
Lumpy Virus Skin Disease: शिवपुरी जिले में लंपी वायरस के फैलने की खबर ने पूरे प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है. अगर बात लंपी वायरस के लक्षणों की करें तो यह लक्षण शहर से लेकर गांव में मौजूद मवेशियों में देखे जा रहे हैं. यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार ने शिवपुरी जिले को 25000 एंटीबायोटिक वैक्सीन की खेप भेजी है, जिसे जिला कलेक्टर के निर्देश पर सभी विकासखंडों में वितरित कर सावधानी बरतने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. वहीं लंपी वायरस के खतरे को देखते हुए पशु एवं चिकित्सा विभाग अलर्ट मोड पर है. यहां कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. शिवपुरी जिले में इससे पहले भी लंपी वायरस ने दस्तक दी थी तब सैकड़ों मवेशियों की मौत के मामले सामने आए थे.
अभी क्या है स्थिति?
शिवपुरी जिले में शहर सहित कई गांवों में लंपी वायरस से संक्रमित पशु मिले हैं. पशुओं में प्रारंभिक रूप से इस रोग के लक्षण देखे गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए शिवपुरी जिले के प्रशासनिक विभागों ने एहतियातन कदम उठाना शुरू कर दिए हैं. शासन स्तर से भी शिवपुरी में 25 हजार वैक्सीन भेजी गई हैं.
बताया जा रहा है कि जिला मुख्यालय पर ही करीब दो सैंकड़ा मवेशियों में लंपी वायरस के प्रारंभिक लक्षण देखे गए हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह वायरस मवेशियों को अपनी चपेट में लेकर अपना दायरा बढ़ाता जा रहा है.
2022 में भी लंपी की थी दहशत
इससे पहले वर्ष 2022 में भी शिवपुरी जिले में यह संक्रमण तेजी के साथ फैला था और इसने दहशत मचा दी थी, जिससे सैंकड़ों मवेशियों की मौत भी हुई थी. यही वजह है कि पशुपालन विभाग इस समय इतिहास बढ़ाते हुए पशुपालकों से सावधानी बरतने की अपील कर रहा है.
क्यों खतरनाक है ये वायरस?
लंपी वायरस एक संक्रामक बीमारी है, इसमें मवेशियों की त्वचा खासकर गर्दन, चेहरे और थूथन पर गांठें निकल आती हैं. पशु सुस्त रहने लगते हैं और खाना-पीना बंद कर देते हैं, उन्हें बुखार आने लगता है. दूध देने वाले पशुओं की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. यह वायरस बेहद खतरनाक और पशुओं के लिए जानलेवा माना जाता है.
एक के बाद एक पशुओं को बनाता है शिकार
लंपी वायरस एक संक्रमित मवेशी से दूसरे संक्रमित मवेशी में खून चूसने वाले कीड़े मक्खी मच्छरों के जरिए फैलता है. लंपी वायरस मवेशियों की लार नाक के स्त्राव दूध और खून में भी मौजूद रहता है. जो आसानी से एक से दूसरे मवेशी में फैलता चला जाता है.
इंसानों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है वायरस
विशेषज्ञ डॉक्टर मानते हैं कि यह वायरस सीधे तौर पर तो इंसानों को प्रभावित नहीं करता लेकिन मवेशियों के द्वारा दिया जाने वाला दूध भी इससे प्रभावित होता है और अगर उसे असावधानीपूर्वक इस्तेमाल कर लिया जाए तो यह इंसानों को भी अफेक्टेड कर वायरस अटैक कर सकता है. डॉक्टर कहते हैं कि इस दौरान लोगों को मवेशियों से मिलने वाले दूध को अच्छी तरह उबालकर उपयोग में लेना चाहिए.
ये हैं सावधानियां
इस संबंध में पशुपालन विभाग द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है, जो पशुपालकों को वायरस के फैलने की रोकथाम के लिए जरूरी है. इस गाइडलाइन में कहा गया है कि:-
- मवेशी में लंपी वायरस जैसे कोई भी लक्षण दिखने पर मवेशी को तत्काल डाक्टर के यहां ले जाएं.
- यह वायरस मक्खी, मच्छर, कीट पतंगों के माध्यम से दूसरे मवेशी में फैलता है, इसलिए पशुओं के आसपास इन्हें नियंत्रित करने का प्रयास करना जरूरी.
- जहां मवेशी रहते हैं वहां नियमित सफाई और कीटनाशक का छिड़काव जरूरी.
- यदि कोई पशु लंपी वायरस से पीड़ित है तो उसे स्वस्थ्य पशुओं से अलग करना जरूरी.
- किसी पशु की लंपी वायरस की चपेट में मौत हो जाती है तो उसके शरीर को चूना व नमक डालकर गहरे गड्ढे में दबा कर अंतिम संस्कार जरूरी.
क्या बोले जिम्मेदार?
पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डाॅक्टर एलआर शर्मा ने कहा कि "हमने प्रारंभिक तौर पर सभी विकासखंडों में डाक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि प्रदेश स्तर से जो एडवाजयरी और निर्देश आए हैं, उनका पालन करने के निर्देश पशु पालकों को दिए जाएं अभी यह बेकाबू वाली स्थिति में नहीं है लेकिन सावधानी और ऐतिहासिक बरतना जरूरी है इसलिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं."
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