India's First Solar City Sanchi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का विश्व विख्यात बौद्ध पर्यटन स्थल सांची (Sanchi) एक साल पहले प्रदेश का पहला सौर ऊर्जा (Solar City) से चलने वाला शहर बना था. तब देश-विदेश में भी जमकर इसकी चर्चा हुई थी. हो भी क्यों न, यहां का हर घर, सड़क, दफ्तर और तकरीबन सब कुछ सौर ऊर्जा से जो रौशन हो रहे थे. सरकार ने भी इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. सारे सरकारी भवन जैसे रेलवे स्टेशन, होटल गेटवे, सीएम राइज स्कूल (CM Rise School) और पोस्ट ऑफिस इन सब पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की गई.
इसके साथ ही लगने लगा कि सांची रात के अंधेर में भी सूरज की रोशनी से जगमगाएगा. लोगों के बिजली के बिल कम होंगे और पर्यावरण को जो लाभ पहुंचेगा, उसे तो लोग बोनस मानने लगे थे. लेकिन ठीक एक साल बाद हालात बदल गए है. सोलर सिटी अंधेरे में डूबी हुई है. जगमग रोशनी के सपने बुझ गए. आखिर ऐसा क्यों हुआ? अब इस मसले पर खुद सरकार का क्या कहना है? आपको इन सारे सवालों का जवाब इस रिपोर्ट में मिलेगा.
सोलर सिटी का हाल बेहाल
चलिए शुरुआत से चीजों को समझते हैं. पिछले साल सितंबर में ऐतिहासिक शहर सांची को दुनिया की पहली सोलर सिटी का खिताब दिलाने का मिशन शुरू किया गया था. शहर के हर वार्ड और गलियों को रोशन करने के लिए सोलर पैनल की स्ट्रीट लाइट लगाई गई. राहगीरों के लिए सोलर प्याऊ बनाए गए. स्तूप चौराहे पर एक बड़ी सोलर लाइट से चलने वाली LCD लगाई गई. लोगों के बैठने के लिए सोलर ट्री बनाई गई. स्थानीय लोगों को बताया गया कि ये सब सूरज की रोशनी से चलने वाले हैं. सोलर प्लांट लगाने पर करीब 19 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, इस मामले को लेकर जब मध्य प्रदेश के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में फिलहाल ये मामला नहीं है. आपने कहा है, तो मैं इसे दिखवाकर जो उचित होगा, वो करवाऊंगा.
बिजली बिलों से राहत की थी उम्मीद
तब ये दावा किया गया था कि सोलर सिटी बनते ही सांची के स्थानीय लोगों को बिजली बिलों से राहत मिल जाएगी. इसके अलावा 24 घंटे शहर को लाइट मिल सकेगी. हालांकि, साल भर बाद सोलर लाइट की जगह केवल पोल ही नजर आ रहे हैं , जो बचे हैं, वो भी जलने की राह भर ही देख रहे हैं. नागौरी के किसान जवाहर सिंह पटेल को सोलर सिटी बनने से काफी उम्मीदें थी, लेकिन बनने के बाद अब वो नाउम्मीद नजर आते हैं. वे कहते हैं सरकार ने जितना प्रचार किया था, धरातल में उसका कुछ फायदा नहीं मिल सका. सांची के ही कारोबारी संतोष दुबे तो सोलर सिटी के नाम पर भड़क जाते हैं. वे कहते हैं कि सोलर सिटी के नाम पर धोखा हुआ है.
पहाड़ी पर 18.75 करोड़ की लागत से लगा था सोलर प्लांट
बता दें कि नागौरी की पहाड़ी पर 18 करोड़ 75 लाख की लागत से सोलर प्लांट लगा था. इसके लिए 5 सालों में पहाड़ी को मशीनों से समतल किया गया. बताया गया कि शहर का औसत मासिक बिजली बिल करीब 1 करोड़ रुपये आता है, जो सौर ऊर्जा आने के बाद काफी कम हो जाएगी. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं, उल्टे जनता की कमाई के करोड़ों रुपये डूब गये. मसलन सांची को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नगर परिषद को इसी प्रोजेक्ट के तहत ई-रिक्शा उपलब्ध कराया गया, एक बड़ा चार्जिंग पॉइंट भी बनाया गया, लेकिन आज यह ई-रिक्शा नगर पालिका भंगार में जा चुके हैं.
हालांकि, इस मामले में सांची के तहसीलदार नियति साहू का कहना है कि हमने एनर्जी विभाग को पत्र लिखकर सूचना दे दी है. सोलर की जो लाइटें खराब है, उनका मेंटेनेंस कराया जाए. इसके लिए हमने नगरीय प्रशासन को भी सूचना दे दी है. इसको लेकर समय-समय पर उन्हें अवगत कराया जाता है.