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जबलपुर के इस चौराहे पर मिलती है नेतागिरी की ट्रेनिंग! निकले हैं कई सांसद और केन्द्रीय मंत्री

जबलपुर में एक चौराहा है...नाम है मालवीय चौक. ये देश के दूसरे शहरों में पाए जानेवाले चौराहे जैसा ही है लेकिन इसकी खास बात ये है कि इस चौराहे से गुजर कर ही कई नेता सांसद और मंत्री बने हैं. चाहे बात स्वर्गीय शरद यादव की हो..प्रदेश सकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Patel) हों या फिर 4 बार सांसद रहने वाले राकेश सिंह ही क्यों ने हों सभी को इस चौराहे से गुजर करके ही मंजिल मिली है. आखिर इस चौक में कौन सा जादू है?

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जबलपुर के इस चौराहे पर मिलती है नेतागिरी की ट्रेनिंग! निकले हैं कई सांसद और केन्द्रीय मंत्री

Jabalpur Lok Sabha Election 2024: जबलपुर में एक चौराहा है...नाम है मालवीय चौक (Malviya Chowk). ये देश के दूसरे शहरों में पाए जानेवाले चौराहे जैसा ही है लेकिन इसकी खास बात ये है कि इस चौराहे से गुजर कर ही कई नेता सांसद और मंत्री बने हैं. चाहे बात स्वर्गीय शरद यादव (Sharad Yadav)की हो..प्रदेश सकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Patel) हों या फिर 4 बार के सांसद रहने वाले राकेश सिंह ही क्यों ने हों सभी को इस चौराहे से गुजर करके ही मंजिल मिली है. जबलपुर के मौजूदा सांसद आशीष दुबे की भी सियासत मालवीय चौक पर ही चमकी है. आखिर इस चौक में कौन सा जादू है जो नेताओं की नेतागिरी यहां आने के बाद चमक जाती है? जानिए इस रिपोर्ट में. 

पहले शरद यादव ने बनाया अपना अड्डा

मालवीय चौक को 1975 में शरद यादव ने सबसे पहले अपना अड्डा बनाया. तब यहां चार अलग-अलग छात्र नेताओं के गुट खड़े होकर चर्चा किया करते थे. उन दिनों छात्रों में संघर्ष होना भी यहां रोज की ही बात थी.  लगातार होते छात्र संघर्ष ,तोड़फोड़ की घटनाओं और हड़ताल आंदोलन को देखते हुए तब यहां पुलिस ने स्थाई चौकी बना ली थी. इसके बाद मालवीय चौक की रोटरी को छोटा कर दिया ताकि वहां टेंट लगाकर आंदोलन ना हो सके लेकिन इसके बावजूद कुछ रुका नहीं.  आसपास पान और चाय की दुकानें छात्र नेताओं के उधारी खातों से परेशान थी लेकिन इसी मालवीय चौक से संघर्ष कर भारत का सबसे युवा छात्र नेता शरद यादव 1975 उप चुनाव में जब सांसद बन कर भारतीय राजनीति में चमका तो लोगों को मालवीय चौक की सियासी अहमियत समझ में आई.उन दिनों जब शरद यादव छात्र संघ का चुनाव जीतकर समाजवादी विचारधारा के साथ 1975 के लोकसभा उपचुनाव में उतरे तब उनके विश्वस्त्र मित्र डॉक्टर रावत ,तिलक राज यादव, फूलचंद पालीवाल, पप्पू राठौर, बच्चन नायक और गिरीश बुधौलिया हुआ करते थे जो अपना सब कुछ शरद यादव के लिए निछावर करने तैयार थे. 

वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि 1977 के चुनाव में शरद यादव ने वह योजना मालवीय चौक पर ही तैयार की थी जिसे आज भारतीय जनता पार्टी बूथ प्रभारी के नाम से प्रचारित करती है. काशीनाथ बताते हैं कि उस समय सभी छात्र नेता एक-एक बूथ और एक-एक लाइन के प्रभारी हुआ करते थे.उनका काम था कि सभी को लेकर वोट डालने निकाल कर लाना और निवेदन करना कि शरद यादव को चुनाव जिताएं.

काशीनाथ के मुताबिक 1977 के चुनाव में मतगणना के दौरान शरद यादव मालवीय चौक पर ही खड़े थे. उस समय दूसरे छात्र नेता साइकिल से 6 किलोमीटर दूर स्थित मतगणना स्थल से सूचना और पर्ची लेकर आ रहे थे कि शरद यादव कितनें मतों से लीड कर रहे हैं. ऐसा कहा जा सकता है कि शरद यादव मालवीय चौक पर खड़े-खड़े ही चुनाव जीत गए थे . 

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प्रह्लाद पटेल ने भी मालवीय चौक से शुरू की राजनीति

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी जब साइंस कॉलेज के छात्र नेता थे उन्होंने भी अपनी राजनीति का केंद्र मालवीय चौक को बनाया जो बाद में बड़े फुहारा तक फैल गया. बाद में उन्होंने जबलपुर छोड़ दिया , सांसद बने फिर केंद्रीय मंत्री भी. अब भी आप उनसे बात करिएगा तो वो मालवीय चौक की यादें साझा कर सकते हैं. 

राकेश सिंह का मुख्य केंद्र था मालवीय चौक 

लोक सभा के पूर्व मुख्य सचेतक और वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन के पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह  ने तो अपनी छात्र राजनीति से सांसद बनने तक का सफर मालवीय चौक की श्याम टाकीज वाले कार्नर को अपना अड्डा बनाये रखा.

अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए राकेश सिंह ने NDTV को बताया कि चारों तरफ के चार कोने में राजनीतिक विचारधारा के लोग अपने-अपने अड्डे बनकर खड़े रहते थे ,वह संघर्ष का दौर था जब में पैसे नहीं होते थे.

उस समय जब 25 पैसे का एक समोसा आता था तो एक बार हम आठ मित्रों ने मिलकर एक समोसे से अपनी भूख मिटाई थी.राकेश सिंह बताते हैं कि शाम होते ही विभिन्न  कालेजों के छात्र और छात्र नेता आकर मालवीय चौक पर ही अपनी रणनीति तैयार किया करते थे.राकेश सिंह बताते हैं कि इसी छात्र राजनीति से प्रेरणा पाकर वे ABVP की विचारधारा में शामिल हो गए और जबलपुर के चार बार संसद में निर्वाचित हुए. 

आशीष दुबे भी पहुंचे मालवीय चौक से संसद तक

मालवीय चौक से भारतीय संसद तक पहुंचने वाले छात्र नेताओं में अब सबसे नया नाम जबलपुर के नवनिर्वाचित सांसद आशीष दुबे का है.आशीष दुबे भी वर्षों से मालवीय चौक ग्रुप के सक्रिय सदस्य रहे हैं. उनके मित्र बताते हैं कि
आशीष जबलपुर भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण के लगातार दो बार अध्यक्ष रहे हैं. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचने वाले कार्यकर्ताओं और अपनी समस्याओं को लेकर आने वालों ग्रामीण जनों के लिए मालवीय चौक उनका स्थाई पता  रहा है. आशीष ने NDTV को बताया कि मालवीय चौक के खुले वातावरण और मित्रों से मिलने के

आशीष जबलपुर में हैं तो ऐसा संभव नहीं है कि वह मालवीय चौक अपने मित्रों से मिलने ना पहुंचे. गोपाल गुप्ता ,मुकेश सिंघई, बबलू केशरवानी,विप्लव अग्रवाल ,मनीष अवस्थी,मुकेश सोनी ,सुधीर बठिजा,शरद बैरसिया, शैलेश शर्मा वह नाम है जो गैर राजनीतिक होकर भी आशीष दुबे के राजनीतिक सलाहकार मंडली के प्रमुख सदस्य हैं.

बाद दिनभर की परेशानियां और थकान दूर हो जाती हैं. सबसे एक साथ मिलना और विचार विमर्श भी हो जाता है यहां ना कोई बड़ा है ना छोटा, ना कोई  विचारधारा का भेद, सबका एक साथ मिलन सिर्फ मालवीय चौक पर ही होता है. यहां चारों तरफ खाने पीने की दुकानें हैं यदि आप भूखे हो तो पेट की खुराक और नहीं तो मानसिक खुराक आसानी से मिल जाती है. 

/ये भी पढ़ें: MP में BSP की 'माया' में फंस गई कांग्रेस...जानिए कहां-कहां पहुंचाया नुकसान

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