उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में बीजेपी का दांव सही नहीं पड़ा, लेकिन पड़ोसी मध्य प्रदेश 2024 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर सत्तारूढ़ पार्टी के लिए संजीवनी का काम कर गया. 2023 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विधानसभा चुनाव 163-66 सीटों से जीतने के बाद लोकसभा में बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा सहित राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की.
मुरैना, भिंड-एससी, ग्वालियर और सतना - चार सीटों को छोड़कर, जहां उम्मीदवारों के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण मुकाबला मुश्किल रहने वाला था, दूसरी सारी सीटों पर जीत का अंतर एक लाख वोटों से अधिक था.
कांग्रेस ने वोटरों से NOTA को वोट देने का किया था आह्वान
कांग्रेस ने कथित तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के दबाव में 29 अप्रैल को अपने उम्मीदवार अक्षय कांति बाम के नामांकन वापस लेने के बाद वोटरों से नोटा के लिए वोट देने का आह्वान किया था. वैसे जमीनी मुकाबले में सबसे बड़ी जीत रही पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की, जिन्होंने विदिशा में कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रताप भानु शर्मा को 8.21 लाख से अधिक मतों से हराया. विदिशा से चौहान पांच बार जीत चुके हैं, ये सीट दशकों से बीजेपी का गढ़ रही है, अतीत में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विदिशा से सांसद रहे हैं.
यादवेंद्र सिंह को एकतरफा मुकाबले में हराया सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी गुना सीट को (जिसे उन्होंने पहले चार बार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीता था, लेकिन 2019 में हार गए) 5.40 लाख वोटों के बड़े अंतर से फिर से जीत लिया, जहां उन्होंने पुराने बीजेपी परिवार के बेटे राव यादवेंद्र सिंह यादव को पूरी तरह से एकतरफा मुकाबले में हराया.
अपनी जीत का अंतर बढ़ाने वाले मंत्रियों में ये नाम भी शामिल
2019 के चुनावों की तुलना में अपनी जीत का अंतर बढ़ाने वाले अन्य केंद्रीय मंत्री में केंद्रीय मंत्री और तीसरी बार सांसद बने वीरेंद्र खटीक शामिल हैं, जिन्होंने टीकमगढ़-एससी सीट को 4.03 लाख वोटों से बरकरार रखा (2019 में 3.46 लाख का अंतर था), भोपाल के पूर्व मेयर आलोक शर्मा ने भोपाल सीट 5.01 लाख वोटों से जीती, पहली बार उम्मीदवार आशीष दुबे ने जबलपुर सीट 4.86 लाख से जीती, दूसरी बार सांसद बने सुधीर गुप्ता ने मंदसौर सीट से 4.98 लाख वोटों से जीत की हैट्रिक पूरी की और महेंद्र सोलंकी ने देवास-एससी सीट को 4.25 लाख वोटों से बरकरार रखा.
सबसे कम अंतर इन सीटों पर जीत दर्ज
सबसे कम जीत/अग्रणी अंतर उन चार सीटों से दर्ज किया गया, जिन्हें सबसे करीबी मुकाबले वाली सीटों में से एक माना जा रहा था, जिसमें भिंड-एससी सीट से मौजूदा सांसद संध्या राय की 63,000 से अधिक वोटों की जीत, ग्वालियर सीट से पूर्व सांसद मंत्री भरत सिंह कुशवाह की 69,000 से अधिक वोटों की जीत, मुरैना में पूर्व विधायक शिव मंगल तोमर की 51,000 से अधिक वोटों की जीत और सतना सीट पर चौथी बार सांसद गणेश सिंह की 84,000 से अधिक वोटों की जीत शामिल है.
कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में खिला 'कमल'
बीजेपी ने मध्यप्रदेश की सारी 29 लोकसभा सीटें जीतीं जिसमें सबसे अहम छिंदवाड़ा है जो 1980 से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का गढ़ रहा है. बीजेपी से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार विवेक बंटी साहू ने कमल नाथ के मौजूदा कांग्रेस सांसद बेटे नकुल नाथ को एकतरफा मुकाबले में 1.13 लाख से अधिक मतों से हराया. राजगढ़ सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दूसरी बार बीजेपी सांसद रोडमल नागर से 1.45 लाख मतों से हार गए. रीवा से सांसद जनार्दन मिश्रा ने जीत की हैट्रिक 1.93 लाख मतों से अपनी सीट जीतकर पूरी की.
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