Janmashtami 2024: पूरा देश भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव (Shree Krishna Janmotsav) पूरे धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है. देशभर के मंदिरों में अपने-अपने ढंग से जन्मोत्सव के आयोजन की तैयारियां हो रहीं हैं. लेकिन, जन्मोत्सव का सबसे अनूठा आयोजन ग्वालियर के गोपाल मंदिर (Gopal Mandir, Gwalior) में होता है. यहां मौजूद राधा-कृष्ण की एक झलक पाने के लिए पूरे देश से लोग पहुंचते हैं और मंदिर की रखवाली के लिए एक दिन के लिए सीसीटीवी कैमरे ही नहीं सैकड़ों सशस्त्र पुलिस वाले भी तैनात किये जाते हैं. इसकी वजह हैं यहां राधा-कृष्ण (Radha Krishna) को पहनाए जाने वाले बेशकीमती, एंटीक, 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा कीमत के रत्नजड़ित गहने...
100 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर
ग्वालियर के फूलबाग परिसर में स्थित गोपाल मंदिर अपनी प्राण प्रतिष्ठा के 100 साल से ज्यादा समय पूरा कर चुका है. इस गोपाल मंदिर की स्थापना 1922 में तत्कालीन सिंधिया शासकों ने करवाई थी. ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया प्रथम ने फूलबाग परिसर में साम्प्रदायिक सद्भाव प्रकट करने के लिए गोपाल मंदिर, मोती मस्जिद, गुरुद्वारा और थियोसिफिकल सोसायटी की स्थापना करवाई. यह सब एक ही परिसर में आसपास स्थित हैं.
रत्नजड़ित गहने दिए भेंट
बताया जाता है कि 1921 में जब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तब माधोमहाराज ने जन्माष्टमी पर अपने हाथों से राधाकृष्ण की प्रतिमा का श्रृंगार किया था. इस दौरान उन्होंने सोने चांदी के जो आभूषण और हीरा, मोती, नीलम और पन्ना जैसे रत्नों की मालाएं राधाकृष्ण को पहनाई, वे हमेशा के लिए मंदिर को भेंट कर दिये थे. तब से स्वतंत्रता पूर्व तक महाराज स्वयं या उनके परिवार के सदस्य हर जन्माष्टमी पर अपने हाथों से राधाकृष्ण का इन बेशकीमती आभूषणों से श्रृंगार करते आ रहे थे.
नगर निगम करती है रखरखाव
स्वतंत्रता मिलने के बाद मंदिर का रखरखाव नगर निगम के हाथों चला गया और सुरक्षा कारणों से यह आभूषण ट्रेर्जरी में जमा कर दिये गए. इसके बाद ये वहीं कैद हो गए. राधाकृष्ण अपने भव्य स्वरूप में लौटे इस बात की मांग सदैव उठती रही. आखिरकार, लंबी जद्दोजहद के बाद 2007 में तत्कालीन मेयर और पूर्व वर्तमान सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने फिर से जन्माष्टमी पर प्राचीन गहनों से श्रृंगार के लिए निकालने की परंपरा शुरू की, जो आज तक जारी है. हर वर्ष जन्माष्टमी पर सौ करोड़ से ज्यादा कीमत के यह एंटीक गहने राधा और कृष्ण को पहनाए जाते हैं.
इन आभूषणों से किया जाता है श्रृंगार
- कृष्ण जी के लिए सोने के तोड़े, सोने का मुकुट... राधा जी का ऐतिहासिक मुकुट, जिसमें पुखराज और माणिक जड़ित और बीच में पन्ना लगा हुआ. यह मुकुट तीन किलो वजन के हैं.
- भोजन के लिए सोने चांदी के प्राचीन बर्तन, प्रभु की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी, आदि शामिल हैं.
- राधा जी के मुकुट में 16 ग्राम पन्ना रत्न लगे हुए... श्री कृष्ण जी तथा राधा जी के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े.
- राधाकृष्ण का सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार, 7 लड़ी हार, जिसमें 62 असली मोती और 55 वेशकीमती एंटीक पन्ना लगे हुए हैं.
- रियासत काल के हीरे जवाहरातों से जड़ित स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने की सात लड़ी का हार, 249 मोतियों की माला, हीरे जड़े हुए कंगन, हीरे और सोने की बांसुरी, और चांदी के विशाल छात्र से श्रृंगार किया जाता है.
ऐसे होता है राधाकृष्ण का श्रृंगार
जानकारों का मानना है कि इन एंटीक बेशकीमती गहनों की कीमत वर्तमान में 100 करोड़ रुपए से अधिक है. इसलिए कड़ी सुरक्षा के बीच साल में सिर्फ जन्माष्टमी के दिन नगर निगम द्वारा बनाई गई कमिटी, जिसमें महापौर डॉ. शोभा सिकरवार, सभापति मनोज सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष हरीपाल, आयुक्त हर्ष सिंह आयुक्त फाइनेंस , ट्रेजरार दीपक सोनी, आदि की इस कमेटी की देखरेख जन्माष्टमी के दिन सुबह लगभग 10:00 बजे सेंट्रल बैंक के लॉकर से इन बहुमूल्य आभूषणों को मंदिर लाया जाएगा और वीडियोग्राफी के साथ मथुरा से आये कारीगरों द्वारा इनका संधारण करने के बाद भगवान का श्रृंगार किया जाएगा.
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सुरक्षा में लगेगे सैकड़ों पुलिस कर्मी
पूरे मंदिर परिसर में दो सौ से अधिक पुलिस के जवान और अधिकारी सुरक्षा में तैनात किये जाएंगे और सीसीटीवी से भी निगरानी की जा रही है. दोपहर लगभग 12:00 बजे भगवान के श्रृंगार के बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे. वहीं, अब ऐतिहासिक गोपाल मंदिर के भवन को संरक्षित रखने के लिए नगर निगम ने प्रोजेक्ट भी तैयार किया है, जिसपर जन्माष्टमी के बाद काम शुरू किया जाएगा.
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