Siyasi Kissa: देश की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) 2009 में विदिशा संसदीय क्षेत्र (Vidisha Parliamentary Constituency) में पहुंची थीं. मध्य प्रदेश की न होने की वजह से सुषमा स्वराज के लिए विदिशा संसदीय क्षेत्र भाषा व रहन-सहन से बिलकुल नया था. यहां गांव-गांव में सभा करना सुषमा स्वराज के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था, पर सुषमा स्वराज इन तमाम मुश्किलों को पीछे छोड़कर विदिशा संसदीय क्षेत्र की जनता से दिल का रिश्ता जोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गईं, उन्हें यहां के लोग आज भी याद करते हैं.
ऐसे विदिशा में हुई थी सुषमा स्वराज की एंट्री
विदिशा संसदीय क्षेत्र में लंबे समय तक सांसद रहने के बाद शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को प्रदेश का मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) बना दिया गया था. उसके बाद विदिशा में उपचुनाव हुआ, जिसमें शिवराज के सबसे करीबी पड़ोसी जिले के नेता रामपाल सिंह को चुनाव लड़ाया गया. रामपाल सिंह यहां से सांसद बने. इसके बाद आम चुनाव हुए तो केंद्र की फायर ब्रांड नेता सुषमा स्वराज का नाम विदिशा से लड़ने को लेकर तय किया गया. सुषमा स्वराज का नाम तय होने से BJP में एक नया उत्साह देखा गया, वहीं विदिशा के लोगो के लिए एक बड़ा नेता मिलने वाला था इस पर विदिशा संसदीय क्षेत्र के लोगो में सवाल बहुत थे.
विदिशा के लोगों से मांगा रक्षा का वचन
सुषमा स्वराज ने देखते ही देखते विदिशा के लोगों से एक दिल का रिश्ता जोड़ लिया था. उन्होंने विदिशा संसदीय क्षेत्र के लोगों से रक्षा सूत्र बनवा कर उनसे रक्षा का वचन मांगा. वहीं विदिशा के लोगों को वचन देते हुए कहा कि विदिशा से मेरा बहन का रिश्ता है, इसे में आखरी सांस तक निभाऊंगी. क्षेत्र के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोडूंगी.
महीने में चार दिन अपने संसदीय क्षेत्र को देती थीं सुषमा स्वराज
विदिशा रायसेन संसदीय क्षेत्र में सुषमा स्वराज अपने क्षेत्र के महीने के चार दिन देती थीं. सुषमा स्वराज बकायदा अधिकारियों की बैठक कर लोगों की समस्या सुनतीं और तत्काल उसे हल करती थीं. सुषमा स्वराज के काम करने के इस तरीके का हर कोई फैन था.
गांव-गांव के लोगों को नाम से जानती थीं
सुषमा स्वराज के करीबी रहे अरशद अली जाफरी बताते हैं सुषमा स्वराज जैसा कोई दूसरा नेता नही हो सकता सुषमा स्वराज का गांव गांव से एक नेता का रिश्ता नहीं बल्कि दिल का रिश्ता था. सुषमा स्वराज के काम करने का तरीका आम नेताओं से बिल्कुल अलग था. सुषमा स्वराज हर गांव के व्यक्ति को उसके नाम से जानती थीं. इतना ही नहीं सुषमा स्वराज अपने संसदीय क्षेत्र के लोगो को हजारों लोगों की भीड़ में पहचानकर उनके नाम से पुकारती थीं. सुषमा स्वराज ने विदिशा संसदीय क्षेत्र को कई सौगात दी जो आज भी सुषमा स्वराज की याद दिलाती हैं.
आखरी समय में विदिशा के लोगों से मांगी माफी
सुषमा स्वराज किडनी का आपरेशन कराने के बाद ढाई साल तक विदिशा नहीं आईं. आखरी वक्त में ऑडिटोरियम के लोकार्पण कार्यक्रम में जब हिस्सा लेने आईं तब सुषमा स्वराज भावुक हो गईं. उन्होंने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आप लोगों से माफी चाहती हूं. मैं महीने में चार दिन विदिशा में रहने का वादा किया था, लेकिन स्वास्थ ने मेरा साथ नहीं दिया, इसकी वजह से मैं आप लोगों के बीच में नहीं रह सकीं, पर मैंने आपसे कहा था कि विदिशा ने मुझे बहुत प्यार दिया, विदिशा से मेरा रिश्ता आखिरी सांस तक रहेगा मैं इसे कायम रखूंगी.
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