Kargil Vijay Diwas 2024: भारत में हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है, हर भारतीय गर्व से कारगिल विजय को याद करता है. ये वे दिवस था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान की घुसपैठ को अपने शौर्य और पराक्रम से हरा दिया था. 26 जुलाई 1999 को लद्दाख के कारगिल द्रास और बटालिक सेक्टर में यह युद्ध प्रारंभ हुआ था. इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता साहस को याद कर प्रतिवर्ष कारगिल दिवस मनाया जाता है. इस युद्ध में 1042 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे. आज ही के दिन हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानियों को पस्त कर दुनियाभर में फिर देश की वीरता का झंडा बुलंद किया था.
जबलपुर का कारगिल विजय में योगदान
कारगिल की जीत में मध्य प्रदेश के जबलपुर की आयुध निर्माणियों और सैन्य संस्थानों का बड़ा योगदान था. युद्ध के लिए गोला बारूद की सबसे ज्यादा आपूर्ति जबलपुर से ही की गई थी. कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने के लिए जबलपुर की आयुध निर्माणियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दिन-रात काम किया. इस दौरान यहां गोला बारूद का सेना की आवश्यकतानुसार भरपूर उत्पादन किया गया था.
भारत-पाकिस्तान के बीच जब 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था तो इस युद्ध में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने साथ दिया. यही वजह रही कि भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए. जब कारगिल में युद्ध चल रहा था तो जबलपुर का रहा अहम योगदान रहा था. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया, गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री, ग्रे आयरन फॉउंड्री ने पूरा योगदान दिया था. यहां के कर्मचारी सेना के लिए युद्ध सामग्री बनाने में जुट हुए थे.
आयुध निर्माणी खमरिया Ordnance Factory Khamaria
आयुध निर्माणी खमरिया रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत स्थापित है. यह भारत की प्रमुख गोला-बारूद उत्पादन इकाई में से एक है. आयुध निर्माणी खमरिया का कारखाना 1943 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की सेनाओं के लिए गोला-बारूद की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था. आजादी के बाद, विभिन्न सेवाओं और अर्धसैनिक बलों की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रमुख उत्पाद इकाई है. 1962 में चीनी युद्ध और 1965 और 1971 में पाकिस्तान युद्धों और कारगिल युद्ध के दौरान सेना, वायु सेना और नौसेना की मांगों को पूरा किया था.
गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) जबलपुर Gun Carriage Factory (GCF) Jabalpur
जीसीएफ की स्थापना वर्ष 1904 में हुई थी. यह मध्य भारत की पहली आयुध फैक्ट्री है जो सशस्त्र बलों को नवीनतम आयुध, उच्चतम गुणवत्ता और अखंडता के साथ हथियार प्रदान कर रही है. जीसीएफ सेना और अर्ध-सैन्य बलों द्वारा की आवश्यकताओं के अनुसार भारतीय सशस्त्र सेना को नवीनतम और सबसे परिष्कृत विश्व स्तरीय हथियार प्रणालियों से लैस करने के लिए समर्पित है. जीसीएफ हथियारों की गुणवत्ता से समझौता किए बिना लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करती है. गन कैरिज फैक्ट्री सेना के लिए तोप बनाने का काम करती है. देश की सबसे ताकतवर "धनुष तोप" का निर्माण भी यहीं किया जाता है.
व्हीकल फैक्ट्री, जबलपुर Vehicle factory Jabalpur
भारत के सीमावर्ती राज्यों में हरे रंग के शक्तिमान ट्रक आपको सड़कों पर देखने मिलेंगे. इन सभी वाहनों में “शक्तिमान” ब्रांड के साथ व्हीकल फैक्ट्री, जबलपुर लिखा रहता है. शक्तिमान भारतीय सेना के आवागमन एवं मालवाहन का प्रमुख वाहन है. यह शक्तिशाली ट्रक कठिन चढ़ाई, दलदल और रेगिस्तान में आसानी से चल जाता है.
ग्रे आयरन फाउंड्री Grey Iron Foundry Jabalpur
ग्रे आयरन फाउंड्री की स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी. ग्रे आयरन फाउंड्री जबलपुर, मध्य प्रदेश में स्थित है. ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआईएफ) जबलपुर रक्षा विभाग के तहत आयुध निर्माणी बोर्ड की एक ISO14001:2004, 18001:2007, 50001:2011 प्रमाणित इकाई है. इस फैक्ट्री की स्थापना में स्कोडा, चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से की गई थी. यह फैक्ट्री ग्रे आयरन, एसजी आयरन, कास्ट आयरन और मीडियम कार्बन स्टील के विभिन्न ग्रेडों की कास्टिंग के उत्पादन में विशेषज्ञता रखती है. ग्रे आयरन फाउंड्री के पास आधुनिक मशीनों से सुसज्जित एक संपूर्ण निर्माण सेटअप है.
देश की सरहदों की रक्षा के लिए सैनिकों जब अपनी जानकी बाजी लगा रहे थे. उसी समय जबलपुर की सेना की इकाइयों से सैन्य टुकडि़यों को भी युद्ध के मैदान में कारगिल भेजा गया था. यहां सैनिकों ने वहां गजब के साहस और पराक्रम का परिचय दिया. मध्यभारत एरिया हेडक्वार्टर की ओर से युद्ध में सेना की सहायता के लिए दो रेजीमेंट कारगिल भेजी गई थीं. इतना ही नहीं, यहां की जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स, ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर एवं वन सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर के जवानों ने भी युद्ध के समय कई प्रकार से सहयोग दिया था.
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