर सौर ऊर्जा पंप उपलब्ध कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है. उत्पादित सौर ऊर्जा का उपयोग करने पर विद्युत व्यय में कमी होगी, साथ ही अतिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड में स्थानान्तरित करने से किसान "अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता" भी बनेंगे. इस हेतु नवीन योजना "प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना" प्रारंभ की गई है जिसमें वर्ष 2025-26 में रुपये 447 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.
  • प्रदेश के किसानों को फ़सलों के समर्थन मूल्य का लाभ उपलब्ध कराने हेतु रबी विपणन वर्ष 2024-25 में 6 लाख 13 हज़ार किसानों से 48 लाख 38 हज़ार मेट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर, रुपये 11 हज़ार 6 सौ करोड़ का भुगतान, किसानों के बैंक खातों में किया गया. इसके अतिरिक्त रुपये 624 करोड़ 92 लाख का बोनस भुगतान भी किया गया है.
  • खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में 6 लाख 69 हज़ार किसानों से 43 लाख 52 हज़ार मेट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया है, जिसकी राशि रुपये 10 हज़ार 11 करोड़ का भुगतान किसानों के खातों में किया गया है. इसके अतिरिक्त, धान उपार्जन अंतर्गत किसानों को रुपये 4 हज़ार प्रति हेक्टेयर के मान से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. धान उपार्जन पर प्रोत्साहन हेतु रुपये 850 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.
  • प्रदेश में फल, फूल एवं सब्ज़ी के उत्पादन के लिए नवीनतम प्रणालियाँ तथा इन उत्पादों के बेहतर विपणन व मूल्य के लिए खाद्य प्रसंस्करण प्रोत्साहित किया जा रहा है. "प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना" के अंतर्गत 4 हज़ार 416 इकाईयों को लाभान्वित किया गया है.
  • "पर ड्रॉप मोर क्रॉप" योजना अंतर्गत कृषकों को प्रदत्त सिंचाई उपकरणों के माध्यम से पानी के अपव्यय को रोका गया है, साथ ही उत्पादन तथा उत्पादों की गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय उ‌द्यानिकी मिशन में रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.
  • प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक एवं सामाजिक विकास में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है. प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों के हित में "मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना" प्रारम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन तथा संबद्ध दुग्ध संघों के संचालन एवं प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ अनुबंध की स्वीकृति दी गई है. इस अनुबंध से दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या तथा दुग्ध संकलन में वृद्धि होगी एवं प्रदेश का साँची ब्रांड मजबूत होगा.
  • राष्ट्रव्यापी पशु कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में हमारे प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है.
  • मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है तथा इस क्षेत्र में निजी भागीदारी भी बढ़ रही है. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 2 हज़ार 137 हेक्टेयर जलक्षेत्र की निजी भूमि में तालाब निर्माण, 175 बायोफ्लॉक पॉण्ड, मत्स्यबीज उत्पादन हेतु 32 हैचरी, 418 बायोफ्लॉक, 51 आइस प्लांट, 78 फिशफीड मिल स्थापित किए गए हैं. मत्स्य विपणन कार्य को सुगम बनाने हेतु मत्स्य पालकों को 46 इन्सुलेटेड वाहन, 1 हज़ार 881 मोटर साइकिल आइस बॉक्स सहित तथा 297 थ्रीव्हीलर आइस बॉक्स सहित, प्रदान किए गए हैं.
  • मछली उत्पादन व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु "प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना" में रुपये 105 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.
  • "मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना" में रुपये 145 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो गत वर्ष से रुपये 100 करोड़ अधिक है.

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वित्त मंत्री ने कहा कि सहकारिता की सफलता, एकता की शक्ति तथा सामूहिक प्रयासों में निहित है. प्रदेश में कुल 4 हज़ार 500 प्राथमिक सहकारी समितियाँ क्रियाशील हैं. वर्ष 2024-25 में इन समितियों के माध्यम से लगभग 33 लाख किसानों को रुपये 19 हज़ार 895 करोड़ का अल्पकालीन ऋण शून्य ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है. "सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान" योजना हेतु रुपये 694 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. प्रदेश में अब तक तक कुल 69 लाख 63 हज़ार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गए हैं.

प्रदेश के 5 लाख 34 हज़ार पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये हैं. प्रदेश के मत्स्य पालकों को 1 लाख 10 हज़ार से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं. मत्स्य पालक कृषकों के 83 हज़ार 840 प्रकरण स्वीकृत कर रुपये 236 करोड़ 74 लाख की साख सीमा स्वीकृत की गयी है. कृषि एवं सम्बद्ध सेवाओं का वर्ष 2011-12 से वर्ष 2023-24 में राज्य के सकल मूल्य वर्धन (जी.वी.ए.) में योगदान 34 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया है. मुझे बताते हुए गर्व है कि इसी अवधि में कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का योगदान 6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग साढ़े बारह प्रतिशत हो गया है.

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