विज्ञापन

MP News: मध्य प्रदेश की जेलें भी हैं बीमार,  5500 कैदियों पर हैं मात्र एक डॉक्टर, इतने पद पड़े हैं खाली

Madhya Pradesh News Today: मध्य प्रदेश की 72 फीसदी जेलें डॉक्टर विहीन है. इसके अलावा, चिकित्सा स्टाफ के आधे पद भी खाली पड़े हैं. दो साल पहले इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 से पता लगा है कि मध्य प्रदेश में कैदियों को ढंग से इलाज नहीं मिलता है.

MP News: मध्य प्रदेश की जेलें भी हैं बीमार,  5500 कैदियों पर हैं मात्र एक डॉक्टर, इतने पद पड़े हैं खाली

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की जेल की जेलों का बुरा हाल. यहां एक तरफ क्षमता अधिक कैदियों को रखा गया है. वहीं, जेलों में स्वास्थ्य सुविधा का भी बुरा हाल है. हालत ये है कि जेल में आवश्यक डॉक्टर तक नहीं है. राज्य में जेल की स्वास्थ्य सेवाएं जुगाड़ के डॉक्टरों के भरोसे चल रही हैं. हालत ये है कि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त कैदियों को समय पर इलाज तक नहीं मिल पाता है. कई बार स्थितियां ऐसी बन जाती है कि डॉक्टरों की आपातकालीन जरूरत पड़त जाती है, लेकिन यहां पर स्थाई डॉक्टर्स की नियुक्ति तक नहीं हो पा रही है.

जबलपुर स्थित केंद्रीय जेल में जून महीने में एक हफ्ते के अंदर बीमारी से 3 कैदियों की मौत हो गई. आरोप है कि तीनों बीमार थे, लेकिन वक्त पर इलाज नहीं मिला. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में जेल प्रशासन ने 130 मौतें जेल के भीतर होने की रिपोर्ट दर्ज की थी. इनमें से केवल 5 कैदियों की मौत उम्रदराज होने की वजह से हुई थी, जबकि 125 की मौत आकस्मिक थी. इनमें से केवल आधे ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे.

Latest and Breaking News on NDTV

 5500 कैदियों पर है मात्र एक डॉक्टर

मध्य प्रदेश की 72 फीसदी जेलें डॉक्टर विहीन है. इसके अलावा, चिकित्सा स्टाफ के आधे पद भी खाली पड़े हैं. दो साल पहले इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 से पता लगा है कि मध्य प्रदेश में कैदियों को ढंग से इलाज नहीं मिलता है. दरअसल, यहां के जेलों की स्वास्थ्य सेवा के लिहाज से मानक पूरे नहीं होते हैं. हालत ये है कि इस मामले में मध्य प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है. नियम के मुताबिक 300 कैदियों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन प्रदेश में लगभग 5500 कैदियों पर मात्र एक डॉक्टर हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

जेल प्रशासन भी हालात से है वाकिफ

जेल विभाग की स्वास्थ्य सेवाएं जुगाड़ के भरोसे है. गिनती के पद हैं, वो भी खाली पड़े हुए है.प्रतिनियुक्ति पर उधार के डॉक्टरों की पदस्थापना एक बड़ी समस्या बन गई है. मध्य प्रदेश के जेल विभाग के महानिदेशक गोविन्द प्रताप सिंह कहते हैं कि जेल की व्यवस्थाओं में कमी तो है. जेल में 58 ही डॉक्टर स्वीकृत है, उनमें से भी आधे है नहीं हैं. आचार संहिता के पहले सरकार को हमने जानकारी दी थी, लेकिन छह सात महीने बीत चुके हैं, अब तक कोई व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि 58 में से सिर्फ 8 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं. इसके अलावा, 50 संविदा नियुक्त पद में से 25 पद खाली. उम्मीद है कि डॉक्टर मिल जाएंगे, तो बेहतर इलाज की व्यवस्था हो पाएगी.

जेलों में होता ऐसा सुलूक

9 साल पहले चैन स्नैचिंग के आरोप में सीमा के बेटे मोहसिन को क्राइम ब्रांच पूछताछ के लिए लेकर गई थी. बाद में टीटी नगर थाने के हवाले कर दिया गया. वहां पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर किया. परिजनों के आरोप है कि मोहसिन को हेलमेट पहनाकर करंट के झटके दिए गए. इसके साथ ही हाथ पैर बांध कर थाने में बैठाया गया.आरोप लगे कि पुलिस ने परिजनों से 2 लाख रुपये की मांग की थी. बात नहीं बनी, तो झूठे केस में फंसा दिया गया और न्यायालय में पेश कर मोहसिन को जेल भेज दिया गया. इसके बाद जेल में भी मोहसिन को बेरहमी से पीटा गया, जिससे भोपाल जेल में ही मोहसिन की मौत हो गई. गौरतलब है कि ये सब कोर्ट के फैसले में लिखा हुआ है.

डॉक्टरों ने फर्जी रिपोर्ट भी बनाई

मृतक मोहसिन को ट्रेन से मानसिक इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया. बाद में मोहसिन को ग्वालियर के JAH हॉस्पिटल के ICU ले गए, जहां उसे आखिरकार कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. हालांकि, मोहसिन की मां बाइट - सीमा रईस बताती है कि कोर्ट ने सही फैसला लिया है, लेकिन अब भी ये पूरा फैसला नहीं है. क्राइम ब्रांच में मेरे बेटे को टेबल के नीचे हथकड़ी लगाकर बैठा करके रखा था. बेटे को अलग-अलग थाने में ले जाया गया. जब जेल ले जाया गया तो उसकी स्थिति बहुत खराब थी. कंधे पर चार लोग लेकर गए थे. ग्वालियर अस्पताल के बाहर पुलिस वाले लाश को फेंक दिया था. उन्होंने बताया कि मेरा बेटा पागल नहीं था. उसे कोई दिक्कत या तकलीफ नहीं थी. पुलिस वालों ने 2 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन पैसे देने की मेरी स्थिति नहीं थी, जिसकी वजह से मेरे बेटे को उन लोगों ने मार दिया.

ये भी पढ़ें- RG कर अस्पताल की घटना से भी नहीं ली सीख ! अब इंदौर में आधी रात को डॉक्टर से शराबी ने की ऐसी हरकत

मंत्री की निगाह में सब चंगा सी

जेल सुधारात्मक राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष और मंत्री  नरेंद्र शिवाजी पटेल की निगाह में सब ठीक है. जेलों की बदतर स्वास्थ्य सेवा को ले कर जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिला जेल के अंदर अच्छी व्यवस्था है. हम कोशिश और प्रयोग कर रहे हैं कि जब बंदी को अस्पताल में लेकर आते हैं, तो अमला लगाना पड़ता है. ऐसे में डॉक्टर को जेल में भेजना ज़्यादा बेहतर रहता है. जेल में हम व्यवस्था कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग भी जाने को वहां तैयार हैं.

ये भी पढ़ें- Bulldozer Justice पर सुप्रीम कोर्ट का हथौड़ा, अब सरकारें नहीं कर पाएंगी मनमानी विध्वंस

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
शिवराज मामा के बड़े बेटे की इस दिन होगी सगाई, कार्तिकेय-अमानत की जोड़ी के लिए केंद्रीय मंत्री ने मांगा आशीर्वाद
MP News: मध्य प्रदेश की जेलें भी हैं बीमार,  5500 कैदियों पर हैं मात्र एक डॉक्टर, इतने पद पड़े हैं खाली
public representatives who saved the lives of 42 children were honored on the initiative of the CM, but no action has been taken against the responsible officers
Next Article
Dhar News: 42 बच्चों की जान बचाने वालों का हुआ सम्मान, पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कौन मेहरबान!
Close