
MGM Medical College Indore: मध्य प्रदेश के आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) में एक बड़े मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब जांच रिपोर्ट सामने आई. जांच रिपोर्ट के अनुसार शहर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College) में फर्जी नियुक्तियां (Fake Appointments) की गई है. इस नियुक्ति के आधार पर काम कर रहे लोग हर महीने डेढ़ लाख रुपए कमा रहे हैं. स्कूल ऑफ आई फॉर एक्सीलेंस में डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर चल रही जांच को लेकर समिति ने रिपोर्ट डीन को सौंप दी है. रिपोर्ट मिलते ही आगे की कार्रवाई के लिए भोपाल भेजी है, इस रिपोर्ट में पाया गया कि डॉक्टरों के आवेदन फॉर्म तो नहीं मिले, लेकिन उनके द्वारा पदों के लिए फॉर्म के साथ जमा की शुल्क की रसीद और उसकी रजिस्टर में एंट्री मिली है. जमा किए गए फॉर्म के आधार पर स्क्रूटनी कमेटी द्वारा इंटरव्यू के लिए पात्र घोषित किए गए दस्तावेज समिति को नहीं मिले.
क्या है मामला?
2019 में यहां पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डॉ. ऋषि गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर डॉ. टीना अग्रवाल और डॉ. मीता जोशी को नियुक्त किया था. करीब दो साल पहले शिकायत हुई थी. इसके बाद नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति रावत की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी. शिकायत में कहा था तीनों को बिना आवेदन नियुक्ति दी गई. उनकी डिग्री और अनुभव को लेकर भी सवाल उठाए गए. वहीं जांच रिपोर्ट में पाया गया कि डॉ. जोशी का एसोसिएट प्रोफेसर पद पर चयन हुआ है, लेकिन इस पद के लिए कोई आवेदन जांच समिति को नहीं मिला. उन्होंने एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर, दो पदों के लिए आवेदन दिया था. डॉ. टीना अग्रवल के फॉर्म में उनका नाम नहीं बल्कि मेशिएलिटी का उल्लेख था. विट्रो रेला की स्पेशिएलिटी वाला एक ही पद था.
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शिकायतकर्ता ने क्या कहा?
एनडीटीवी से बातचीत में शिकायतकर्ता डॉ कमल गोस्वामी ने बताया कि साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर को सौगात दी थी. जिसमें स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर आई के अंतर्गत 6 डॉक्टर की नियुक्ति की गई. इसमें तीन डॉक्टर की अवैधानिक रूप से बिना किसी क्वालिफिकेशन के या इंटरव्यू हुए उन्हें नियुक्ति दे दी गई.
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शिकायतकर्ता ने कहा कि इसके लिए प्रथम अपील मैंने भोपाल में स्वास्थ्य आयुक्त में की, इसके बाद भोपाल से सभी प्रकार की जानकारी देने के लिए निर्देशित किया गया, हालांकि आधी जानकारी ही प्राप्त हो सकी. इसके बाद दोबारा आरटीआई लगाने पर इन सभी नियुक्तियों पर क्वालिफिकेशन के सभी दस्तावेज मांगे गए और इन सभी दस्तावेजों का परीक्षण करने पर पता लगा कि ना ही इनका कोई आवेदन है और ना ही किसी प्रकार का क्वालिफिकेशन. इसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्री से भी की थी. तब से लेकर अब इसके लिए कमेटी गठित की गई है. कमेटी द्वारा बुलाए जाने पर उनके सामने साक्ष्य रखे गए.
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