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22 ट्रक में भरकर लाए 80 हजार KG ड्रग्स, ₹8600 करोड़ का 'नशा' स्वाहा! नीमच में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

Neemuch Cement Factory: केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर 11 जनवरी से 25 जनवरी तक ड्रग्स डिस्पोजल पखवाड़ा मनाया जा रहा है. ये मादक पदार्थ उज्जैन जोन के 7 जिले नीमच, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, आगर मालवा, देवास और शाजापुर के विभिन्न थाना क्षेत्र में जब्त किए गए थे.

22 ट्रक में भरकर लाए 80 हजार KG ड्रग्स, ₹8600 करोड़ का 'नशा' स्वाहा! नीमच में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
Neemuch Cement Factory: 80 हजार किलो ड्रग्स जलाई गई

Drugs Burnt in MP: मध्य प्रदेश में सात जिलों में एक साल में जब्त (Drugs Seized) की गई करीब 80,000 किलो मादक पदार्थों को नीमच जिले की एक सीमेंट फैक्ट्री (Cement Factory) में जलाया गया. इन इलाकों के लगभग सभी थानों के करीब 456 मामलों में जब्त - अफीम (Afeem), स्मैक, एमडीएम (MDM), गांजा (Ganja), चरस सहित दूसरे मादक पदार्थों (Drugs)  को 16 घंटे के भीतर जला दिया गया, यह अपने आप में पूरी दुनिया में एक रिकॉर्ड (World Record) है.

Neemuch Cement Factory: 80000 KG drugs destroyed

Neemuch Cement Factory: 80 हजार KG ड्रग्स को जलाया गया
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

कैसे हुई पूरी प्रक्रिया?

गुरुवार सुबह ड्रग्स से भरे 22 ट्रक नीमच की सीमेंट फैक्ट्री पहुंचे. एक साल के भीतर उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, आगर-मालवा, देवास और शाजापुर जिलों से इस ड्रग्स को जब्त किया गया था. तय योजना के मुताबिक सुबह 7 बजे से जब्त किए गए मादक पदार्थों को सीमेंट फैक्ट्री के भट्ठे में डालकर जलाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो रात 11 बजे तक चली. भट्ठे के 1400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इन मादक पदार्थों को जलाकर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. 

इतने ज्यादा मादक पदार्थ और अफीम को जलाने में लगभग 200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इस ड्रग्स की कीमत लगभग 8600 करोड़ थी.

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किसने क्या कहा?

स्थानीय एसपी अंकित जायसवाल ने कहा कि एक ही समय में इतना मादक पदार्थ, एक ही जगह पता किया. ये अपने आप में रिकॉर्ड है. वहीं इसकी प्राप्त ग्रीन ऊर्जा से फैक्ट्री चलाने को लेकर उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ का नष्टीकरण हुआ इसकी कैलोरिफिक वैल्यू है, उसका इस्तेमाल करते हुए रॉ मैटिरियल यूज किया गया. कोयले के रिप्लेसमेंट के आधार पर यूज किया था. फैक्ट्री का काम इसके बेसिस पर चला.

बता दें कि पूरी प्रक्रिया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों की अनुमति के बाद की गई. लगभग 80 टन मादक पदार्थों को पूरी तरह से भट्ठे में नष्ट किया गया, जिससे फैक्ट्री से धुएं का एक भी कण बाहर नहीं निकला. प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल थी.

वैज्ञानिक हरिशंकर शर्मा कहते हैं कि उज्जैन और रतलाम रेंज के डीआईजी की कमेटी रहती है, हम पॉल्यूशन बोर्ड की तरफ से रहते हैं और वॉच करते हैं, हार्मफुल गैस कंट्रोल करके रहते हैं.

क्या-क्या जलाया गया?

सीमेंट फैक्ट्री में जलाए गए मादक पदार्थों में ब्राउन शुगर, गांजा, एमडीएमए, चरस और एलप्राजोलम जैसे 10 प्रकार के मादक पदार्थ शामिल थे. इसके अलावा, 168 किलो अफीम भी जलाई गई. इन मादक पदार्थों को जलाने से उत्पन्न गर्मी का उपयोग सीमेंट फैक्ट्री में "ग्रीन फ्यूल" के रूप में किया गया, जिससे उत्पादन प्रक्रिया को ऊर्जा मिली और कई घंटों तक फैक्ट्री में काम होता रहा.

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