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Lok Sabha Election से पहले कांग्रेस के एक लाख नेता BJP में होंगे शामिल, ये है भाजपा का पूरा प्लान

Lok Sabha Election: भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख वीडी शर्मा ने दावा किया है 50 हजार कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस से नाखुश प्रभावशाली नेताओं सहित लगभग 50,000 कार्यकर्ता पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के दलबदल की सिर्फ चर्चा ही हो रही है. हालांकि कांग्रेस पूरे राज्य में जिला, तहसील, खंड और बूथ स्तर पर ‘पलायन' देख रही है.

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Lok Sabha Election से पहले कांग्रेस के एक लाख नेता BJP में होंगे शामिल, ये है भाजपा का पूरा प्लान

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा (BJP) इस वक्त पूरे देश में साम, दाम, दंड और भेद सभी का सहारा ले रही है. जिन राज्यों में कांग्रेस (Congress) से सीधा मुकाबला नहीं है और वहां पर अगर कोई क्षत्रप मजबूत है, तो भाजपा उनसे गठबंधन कर रही है. वहीं, जहां कोई क्षत्रप नहीं है और भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है, वहां भाजपा कांग्रेस के नेताओं को तोड़ कर पार्टी में शामिल कर रही है.

दरअसल, इससे पार्टी को दोहरे लाभ की संभावना नजर आ रही है. इससे एक तरफ जहां कांग्रेस (Congress) कमजोर होगी. वहीं, भाजपा (BJP) की ताकत में इजाफा होगा. लिहाजा, भाजपा कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर पार्टी में शामिल कराने में जुटी हुई है. बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक लाख कार्यकर्ताओं को अपने पाले में शामिल करने का लक्ष्य रखा है, जिनमें असंतुष्ट प्रभावशाली नेता भी शामिल हैं, ताकि प्रदेश में सभी 29 सीट पर जीत दर्ज की जा सके. दरअसल, मध्य प्रदेस में कांग्रेस का संगठन बहुत मजबूत था. यही वजह है कि 2023 विधानसभा के चुनाव में पोर्टी सीटें भले ही हार गई हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बीजेपी को 48.6% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस पार्टी को 40.4% वोट मिले थे. 

इन नेताओं पर डाले जा रहे हैं डोरे

राजनीतिक पर्यवेक्षकों और भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार राजनीति कांग्रेस को जमीनी स्तर पर कमजोर करने और साथ ही उन वरिष्ठ नेताओं के दल बदल को सुनिश्चित करने की है, जो पार्टी संगठन में नाखुश हैं. वर्ष 2019 के चुनावों में भाजपा ने 29 में से 28 सीट पर जीतकर राज्य में कांग्रेस का लगभग सफाया कर दिया था. कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी. दूसरी ओर, कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के प्रमुख जीतू पटवारी ने कहा है कि भगोड़ों का कोई भविष्य नहीं है.

कांग्रेस से छिंदवाड़ा सीट छीनने के लिए रखा ये टारगेट

2019 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट पर हार के साथ ही कांग्रेस का प्रदेश से सूफड़ा साफ करने से चूकने के बाद भाजपा इस बार कांग्रेस से छिंदवाड़ा सीट भी छीनने की पूरी कोशिश कर रही है.

भाजपा के एक अन्य नेता ने के मुताबिक पार्टी ने छिंदवाड़ा से 50,000 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को शामिल करने का एक लक्ष्य रखा है और अपनी जिला इकाई को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कहा है.

50,000 कार्यकर्ता पहले ही भाजपा में हो चुके हैं शामिल

इस बीच भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख वीडी शर्मा ने दावा किया है 50 हजार कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस से नाखुश प्रभावशाली नेताओं सहित लगभग 50,000 कार्यकर्ता पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के दलबदल की सिर्फ चर्चा ही हो रही है. हालांकि कांग्रेस पूरे राज्य में जिला, तहसील, खंड और बूथ स्तर पर ‘पलायन' देख रही है.
खजुराहो सीट से लोकसभा में दूसरे कार्यकाल के लिए प्रयासरत शर्मा ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव से पहले राज्यभर में कांग्रेस के कम से कम एक लाख कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं.

अमित शाह के इशारे पर हो रहा है काम

इंदौर से पूर्व कांग्रेस विधायक अंतर सिंह दरबार और उनके सहयोगी पंकज संघवी तथा अन्य 15 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए.  इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दावा किया था कि मोदी का परिवार मध्य प्रदेश में सबसे तेज गति से बढ़ रहा है. मध्य प्रदेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे भाजपा के दिग्गजों और विजया राजे सिंधिया और कुशा भाऊ ठाकरे जैसे संघ के दिग्गजों का राजनीतिक क्षेत्र रहा है.

भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ही थे, जिन्होंने ग्वालियर में बंद कमरे में हुई बैठक में पार्टी नेताओं और बूथ कार्यकर्ताओं से कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को लाने के लिए कहा था. भाजपा के इस नेता ये भी दावा किया है कि शाह ने बैठक में उपस्थित लोगों से कांग्रेस के स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को शामिल करने और विपक्षी खेमे के वरिष्ठ नेताओं का निर्णय भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ने के लिए कहा था. उनके अनुसार, शाह ने भाजपा नेताओं से कहा कि वे कांग्रेस नेताओं की आमद के बारे में चिंता न करें और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी वरिष्ठता प्रभावित नहीं होगी और उन्हें पार्टी में विशेष स्थान और सम्मान मिलेगा.

 छिंदवाड़ा से 5,000 से अधिक कांग्रेसी भाजपा में हो चुके हैं  शामिल

छिंदवाड़ा से भाजपा उम्मीदवार विवेक साहू ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि भाजपा ने छिंदवाड़ा से 50,000 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा है और अपनी जिला इकाई से इस लक्ष्य को हासिल करने को कहा है. इसी कड़ी में पिछले हफ्ते, कमलनाथ के करीबी सहयोगी दीपक सक्सेना ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है. पिछले महीने कमल नाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलें भी लगाई जा रही थीं, लेकिन उन्होंने इसे ‘मीडिया की उपज' बताकर खारिज कर दिया था. साहू ने दावा किया कि छिंदवाड़ा से 5,000 से अधिक कांग्रेसी पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

...ताकि कांग्रेस के पास नहीं बचे जमीनी कार्यकर्ता

भाजपा में 21 मार्च को शामिल हुए छिंदवाड़ा सिटी से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नंद किशोर सूर्यवंशी ने कहा कि मैंने नकुलनाथ के कारण कांग्रेस छोड़ी. मेरी उनके साथ अच्छी नहीं बन रही थी. उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेता पसंद नहीं है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, भाजपा का लक्ष्य कांग्रेस को उसके उन कार्यकर्ताओं से दूर करना है, जो चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

पचौरी ने ये बनाया था बहाना

उन्होंने बताया कि ब्राह्मण नेता एवं राज्य के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को संभावित कांग्रेसी नेताओं की तलाश के लिए भाजपा की ओर से काम सौंपा गया है. वहीं, एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि मिश्रा और भाजपा की मध्यप्रदेश इकाई के प्रमुख ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित कांग्रेस के कई ब्राह्मण नेताओं को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया है. कभी गांधी परिवार के करीबी रहे पचौरी ने भाजपा में शामिल होते समय कहा कि वह पार्टी में शामिल हो गए है, क्योंकि कांग्रेस ने जनवरी में राम मंदिर अभिषेक समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था.

ये है जानकारों की राय

इस मुद्दे पर बोलते हुए, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि लोकतंत्र में चुनाव इस सवाल का जवाब देते हैं. उन्होंने कहा कि भगोड़े लोग पहले ही गुमनामी में चले गए हैं. हालांकि, जानकारों की राय इससे अलग है. वरिष्ठ पत्रकार एवं ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के विजिटिंग फेलो रशीद किदवई के मुताबिक कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपनी जमीनी ताकत खो रही है. उन्होंने कहा कि पिछले दो माह में जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर के पदाधिकारियों तक सैकड़ों नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. यह पलायन तब तेज हो गया, जब व्यापक रूप से यह खबर आई कि कमलनाथ और उनके बेटे नकुल भाजपा में शामिल होने का विचार कर रहे हैं. किदवई ने कहा कि नुकसान बहुत बड़ा है और ऐसा लगता है कि कांग्रेस में अब भाजपा को चुनौती देने वाली ताकत नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से कांग्रेस ने 50 से अधिक प्रभावशाली नेताओं को पार्टी से बाहर जाते हुए देखा है, जिनमें 15 पूर्व मुख्यमंत्री और इतनी ही संख्या में पूर्व केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय नेतृत्व के पदाधिकारी और अन्य शामिल हैं. किदवई ने कहा कि राहुल की कांग्रेस में पार्टी की विचारधारा लोगों में ऊर्जा भरने में विफल रही है.

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राजनीतिक पर्यवेक्षक एवं पंडित दीनदयाल विचार प्रकाशन द्वारा निकाली जाने वाली मासिक पत्रिका ‘चरैवती' के पूर्व संपादक जयराम शुक्ला के मुताबिक कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है, जिससे नेता बाहर कूद रहे हैं. शुक्ला ने कहा कि भाजपा कांग्रेस के उन ब्राह्मण नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है, जो अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक में शामिल नहीं होने के पार्टी के कदम से नाराज हैं. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 29 सीटों के लिए 19 अप्रैल से 13 मई के बीच चार चरणों में मतदान होगा. 

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