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Modi 3.0: उत्तर प्रदेश में भाजपा क्यों हुई हिट विकेट? जानें फिर NDA को किसने बनाया चैंपियन?

2024 Election Results: उत्तर प्रदेश में भाजपा के पिछड़ने की बड़ी वजह भाजपा के छुटभैय्ये नेताओं के बयान रहे, जो आरक्षण और संविधान को खत्म करने को कह रहे हैं. पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों में विवादित बयान को कवर करने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष मतदाताओं को समझाने में सफल रही.

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Modi 3.0: उत्तर प्रदेश में भाजपा क्यों हुई हिट विकेट? जानें फिर NDA को किसने बनाया चैंपियन?

Lok Sabah Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव परिणाम कई मामले दिलचस्प रहा. चुनाव परिणाम लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही मोदी सरकार के लिए काफी चौंकाऊ था. 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 62 सीटों पर विजयी रहीं बीजेपी महज 32 सीटों पर धाराशाई हो गई. 

उत्तर प्रदेश में इस चुनाव में एनडीए को कुल 30 सीटों का नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई एनडीए ने उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और बिहार से हो गई वरना बिहार और उत्तर प्रदेश में हुए नुकसान से एनडीए का सत्ता से बाहर होने तय हो गया था. 

आंध्र की तेलगु देशम मोदी सरकार 3.0 के लिए बनी संजीवनी

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और भावी मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए संजीवनी बनकर उभरी है. चुनाव पूर्व टीडीपी और बीजेपी के बीच एनडीए के लिए साथ चुनाव लड़ने का निर्णय किया और टीडीपी 17 लोकसभा सीटों पर विजय पताका फहराकर एनडीए को मैदान में जमाए रखा.

टीडीपी ने साथ हुए विधानसभा चुनाव में भी जोरदार वापसी की है और पूर्ण बहुमत से आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है. चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर टीडीपी चीफ ने एनडीए के साथ सरकार में बने रहने का संकल्प दोहराया है.

उड़ीसा में खिला कमल, लोकसभा और विधानसभा दोनों में किया धमाल

उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक के नेतृ्त्व वाली दो दशक पुरानी सरकार को उखाड़ फेंककर एनडीए की घटक बीजेपी पहली बार सरकार बनाने जा रही है. एनडीए ने विधानसभा ही नहीं, लोकसभा चुनाव के 19 लोकसभा सीटों पर भी धमाकेदार जीत दर्ज की. पहली बार होगा जब लोकसभा और विधानसभा में एनडीए घटक दल बीजेपी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उड़ीसा में मिली बड़ी जीत ने केंद्र में मोदी सरकार 3.0 बनाने में बड़ी मदद की है.  

बिहार में एनडीए ने रचा इतिहास, वरना घट जाती बड़ी दुर्घटना

कभी एनडीए की घटक दल रही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ एनडीए का दामन पकड़ लिया. ऐन चुनाव से पहले जदयू और एनडीए के साथ हुए गठबंधन ने एनडीए को चुनाव परिणामों में बड़ी राहत पहुंचाई है.

फर्ज कीजिए अगर नीतीश इंडिया गठबंधन के साथ होती, तो एनडीए के खाते से 16 सीट और कम हो सकता था. ऐसे में एनडीए के पास 293-16= 277 सीट ही जाती है और एनडीए सरकार बड़ी मुश्किल में फंस जाती.

पहले चरण के लोकसभा चुनाव में एनडीए को हुआ बड़ा नुकसान

चुनाव द्वारा शेड्यूल्ड पहले चरण में कुल 102 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें एनडीए का प्रदर्शन खराब रहा, जबकि बीजेपी का प्रदर्शन निराशानजक कहा जा सकता है. बीजेपी ने 30 सीट, कांग्रेस ने 27, डीमके ने 22, एसपी ने 4, सीपीआई ने 2 और अन्य ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की. 18 अप्रैल को 102 लोकसभा सीटों के परिणाम एनडीए के पक्ष में नहीं गए.

दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव के परिणाम एनडीए के लिए सुखद रहा

26 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन पहले चरण की तुलना में बेहतर रहा. दूसरे चरण में कुल 87 सीटों पर मतदान हुआ और चुनाव परिणामों में दूसरे चरण में एनडीए के खाते कुल 46 सीटें आईं, जबकि कांग्रेस 17 सीटों पर जीत दर्ज की. दूसरे चरण में भी एनडीए का प्रदर्शन सुधरा वरना गजब हो जाता.

13 मई को हुए चौथे चरण के चुनाव में एनडीए का लक काम कर गया. चुनाव से ठीक पहले तेलगु देशम पार्टी चीफ चंद्रबाबू नायडु के साथ गठबंधन ने एनडीए सरकार को लगातार तीसरी बार सत्ता के करीब पहुंचाने में मदद की. टीडीपी ने कुल 17 सीटें जीतीं.

तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव के नतीजे भी एनडीए को मौका दे गई

7 मई को हुए लोकसभा के तीसरे चरण के चुनाव में कुल 94 सीटों पर मतदान हुआ. एनडीए ने यहां भी पुराना प्रदर्शन होहराया और 94 लोकसभा सीटों में से कुल 57 सीटें जीतने में सफल रही. वहीं, कांग्रेस 15 लोकसभा सीट और समाजवादी पार्टी 6 सीटों पर बाजी मार पाई. दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव ने एनडीए को ऐज दिलाने में खासी मदद की.

चौथे चरण के लोकसभा चुनाव में नए गठजोड़ ने दिलाई एनडीए को ऐज 

गत 13 मई को हुए चौथे चरण के लोकसभा चुनाव में एनडीए का लक काम कर गया. चुनाव से ठीक पहले तेलगु देशम पार्टी चीफ चंद्रबाबू नायडु के साथ गठबंधन ने एनडीए सरकार को लगातार तीसरी बार सत्ता के करीब पहुंचाने में मदद की. टीडीपी ने कुल 17 लोकसभा सीटें जीतकर एनडीए की झोली में डालीं, जो एनडीए सरकार में बड़ी भूमिका निभाएगी. 

पांचवें चरण के लोकसभा चुनाव में फिर पिछड़ी एनडीए, लेकिन हारी नहीं

गत 20 मई को संपन्न हुए 5वें चरण के चुनाव में एनडीए को थोड़ा नुकसान हुआ, लेकिन फिर भी पांचवें चरण में हुए कुल 49 सीटों में से 19 सीट जीतने में सफल हुई. शिवसेना (उद्धव), कांग्रेस, टीएमसी, एसपी  के खाते में क्रमशः 4,5, 6 व 7 सीटें आईं. एनडीए दूसरे चरण में और जोर लगाती और बंगाल -यूपी में 7 सीटें और जीतती तो आंकड़ा 300 पार होना तय था. 

25 मई को कराए गए छठे चरण के चुनाव में एनडीए ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया. इस चरण में कुल 58 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी के खाते में आधी से अधिक सीटें आई. यानी एनडीए के खाते में 35 सीटें आई, जिसमें जेडीयू की 4 सीटें शामिल हैं

छठे चरण के डबल ऊर्जा के साथ लौटी एनडीए, आधी से अधिक सीटें जीती

गत 25 मई को कराए गए छठे चरण के चुनाव में एनडीए ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया. इस चरण में कुल 58 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी के खाते में आधी से अधिक सीटें आई. यानी एनडीए के खाते में 35 सीटें आई, जिसमें जेडीयू की 4 सीटें शामिल हैं, जबकि कांग्रेस को 2 सीट मिली, सपा के हाथ 10 सीटें आई, वहीं. टीएमसी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की.

अंतिम चरण में भी एनडीए को इंडिया गठबंधन ने पहुंचाया गहरा नुकसान

गत 1 जून को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान में कुल 57 सीटों के लिए चुनाव हुआ. एनडीए ने कोशिश की, लेकिन इंडिया गठबंधन ने उससे आगे निकल गई. इस चरण में एनडीए के हाथ में कुल 17 सीट ही आ सकी, जबकि इंडिया गठबंधन नें 27 सीट जीत लिए. टीएमसी - कांग्रेस ने 9-9 सीटें जीतीं, शेष अन्य सहोगियों के खाते में गईं.

उत्तर प्रदेश में भाजपा के पिछड़ने की बड़ी वजह भाजपा के छुटभैय्ये नेताओं के बयान रहे, जो आरक्षण और संविधान को खत्म करने को कह रहे हैं. पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों में विवादित बयान को कवर करने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष मतदाताओं को समझाने में सफल रही.

अयोध्या राम मंदिर मुद्दा नहीं आया काम, इसलिए भाजपा की रफ्तार पर लगा विराम

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण एक बड़ा मुद्दा था.माना जा रहा था कि बीजेपी और एनडीए इस बार पिछला सारा रिकॉर्ड तोड़ देगी, लेकिन भाजपा 32 सीट पर सिमट गई. पीएम मोदी ही नहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ हक्के-हक्के रह गए. यही नहीं, भाजपा अयोध्या लोकसभा सीट से प्रत्याशी और दो बार के सांसद लल्लू सिंह चौहान की सीट भी गंवा बैठी.

बेरोजगारी से कराह रही यूपी के युवा आरक्षण और संविधान विरोधी बयान ने बांटा

लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के पिछड़ने की बड़ी वजह भाजपा के छुटभैय्ये नेताओं के बयान रहे, जो आरक्षण और संविधान को खत्म करने को कह रहे हैं. पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों में विवादित बयान को कवर करने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष मतदाताओं को समझाने में सफल रही.

ये भी पढ़ें-Analysis: एनडीए को ले डूबा अति उत्साह, सामने आई 300 का आंकड़ा नहीं छू पाने की बड़ी वजह?

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