Madhya Pradesh High Court News: सेना (Indian Army) में रहते हुए दो युद्ध (Army War) में शिरकत करते हुए वीरता पुरस्कार (Gallantry Award) पाने वाले व्यक्ति को सरकार (Madhya Pradesh Governmnet) की ओर से दी गई पंद्रह एकड़ जमीन (Land) का पट्टा आवंटित न किये जाने के मामले को हाईकोर्ट (MP High Court) ने काफी गंभीरता से लिया है. सुनवाई के दौरान (High Court Hearing) न्यायालय (Court) ने पाया कि जमीन के पट्टे के लिए उसने तहसीलदार (SDM) के समक्ष आवेदन किया था. तहसीलदार द्वारा आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ उनके पुत्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस (High Court Justice) एमएस भट्टी की एकलपीठ ने पाया कि 14 साल पूर्व दायर की गयी याचिका में अभी तक सरकार की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए तहसीलदार सोहागपुर को निर्देशित किया है कि वे चार माह में याचिकाकर्ता के आवेदन का निराकरण करें, तब तक न्यायालय ने उक्त जमीन पर अपनी रोक बरकरार रखी है.
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता साहेब सिंह बनकर की ओर से हाईकोर्ट में साल 2010 में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि उनके पिता भोला सिंह भारतीय सेना (Indian Army) में थे और दो युद्ध लड़े थे. युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन करने के कारण उन्हें वीरता पुरस्कार भी मिला था.
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अगस्त 2010 में नोटिस जारी किये गये थे. सरकार को अप्रैल 2024 में जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया गया था. अंतिम अवसर प्रदान किये जाने के बावजूद भी जवाब पेश नहीं किया गया.
कोर्ट ने क्या कहा?
एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि तहसीलदार सोहागपुर ने अभी तक आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया है, तो वह ग्राम सरपंच सहित अन्य संबंधित को सुनवाई का अवसर प्रदान करें. तहसीलदार चार माह की निर्धारित अवधि में आवेदन का निराकरण करें.
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