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एमपी में गौरी घाट पर्यटन का बनेगा बड़ा केंद्र, अब सरयू के तट की तर्ज पर होगा विकसित

Good News For Gwarighat : मां नर्मदा की अमर गाथा दुनिया भर में गाई जाती है. वहीं, मां के भक्तों समेत गौरी घाट आने वाले सभी पर्यटकों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि अब सरयू नदी के तर्ज पर गौरी घाट का विकास किया जाएगा. पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने इस मामले पर बड़ी जानकारी दी.

एमपी में गौरी घाट पर्यटन का बनेगा बड़ा केंद्र, अब सरयू के तट की तर्ज पर होगा विकसित
एमपी में गौरी घाट पर्यटन का बनेगा बड़ा केंद्र, अब सरयू के तट की तर्ज पर होगा विकसित.

MP News: अब मध्य प्रदेश में जबलपुर मां नर्मदा के तट पर स्थित गौरी घाट की तस्वीर बदल जाएगी. क्योंकि गौरी घाट का विकास सरयू नदी की तर्ज पर किया जाएगा. ये काफी खास होगा. पर्यटकों को खूब भाएगा.  गौरी घाट को यहां विस्तृत, सुंदर और सुविधाजनक बनाया जाएगा, ताकि श्रद्धालु और पर्यटक मां नर्मदा के तट पर आकर उसकी पवित्रता और शांति का अनुभव कर सकें.मध्य प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने जबलपुर नर्मदा तट गौरीघाट में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का निरीक्षण किया. मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि गौरी घाट को सरयू नदी के तट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. 

पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने गौरी घाट में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का निरीक्षण किया.

पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने गौरी घाट में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का निरीक्षण किया.

मंत्री राकेश सिंह ने एमपीआरडीसी की कंसल्टेंट टीम के साथ इस परियोजना की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने कहा कि यह परियोजना धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी और नर्मदा तट की सुंदरता में वृद्धि करेगी.

जानें क्या है धार्मिक महत्व

यह घाट हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है.

यह घाट हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है.

गौरी घाट पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. यह घाट हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यहां कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैं. माना जाता है कि नर्मदा स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है. गौरी घाट पर प्रतिवर्ष मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, और नर्मदा जयंती जैसे धार्मिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं. महाशिवरात्रि पर इस घाट पर विशेष रूप से शिव भक्तों की भीड़ होती है, और नर्मदा अष्टक का पाठ भी किया जाता है.

ये घाट साधना का रहा है केंद्र

गौरी घाट का ऐतिहासिक महत्व भी है. इसका नाम "गौरी" देवी के नाम पर पड़ा है, और यहां कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं. नर्मदा नदी का यह तट जबलपुर की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है, जहां कई संत-महात्माओं ने तपस्या की है. गौरी घाट और इसके आसपास का क्षेत्र प्राचीन समय से साधु-संतों के ध्यान और तप का केंद्र रहा है, जहाँ उन्होंने गुफाओं और आश्रमों में निवास किया है.

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प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन

गौरी घाट का प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने योग्य है.

गौरी घाट का प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने योग्य है.

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ, गौरी घाट का प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने योग्य है. यहां का शांत वातावरण, नर्मदा नदी के किनारे की हरियाली, और सूर्यास्त का दृश्य इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं. पर्यटक यहां नौकायन का आनंद भी लेते हैं और नर्मदा नदी की सुंदरता का अनुभव करते हैं. इस प्रकार, गौरी घाट जबलपुर में धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र है.

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