भोपाल : मध्यप्रदेश की एक सभा, एक लाख के करीब महिलाएं, पंडाल से एक सुर में आवाज गूंज रही- मेरे भैया, यानी शिवराज भैया, 'लाड़ली बहनों' के भैया, भांजियों के मामाजी. मेरे भैया की ये गूंज अगली बार फिर शिवराज सरकार की दस्तक देती दिखाई देती है. लाड़ली बहना योजना मध्यप्रदेश में फिर भाजपा सरकार की वापसी का रोडमैप तैयार करती दिख रही है. प्रदेश में लगभग 5 करोड़ 40 लाख मतदाता हैं. लाड़ली बहनों की पंजीकृत संख्या करीब एक करोड़ 25 लाख है और लगभग सभी मतदाता हैं, यानी कुल मतदाताओं का 25 फीसदी. ये 25 फीसदी शिवराज सरकार को अगले चुनाव में 150 से ज्यादा सीटें दिलवा सकती हैं.
लाड़ली बहना के सामने कांग्रेस की नारी सम्मान योजना है. भाजपा के एक हजार रुपए (अब 1250) के सामने कांग्रेस ने 1500 रुपए का ऐलान किया है. बावजूद इसके जनता के बीच उसकी चर्चा ज्यादा है. इस बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जनता चेहरे पर भरोसा करती है, कागजी पुर्जों पर नहीं. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान वह चेहरा बन चुके हैं जिन पर जनता, खासकर आर्थिक कमजोर और महिला वर्ग को बेहद भरोसा है. वे उन्हें वादा निभाने वाले अपने बीच के आदमी लगते हैं, जबकि कांग्रेस के कमलनाथ का सीधे जनता से कोई जुड़ाव नहीं है. वे एक उद्योगपति की छवि में कैद हैं. ऐसे में लाड़ली बहना के करीब एक करोड़ वोट शिवराज के चेहरे को मिलने की संभवना ज्यादा है. कांग्रेस की नारी सम्मान योजना कहीं भी इस दौड़ में नहीं दिखती.
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'लाड़ली बहना' से शिवराज की वापसी का गणित
मध्य प्रदेश में जिस तरह से लाड़ली बहना योजना की प्रतिक्रिया दिख रही है, उसने कांग्रेस की पूरी रणनीति को बैकफुट पर कर दिया है. आइए समझते हैं लाड़ली बहना का मतदान से गणित,
एक करोड़ से ज्यादा लाड़ली बहना बनीं प्रचारक
इस योजना को बारीकी से देखेंगे तो यह सिर्फ सवा करोड़ महिलाओं के वोट का मामला नहीं है.
यह प्रचार भी करीब एक फीसदी का अंतर डालेगा.
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परिवार साथ आया तो 170 सीटें भी संभव
लाड़ली बहना योजना से लाभान्वित परिवार भी शिवराज और भाजपा को वोट देने का मन बनाता दिख रहा है. यानी एक लाड़ली बहना से करीब तीन वोट जुड़े हैं. अगर ऐसा होता है तो भाजपा को 170 सीटें भी मिल सकती है.