Morena Lok Sabha Constituency Political History: मुरैना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दो जिलों से मिलकर बनी है, जिसमें मुरैना (Morena) और श्योपुर (Sheopur) जिले शामिल हैं. चंबल (Chambal) की धरती में स्थित इस क्षेत्र में कभी डाकुओं का राज हुआ करता था. यहां चुनाव व वोटिंग के दौरान गोली चलना आम बात हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ इस स्थिति में बदलाव देखने को मिला है. बीहड़ के बागियों की इस धरती में अब डाकुओं का खौफ कम हो गया है और शासन-प्रशासन की पकड़ मजबूत होती जा रही है. वहीं अगर पर्यटन की दृष्टि से देखें तो यह क्षेत्र प्राचीन विरासत से समृद्ध है.
मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Mandir) देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. 100 फीट ऊंची पहाड़ी पर बने इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस गोलाकार मंदिर की शैली में देश का पुराना संसद भवन (Parliament House) निर्मित है. मंदिर के बीचो बीच भगवान शिव का मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण गुर्जर-प्रतिहार राजपूत शासकों ने कराया था. मुरैना से 60 किमी दूरी पर स्थित सबलगढ़ का किला भी काफी प्रसिद्ध है. मुरैना में अत्यधिक मात्रा में मोर पाए जाने के चलते इसका प्राचीन नाम मयूरवन हुआ करता था. इसका जिक्र महाभारत काल में भी हुआ करता था. वहीं श्योपुर के बारे में कहा जाता है कि जयपुर राजघराने के सामंत गौड़ राजपूत के प्रमुख इंद्र सिंह द्वारा शहर और किले की स्थापना 1537 ई. में की गई थी. गौर राजपूत भगवान शिव के उपासक थे, इसलिए श्योपुर में कई शिव मंदिरों का निर्माण कराया गया था.
विधानसभा और लोकसभा में वोटिंग पैटर्न अलग
अब बात करते हैं यहां की राजनीति की. मुरैना लोकसभा क्षेत्र (Morena Lok Sabha Constituency) में यहां पिछले 7 लोकसभा चुनावों से बीजेपी का कब्जा बना हुआ है. इस सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से 5 पर कांग्रेस और 3 पर बीजेपी का कब्जा है. यहां के वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग मत देते आए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन 8 विधानसभा सीटों में से सात पर अपना परचम लहराया था, बीजेपी को सिर्फ एक सीट में जीत मिली थी. इसके बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की.
मुरैना लोकसभा सीट में शुरुआती चार चुनाव (1952, 1957, 1962 और 1967) में कांग्रेस ने बाजी मारी.इसके बाद 1971 में हुए लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में पहली बार भारतीय जनसंघ ने यहां से जीत दर्ज की. इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में (1977) जनता पार्टी के प्रत्याशी ने यहां अपनी परचम लहराया. इसके बाद 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर जीत हासिल की. 1989 के लोकसभा चुनाव को जीत कर पहली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की एंट्री हुई. हालांकि, बीजेपी इस जीत को आगे जारी नहीं रख पाई और 1991 के चुनाव में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
लगातार सात बार से बीजेपी अजेय
इसके बाद 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने जीत हासिल कर मुरैना लोकसभा सीट (Morena Lok Sabha Seat) पर वापसी की. इसके बाद हुए सभी लोकसभा चुनाव (1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019) में बीजेपी ने मुरैना सीट पर जीत दर्ज की. इस दौरान बीजेपी ने अपने तीन प्रत्याशी बदले. 1996 से 2004 लोकसभा चुनाव तक अशोक अर्गल बीजेपी के प्रत्याशी रहे. उन्होंने लगातार चार बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुरैना की जनता का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया और वे सांसद बने.
हालांकि, 2014 में यहां से अनूप मिश्रा को उतारा गया और उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद 2019 में एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना सीट से चुनाव लड़ाया गया. जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर को केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया. हालांकि, 2023 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में तोमर को टिकट दिया गया और वे चुनाव जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बने. मध्य प्रदेश की राजनीति में नरेंद्र सिंह तोमर की एंट्री के बाद बीजेपी ने इस बार के चुनाव में शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीतू भइया) को चुनावी मैदान में उतारा है.
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