
सतना जिले के नागौद विकासखंड के शिवराजपुर संकुल क्षेत्र के इटमा गांव में शिक्षा का अधिकार आज भी अधूरा नजर आ रहा है. प्राथमिक विद्यालय भवन के अभाव में पिछले 12 साल से मासूम बच्चे सड़क किनारे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इस विद्यालय में फिलहाल 19 छात्र नामांकित हैं, लेकिन न तो उनके पास पक्की छत है और न ही पढ़ाई के लिए सुरक्षित वातावरण.
गांव के ही निवासी दरबारी लाल लोधी ने बिना किराए अपना घर विद्यालय संचालन के लिए उपलब्ध कराया है. हालांकि, जगह कम पड़ने के कारण बच्चे अधिकतर समय सड़क किनारे ही बैठकर पढ़ाई करने को विवश रहते हैं. यह स्थिति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डाल रही है, बल्कि मासूम बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से भी चिंता का विषय बनी हुई है.
शिक्षा विभाग और प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
गौरतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष के बजट में विद्यालय भवन निर्माण के लिए करीब 10 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन अब तक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार मांग करने के बाद भी शिक्षा विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है..
जमीन अभी तक नहीं मिली
इस संबंध में बीआरसी कुलदीप मौर्य ने बताया कि भवन निर्माण के लिए जमीन तलाशने का जिम्मा विद्यालय प्रमुख को सौंपा गया है और इस संबंध में पत्र भी लिखा गया है. हालांकि, अब तक समाधान निकल नहीं पाया है.
गांव के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि शासन-प्रशासन जल्दी ही जमीन उपलब्ध कराकर भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू करे, ताकि बच्चों को सड़क किनारे नहीं बल्कि सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिल सके.
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