विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Aug 23, 2023

'चंदा मामा' से मिलने पहुंचा भारत, मध्यप्रदेश के इन 'तीन नायकों' का है अहम योगदान

चंद्रयान-3 के लैंडर के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के साथ ही पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. भारत ने जो इतिहास रचा है उसमें मध्यप्रदेश के तीन युवा वैज्ञानिकों का भी खास योगदान है. जानिए हमारे राज्य के इन तीन लालों के बारे में

Read Time: 6 min
'चंदा मामा' से मिलने पहुंचा भारत, मध्यप्रदेश के इन 'तीन नायकों' का है अहम योगदान

चंद्रयान-3 के लैंडर के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन की लीग में शामिल हो गया. हालांकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का तमगा अकेले अपने देश के पास है इस ऐतिहासिक उपलब्धि में कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का परिश्रम है, जिसमें तीन मध्यप्रदेश से हैं. मध्यप्रदेश के तीन जिले आज चांद पर हैं. इन तीन वैज्ञानिकों ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये अहम मिशन चंद्रमा में पूरे देश और राज्य के सपनों और आकांक्षाओं को लेकर उड़ान भरी है.

v3psfhd

बालाघाट के महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. वे 30 सालों से इसरो में काम कर रहे हैं.
Photo Credit: रुपेश, बालाघाट

 नक्सल प्रभावित बालाघाट के वैज्ञानिक महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. उनके पास अंतरिक्ष क्षेत्र में 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने चंद्रयान-1 और मंगलयान सहित कई अन्य मिशनों पर काम किया है। बुधवार को उनके परिवार की दिल की धड़कनें करोड़ों लोगों के उत्साह और उम्मीद के साथ धड़क रही थीं, उनके पिता खुशीलाल ठाकरे ने एनडीटीवी से कहा कि महेन्द्र लॉन्चिंग में टीम मैनेजर के रूप में काम कर रहे हैं, वो खुद अपने बेटे की उपलब्धि पर बेहद गौरवान्वित हैं. उनके गांव के ही रामेश्वर चौधरी कहते हैं वो हमारे जिले का नाम ऊपर कर रहा है, हमारे देश का नाम रोशन किया है, हम सब बहुत खुश हैं. 
बालाघाट ज़िले में कैंडाटोला गांव के रहने वाले वैज्ञानिक महेंद्र कुमार ठाकरे ने बिरसा के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद आईआईटी दिल्ली में दाखिला लिया फिर वहां से इसरो का सफर तय किया.

44 साल के महेंद्र ठाकरे राकेट टीम में शामिल हैं, जिसने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में भेजा है. ठाकरे पिछले 16 सालों से इसरो में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.

चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए बनाए गए लांच व्हीकल एलव्हीएम 3 के अनुसंधान में उमरिया जिले के युवा वैज्ञानकि प्रियांशु मिश्रा का किरदार भी अहम है. प्रियांशु उमरिया जिले के छोटे से कस्बे चंदिया के रहने वाले हैं. प्रियांशु जिस टीम में शामिल हैं उसने ही चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट को लिफ्ट टाक्स से पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षा में छोड़ने तक के तीनों चरण की ट्रेजेक्टरी डिजाइन की है। प्रियांशु मिश्रा ने भोपाल से स्कूल, देहरादून से इंजीनियरिंग और रांची से एमटेक की पढ़ाई की, 2009 से वो इसरो में काम कर रहे हैं. उनकी मां प्रतिभा मिश्रा ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा आज अपनी बेटी की सफलता में मैं बहुत गर्व महसूस कर रही हूं.  जबकि उनके पिता विनोद मिश्रा कहते हैं यह उपलब्धि बहुत बड़ी पूरे देश के लिये है, पहली बार दक्षिण ध्रुव में लैंडिंग हो रही है जिसमें प्रियांशु मिश्रा का रोल भी अहम था. ये वैज्ञानिक भारत देश के दिन रात काम करते हैं, अथक परिश्रम करते हैं भारत सरकार जिस तरह से बजट देती है सब इसमें समाहित है.

eh1lsh08

इसरो के युवा वैज्ञानिक प्रियांशु मिश्रा की सफलता से उनके माता-पिता बेहद प्रसन्न हैं. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है.
Photo Credit: ज्ञान शुक्ला

ओम पांडे सतना के युवा वैज्ञानिक हैं, उनकी टीम ने चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभाई है. ओम उस टीम का हिस्सा हैं जो चंद्रयान की अंतरिक्ष की कक्षा और प्रक्षेपवक्र की निगरानी के लिए जिम्मेदार है. वह चंद्रमा पर लैंडर उतारने की प्रक्रिया में भी शामिल है। ओम पांडे का जन्म सतना जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर 2018 में एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हो गए.

परिवार कहता हैकि  वो हमेशा से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान देना चाहते थे. वो लगभग 5 साल से इसरो में है, ओम चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा भी रहे हैं.ओम सतना के करसरा गांव के रहने वाले हैं, इन दिनों वो मॉरीसस के इसरो मॉनीटरिंग सेंटर में तैनात हैं.

ओम की उपलब्धि पर परिवार,गांववाले सब खुश हैं. उनके बड़े भाई सूर्यप्रकाश पांडे ने कहा कि मेरे छोटे भाई  ओम पांडे के लिये पूरे गांव को गर्व है, आंखों में खुशी के आंसू लिये मां कुसुम पांडे कहने लगीं कि बेटा कोई परेशानी नहीं होने देता है हमेशा बात करता है. पत्नी शिखा बताती हैं कि पति को देखकर और बच्चे बोल रहे हैं इस फील्ड में जाना चाहिये. बहुत सारे लोग उनसे पूछते हैं, इसरो में कैसे जाते हैं. 
     बचपन में हम सब सुनते थे चंदा मामा दूर के... लेकिन देश की इस उपलब्धि से चंदा मामा बहुत पास लगने लगे हैं. मध्य प्रदेश के 3 बेटे, इस बात का उदाहरण हैं कि जुनून और सपनों से प्रेरित होकर मानवता क्या हासिल कर सकती है, लक्ष्य के लिये शहर मायने नहीं रखता सपने मायने रखते हैं.

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close