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This Article is From Nov 06, 2023

MP Election: ADR का बड़ा खुलासा, वोटरों को प्रभावित करने के लिए ठेकेदारों, बाहुबलियों व सरपंचों का बना नेक्सेस

MP Assembly Election 2023: एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर काले धन की खपत देखने में मिल रही है. कुछ प्रत्याशी साड़ी बांट रहे हैं, तो कुछ धन बांट कर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.

MP Election: ADR का बड़ा खुलासा, वोटरों को प्रभावित करने के लिए  ठेकेदारों, बाहुबलियों व सरपंचों का बना नेक्सेस

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: एडीआर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि चम्बल, बुंदेलखंड और विंध्य में ठेकेदारों के जरिए वोटरों को पक्ष में करने का नेक्सस बना हुआ है. इसमे बाहुबली से लेकर सरपंच तक शामिल हैं.

एडीआर की रिपोर्ट में एक बड़ा और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. एडीआर के मुताबिक मध्यप्रदेश के चंबल, बुंदेलखण्ड और विंध्य क्षेत्र की  विधानसभाओं में मतदाता चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए तमाम तरह के प्रलोभन और लालच दे रहे हैं. इसके लिए बाकायदा एक नेक्सस तैयार हो गया है. प्रत्याशियों ने बाकायदा ठेकेदारों को जिम्मेदारी सौंपी है, जो पंचायतों में जाकर सरपंचों और प्रभावशाली लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि पूरे गांव के वोट उनके पक्ष में पड़ जाए.

काले धन की जमकर खपत

रिपोर्ट में बताया गया कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर काले धन की खपत देखने में मिल रही है. कुछ प्रत्याशी साड़ी बांट रहे हैं, तो कुछ धन बांट कर वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.

ऐसे में वोटरों को अपने एक मत की कीमत समझाने के साथ ही चुनाव में कालेधन पर रोक के लिए सरकार और इलेक्शन वॉच व एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) को भी सक्रिय होना पड़ेगा.

2018 में हुआ था कम मतदान

एडीआर का कहना है कि 2018 विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में सबसे कम मतदान हुआ था. इसको ध्यान में रखते हुए इन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे है. एडीआर की  2018 विधानसभा चुनाव के आधार पर विधायकों के प्राप्त वोट, शेयर और जीत के अंतर पर उनकी प्रतिनिधित्व के विश्लेषण की रिपोर्ट जारी की गई है.

वोट काटने के लिए निर्दलीयों को लड़ाने का चलन बढ़ा

रिपोर्ट में यह भी निकलकर आया कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में 120 राजनैतिक दलों और निर्दलियों ने चुनाव लड़ा था, जो 2013 विधानसभा के मुकाबले 82 प्रतिशत ज्यादा है. इससे जाहिर होता है कि बिना जनाधार वाले दल और स्वतंत्र प्रत्याशी बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस विश्लेषण के आधार पर निकलकर आया कि ऐसे लोग चुनाव में वोट काटने के लिए धनबली और बाहुबली प्रत्याशियों से आर्थिक लाभ लेकर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने से एक तरफ जहां बैलेट पेपर का आकार बड़ा हो जाता है. वहीं, दूसरी तरफ मतदाता को भी मतदान के दौरान कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

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आपराधिक पृष्ठभूमि वालों की बड़ी जीत

 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में 46 आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों ने 50 प्रतिशत और इससे अधिक वोट शेयर साथ जीत हासिल की थी.

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास जारी

एडीआर के समन्वयक संजय सिंह ने बताया कि जिन विधानसभा सीटों में पिछली बार की तुलना में 70 प्रतिशत से कम वोटिंग हुई थी, वहां विशेष तौर पर मतदाता जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. . ऐसे में कम मतदान प्रतिशत वाले विधानसभा क्षेत्रों में एडीआर की ओर से विशेष मतदाता जागरुकता अभियान चलाया जाएगा . निर्वाचन आयोग भी इस दिशा में अनेक प्रयास और आयोजन कर रहा है.

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