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National Flag Tiranga: 15 अगस्त को आसमां में लहराएगा ग्वालियर में बना तिरंगा, 20 तरह की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरता है राष्ट्रीय ध्वज

National Flag Tricolour Making Process: 79वीं भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर ग्वालियर स्थित मध्य भारत खादी संघ द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय ध्वज से कुल 17 प्रदेशों में ध्वजारोहण होगा. खास बात ये भी है कि इस बार इनमें दिल्ली  और भोपाल भी शामिल है, जहां ग्वालियर में निर्मित ध्वज ही फहराया जाएगा.

National Flag Tiranga: 15 अगस्त को आसमां में लहराएगा ग्वालियर में बना तिरंगा, 20 तरह की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरता है राष्ट्रीय ध्वज
Gwalior made national flag Tiranga making process

National Flag: भारतीय स्वतंत्रता की 79वीं वर्षगांठ पर आसमान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से भर जाएगा, मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में तैयार किया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस पर किया जाने वाला ध्वजारोहण सभी को गौरव का अनुभव कराता है, लेकिन क्या आप राष्ट्रीय ध्वज बनाने की प्रक्रिया से परिचित हैं?

स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का बड़ा योगदान रहा है. आजादी के आंदोलन में एक अस्त्र के रूप में काम करने वाला तिरंगा स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के मौके पर दिल्ली के लाल किले की प्राचीर के साथ देशभर में फहराया जाने वाला तिरंगा ग्वालियर शहर से बनता है.

तिरंगे का ध्वजरोहण सबको गौरव का अनुभव करता है

गौरतलब है गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस तिरंगे का ध्वजरोहण ही सबको गौरव का अनुभव करता है और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की शपथ दोहराता है. यही वजह रही कि स्वतंत्रता के पश्चात देश की संसद और  संविधान ने इसे देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया.

बहुत कठिन है राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बनाने की प्रक्रिया

देश की आन, बान और शान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बनाने की प्रक्रिया बहुत कठिन होती है. राष्ट्रीय ध्वज संहिता में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण की प्रक्रिया वर्णित है, जिसका निर्माण हर कोई नही कर सकता है. सरकार ने देश की दो संस्थाओं को ही इसके निर्माण का अधिकार दिया है, जो झंडे का निर्माण कर पूरे देश में सप्लाई करने के लिए अधिकृत है.

79वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर ग्वालियर स्थित मध्यभारत खादी संघ द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय ध्वज से कुल 17 प्रदेशों में ध्वजारोहण होगा. खास बात ये भी है कि इस बार इनमें दिल्ली  और भोपाल भी शामिल है, जहां ग्वालियर में निर्मित ध्वज ही फहराया जाएगा.

ग्वालियर की मध्य भारत खादी संघ बनाती है राष्ट्रीय ध्वज 

राष्ट्रीय ध्वज निर्माण के लिए जिन दो संस्थाएं अधिकृत हैं, उनमें ग्वालियर की मध्य भारत खादी संघ एक है. यह मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत की इकलौती संस्था है, जहां राष्ट्रीय ध्वज बनाए जाते है. स्वतंत्रता दिवस पर शासकीय और अशासकीय संस्थाओंं पर जितने भी ध्वजारोहण होते हैं, उनके लिए अधिकांश ध्वज  ग्वालियर से ही बनकर जाते हैं.

उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में बनता है राष्ट्रीय ध्वज

संघ के संचालक अरुण सिंह तोमर कहते  है कि ग्वालियर वासी ही नही, बल्कि पूरे एमपी के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि जहां भी ध्वजारोहण होना होता है, वहां ऑर्डर देने की प्रक्रिया के साथ ही ग्वालियर का जिक्र जरूर होता है. उन्होंने बताया कि ध्वज निर्माण में तय मानक का धागा तैयार करने से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है.

आईएसआई स्टेंडर्ड के तिरंगे देश में कर्नाटक के हुगली और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं. साल 2016 में केंद्र सरकार से आईएसआई का दर्जा हासिल करने वाली ग्वालियर की ध्वज निर्माण यूनिट मध्य भारत खादी संघ को किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में 5-6 दिन लगते हैं.

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के निर्माण में लगते है पांच से छह दिन

मध्य भारत खादी संघ संस्था के मंत्री राजकुमार शर्मा बताते  है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. इन दिनों हमारी यूनिट में 15 अगस्त  के लिए राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑर्डर इतने ज्यादा है कि पूरी यूनिट को रात और दिन काम करना पड़  रहा है.

हाथों से होता है धागा बनाने से लेकर तिरंगे का हर काम

उन्होंने बताया कि तिरंगे का डिमांड करने वाले सभी को वह राष्ट्रीय ध्वज सप्लाई नहीं कर पा रही है, क्योंकि इसके निर्माण को लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है. उन्होंने बताया कि तिरंगे के लिए धागा बनाने से लेकर हर काम हाथों से ही होता है. शर्मा कहते है कि अब तक 17 राज्यों को 70 लाख रुपए के ध्वज तैयार करके हम भेज चुके है. अभी भी काम जारी है.

तिरंगा निर्माण में पहले यार्न की टेस्टिंग किया जाता हैं, फिर बुनाई के बाद टेस्टिंग करवाते है, इसके बाद तीन कलर में इसकी डाई करवाई जाती है. स्टिचिंग के बाद डायमेंशन और कलर की मशीन के जरिए हर झंडे की कड़ी चेकिंग की जाती है कि ध्वज संहिता के सभी मानक पूरे रहें.

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बनाने में दर्जनों जांच से गुजरना पड़ता है

ग्वालियर राष्ट्रीय ध्वज निर्माण यूनिट की प्रभारी नीलू बताती है कि यहां ध्वज निर्माण की प्रक्रिया बीते ढाई दशक से चल रही है. केंद्र सरकार से 2016 में हमे आईएसआई का दर्जा  दिया. ध्वज निर्माण प्रक्रिया समझते हुए नीलू बताती हैं कि राष्ट्रीय ध्वज निर्माण को यार्न से लेकर फिनिश तक अनेक टेस्टिंग से गुजरना पड़ती है.

मध्य भारत खादी संघ में इतने साइज़ के झंडे होते हैं तैयार

नीलू का कहना  हैं कि अभी मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर 9 से 10 साइज के राष्ट्रीय ध्वज निर्माण कर देश को उपलब्ध कराता है,लेकिन मुख्य डिमांड तीन साइज़ के ध्वजों की रहती है, जिनका सबसे ज्यादा निर्माण हो रहा है. इनमे  2X 3 से 6X4 तक के झंडे बनाए जा रहे हैं. ध्वजारोहण में सबके ज्यादा इन्ही आकर वाले झंडों का उपयोग किया जाता है.

बीस से पच्चीस तरह ले परीक्षण से गुजरने के बाद ही राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आईएसआई टैग दिया जाता है. इसके बाद इसको कहीं भेजा जाता है. ग्वालिर स्थित मध्य भारत खादी संघ में बनने वाले सबसे छोटे आकार के ध्वज मंत्री या संवैधानिक व्यक्तित्व की कार में लगने वाले ध्वज होते हैं. 

हर साल ग्वालियर में  20 हजार से ज्यादा ध्वज होते हैं तैयार

संघ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का कहना है केंद्र में पहले एक साल में केवल 10 से 12 हजार झंडे तैयार होते थे, लेकिन अब लगभग 20 से 23  हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं. खादी केंद्र के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला.

संघ के लिए तिरंगे तैयार करना मुश्किल का काम होता है

मध्य भारत खादी संघ अध्यक्ष का मानना है कि किसी भी खादी संघ के लिए तिरंगे तैयार करना बड़ी मुश्किल का काम होता है, क्योंकि सरकार की अपनी गाइडलाइन है, उसी के अनुसार तिरंगे तैयार करने होते हैं. यही कारण है कि जब यहां तिरंगे तैयार किए जाते हैं तो उनकी कई बार बारीकी से मॉनिटरिंग करनी पड़ती है.

ग्वालियर स्थित मध्य भारत खादी संघ केंद्र की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला. देश में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण वाली इस संस्था से मध्य भारत के कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी जुड़ी रही हैं.

इन 16 राज्यों में फहराए जाएंगे ग्वालियर में बने राष्ट्रीय ध्वज 

सचिव राजकुमार शर्मा बताते हैँ कि यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखण्ड सहित 17  राज्यों में पहुंचाए गए हैं, हमारे लिए गौरव की बात तो यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे की शान बढ़ाते हैं. 

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