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Kadaknath: सर्दियों में बढ़ी GI टैग वाले मुर्गे की डिमांड, 10 हजार ऑर्डर पेंडिंग, एक्सपर्ट ने ये कहा?

Kadaknath Demand: कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे का खून काले रंग का होता है. इसके अलावा मांस और हड्डियां भी काली होती हैं. कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है. इसी वजह से सर्दियों में इसके मांस का सेवन काफी लाभदायक और शरीर के लिए काफी हेल्दी माना जाता है.

Kadaknath: सर्दियों में बढ़ी GI टैग वाले मुर्गे की डिमांड, 10 हजार ऑर्डर पेंडिंग, एक्सपर्ट ने ये कहा?
Kadaknath Murga: ठंड में बढ़ी कड़कनाथ की डिमांड

Kadaknath Chicken: ग्वालियर-चम्बल (Gwalior Chambal) समेत पूरे देश में इस समय भीषण सर्दी (Winter) का प्रकोप है. हर तरफ कोहरे और शीत लहर का आलम है. लोग अपने शरीर में गर्माहट लाने के तरह तरह से तमाम उपाय कर रहे है और अपना खानपान मे  भी बदलाव ला रहे है. माना जाता है कि कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Chicken) की तासीर गर्म होती है, लिहाजा सामिष भोजन के शौक़ीन लोगों में ठंड के चलते कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड बढ़ गई है. इनका उत्पादन करने वाले ग्वालियर के केंद्र में यूपी, राजस्थान सहित देश के अनेक राज्यों से डिमांड आ रही है, लेकिन इन्हें सप्लाई नहीं हो पा रही और लंबी वेटिंग है.

ग्वालियर में होती है GI टैग वाले कड़कनाथ की फार्मिंग

आदिवासी इलाके झाबुआ और अलीराजपुर में कड़कनाथ मुर्गा पाया जाता है. इसे जीआई टैग भी मिला है. काले रंग के इस अलग तरह के मुर्गे को दुनियाभर में पहचान मिली हुई है. इसका गोश्त काफी गर्माहट देने वाला माना जाता है. मध्य प्रदेश सरकार ने इसकी ब्रांडिंग की और फिर इसे कृत्रिम तौर पर फार्मिंग के जरिये उत्पादित करने के लिए ग्वालियर के कृषि विवि के कृषि विज्ञान केंद्र में एक खास फार्म तैयार किया गया जहां अंड़ों के जरिये इनके चूजों को हैचिंग के जरिये तैयार किया जाता है और देश भर में इनकी सप्लाई की जाती है.

ठंड के कारण कड़कनाथ की बढ़ जाती है डिमांड

उत्तर भारत में इस दिनों काफी सर्दी है. इसका सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है कि कड़कनाथ मुर्गे का चिकन सर्दियों में काफी गर्म होता है. सर्दियों में इसका चिकन खाना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. यहीं कारण है कि सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गा की भारी डिमांड आ रही है और यह डिमांड मध्यप्रदेश से ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राजस्थान और दिल्ली से है.

राजमाता विजयराजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में अभी एक महीने में लगभग दो हजार चूजे तैयार हो रहे हैं जबकि यहां अभी करीब 10 हजार चूजों की डिमांड दिल्ली, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ मध्य प्रदेश के अन्य जिलों से आ रही है लेकिन अभी इनके इतने चूजे तैयार ही नही हो पा रहे और लंबी वेटिंग लगी हुई है.

देशभर में यहां से जाते हैं कड़कनाथ

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित राजमाता विजयराजे विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाला कृषि विज्ञान केंद्र मध्यप्रदेश का तीसरा कड़क नाथ का हैचरी सेंटर है. यहां पर कडकनाथ के अंडे से हेचरी के जरिए चूजे तैयार किए जाते हैं और प्रदेश के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं.यही कारण है कि जब ठंड की शुरुआत होती है तो इनकी डिमांड काफी बढ़ जाती है.यहां से मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र और हैदराबाद के भी लोग कड़कनाथ के चूजे और मुर्गा मुर्गी लेने पहुंचते हैं.कड़कनाथ मुर्गा का यह हेचरी  सेंटर ग्वालियर के अलावा मध्यप्रदेश में दो अन्य जगह और स्थित है. जहां ग्वालियर में यह कृषि विज्ञान केंद्र हर साल लगभग 50 हजार कड़कनाथ मुर्गों के चूजे तैयार करता है और पूरे देश भर में सप्लाई करता है.

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लगातार बढ़ता जा रहा है कड़कनाथ का उत्पादन

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ साइंटिस्ट डॉ राज सिंह कुशवाह ने बातचीत में  कहा कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र 2016 से कड़कनाथ का उत्पादन कर रहा है यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजों की हेचरी बनाई गई थी इसके बाद लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है.

कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि कड़कनाथ मुर्गे का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को ट्रेनिंग देकर इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.इसके साथ ही सर्दियों के सीजन में कड़कनाथ मुर्गा की डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि इनकी पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं लेकिन ज्यादातर प्रयास रहता है कि सभी लोगों को इसकी डिमांड पूरी की जाए.

अब तक लैब में हुए अनेकों शोध के अनुसार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों की सामान्य प्रजाति की मुर्गों से अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है. इसके साथ ही कड़कनाथ में प्रोटीन तत्व 25 फीसदी, फैट 0.73 से 1.03 प्रतिशत तक रहता है. इसके साथ ही लिनोलेनिक एसिड 24 फीसदीऔर कोलेस्ट्रॉल 184 मिलीग्राम होता है. कड़कनाथ की चिकन में प्रोटीन मुर्गी की अन्य प्रजातियों से ज्यादा होती है जबकि फैट और कोलेस्ट्रॉल होता ना के बराबर होता है. अच्छी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से इसमें बीमारियां भी नहीं होती है.

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