Malnutrition in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश विधानसभा (MP Assembly) के बजट सत्र (Budget Session) के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि प्रदेश में 1.36 लाख बच्चे कुपोषित हैं. इसके साथ ही प्रदेश (Madhya Pradesh) के तमाम जिलों के आंकड़े भी सामने आ गए हैं. जबलपुर (Jabalpur) में 691 बच्चे अति कुपोषित और 2398 बच्चे कुपोषित हैं. इन आंकड़ों के सामने आने के बाद प्रदेश में कुपोषण (Malnutrition) को लेकर बहस छिड़ गई है. इतने सारे बच्चों के कुपोषित होने की जानकारी के बाद सरकार का कुपोषण के खिलाफ उठाए गए कदमों पर सवाल उठने लगे हैं. आमतौर पर माना जाता है कि कुपोषण का कारण पोषित आहार का नहीं मिलना है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुपोषण के कई और भी कारण हैं. आइए हम आपको बताते हैं.
पोषण आहार देने के बाद भी कुपोषण क्यों?
सिविल सर्जन मनीष मिश्रा बताते हैं कि सरकार का पूरा ध्यान पोषण आहार पर ही है. लेकिन, बच्चों को सिर्फ पोषण आहार देने से कुपोषण दूर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को अब यह कारण देखना जरूरी है कि बच्चों को पोषण आहार देने के बाद भी कुपोषण क्यों दूर नहीं हो रहा है? डॉ मिश्रा ने बताया कि हमारे पास जो बच्चे आते हैं उसमें से कई बच्चों को सिकल सेल ट्रेड होता है, जो अधिकतर पकड़ में नहीं आता है. बच्चों का हीमोग्लोबिन कम होता है. अभी कई सारे बच्चे ऐसे मिल रहे हैं जिनमें सिकल सेल एनीमिया है. इसलिए वे कुपोषित हैं.
टीवी और डायरिया से भी बच्चे होते हैं कुपोषित
डॉ मिश्रा ने बताया कि कई बच्चों के दिल में छेद होने से वे कुपोषित हैं. लेकिन, पूरा ध्यान सिर्फ पोषण आहार पर दिया जाता है. कई सारे बच्चों को ट्यूबरक्लोसिस यानी टीवी की बीमारी होती है, जिसके कारण वे कुपोषित हो जाते हैं. तो अब जरूरत इस बात की है कि हमें कुपोषण की जड़ पर जाना आवश्यक है. बच्चे पोषण आहार के अतिरिक्त किस कारण से कुपोषित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण का एक कारण सफाई न रखना भी है. जिससे उनको बार-बार डायरिया होता है और बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है.
महिलाओं के कारण भी होता है कुपोषण
कुपोषण के बारे में डाइटीशियन अनीता साहू ने बताया कि वर्तमान समय में कुपोषण गरीब वर्ग के परिवारों के बच्चों में देखने को मिल रहा है. यहां की महिलाएं गर्भावस्था से ही खुद का ध्यान नहीं रखती हैं, जिस कारण से बच्चों में कुपोषण मुख्य तौर पर देखने को मिल रहा है. वह ना तो आहार ठीक से लेती हैं और उनका रहन-सहन भी उनके स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डालता है. जिससे बच्चे का विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है. गरीब वर्ग की महिलाओं का नशा करना भी कुपोषण की एक मुख्य वजह सामने आई है. अशिक्षा के कारण भी वह सरकार के द्वारा दिए जाने वाली सुविधा और दवाइयां टाइम से नहीं लेती हैं जो उन्हें और उनके बच्चों को बीमार बनाता है.
जबलपुर में बने हैं 9 NRC केंद्र
सरकार ने अपने स्तर पर कुपोषण के प्रति जागरूकता के लिए अलग-अलग प्रयास किए हैं और कुपोषण के उपचार के लिए न्यूट्रीशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (NRC) खोले हैं. जहां पर बच्चों को कुपोषण से उभारा जाता है. इन सेंटरों की सहायता से मां और बच्चे दोनों के पोषण के ऊपर काम किया जाता है. यहां पर मां के पोषण के लिए 100 रुपये और बच्चे के पोषण के लिए 70 रुपये खर्च किया जाता है. इन पैसों से इनको आहार और दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं.
न्यूट्रीशन रिहैबिलिटेशन सेंटर में बच्चों और मां को उनकी समस्या के हिसाब से 21 व 14 दिन के लिए रखा जाता है. इसके अलावा यहां उपचार के लिए आने वाली महिलाओं को सहायता राशि के रूप में 120 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है. जबलपुर में वर्तमान समय पर 9 NRC मौजूद हैं. मेडिकल हॉस्पिटल और विक्टोरिया हॉस्पिटल में 20 बेड और बाकी के 7 NRC 10 बेड के हैं. फिर भी जबलपुर में 691 बच्चे अति कुपोषित और 2398 बच्चे कुपोषित हैं.
अच्छा पोषण करेगा कुपोषण दूर
कुपोषण को दूर करने के लिए मुख्य तौर पर अच्छा भोजन ही सबसे लाभदायक साबित होता है. अच्छे कैल्शियम और प्रोटीन से भरा हुआ भोजन ही कुपोषण को दूर करने में सहायक होता है. कुपोषण को दूर करने के लिए मां और उनके परिवार वालों में जागरूकता बढ़ाना ही सबसे महत्वपूर्ण साबित होगा.
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