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सांपों की अजीब अदालत ! कांडी की धुन पर हाजिर हो जाते हैं नागराज, जानें क्या है इतिहास

Snakes Court: सांपों की अदालत शायद पहली बार ही ऐसी आदालत का नाम सुना होगा आपने. ये अदालत करीब 100 सालों से चल रही है. यहां खुद नागराज पेशी करने आते हैं. बस इंतजार रहता है तो कांडी की धुन का. यहां NDTV स्पष्ट कर रहा है कि ऐसी लोक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. 

सांपों की अजीब अदालत ! कांडी की धुन पर हाजिर हो जाते हैं नागराज, जानें क्या है इतिहास
(संकेतिक फोटो, क्रेडिट AI मेटा) सांपों की अजीब अदालत ! कांडी की धुन पर हाजिर हो जाते हैं नागराज, जानें क्या है इतिहास.

Snakes Court In MP Sehore : क्या सांप भी अपनी बात बोल सकते हैं, सर्पदंश के मामले के बाद वो इंसानों को काटने की वजह बता सकते हैं. खुद इंसानों के शरीर में आकर. सुनने और पढ़ने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा. लेकिन ऐसी लोकमान्यताएं हैं, जहां सांपों की अदालत लगती है.ऐसी अदालत लग रही है एमपी के सीहोर जिले में. जानिए क्या इस अदालत का क्या है इतिहास.

ये प्रथा 100 वर्षों से चली आ रही 

 सीहोर के ग्राम लसूड़िया में सांपों की अदालत के दौरान का एक चित्र.

सीहोर के ग्राम लसूड़िया में सांपों की अदालत के दौरान का एक चित्र.

जमाना भले ही चांद और मंगल ग्रह की बात करे, पर सीहोर के ग्राम लसूड़िया परिहार में आज भी सर्पदंश से पीड़ित लोग स्वस्थ होने के लिए मंदिर में आते हैं. अब आप इनके इस विश्वास को आस्था कहें या अन्धविश्वास. इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता है, और ये आस्था या अंधविश्वास की प्रथा 100 वर्षों से चली आ रही है. सीहोर के ग्राम लसूड़िया परिहार में सालोंं से नागों की अदालत लगती है, जहां पेशी पर नाग स्वयं मानव शरीर में आकर डसने का कारण बताते हैं.

दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई

मप्र की राजधानी भोपाल के सीहोर जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को यह नजारा देखने को मिल रहा है. कई तो केवल इसी रहस्य को देखने गांव पहुंचे थे. लसूड़िया परिहार में स्थित राम मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई. इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है. दीपावली के दूसरे दिन आज सांप के काटे करीब पांच दर्जन लोग पहुंचे हैं.

आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा ?

हनुमान जी की मड़िया के सामने लगी सांपों की पेशी के दौरान हजारों लोग यह जानने पहुंचे थे कि आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा. कारण जानने के लिए कांडी की धुन पर भरनी गाकर इन्हे पेशी पर बुलाया गया. इस दौरान पेशी पर पहुंचे सांपों ने शरीर में आकर काटने का कारण बताया गया. गांव के शख्स की मानें, तो यहां होने वाली सांपों की पेशी हमारी तीन पीढ़ी करती आ रही है.

'तूने तो मेरा ही घर तोड़ दिया..'

दीपावली के दूसरे दिन प्रदेश भर से सांप के काटने से पीड़ित लोग यहां आते हैं, काटने का कारण जानते हैं. कारण जानने के साथ ही दोबारा ऐसी घटना न हो जिसके लिए सांपों से वचन भी लिया जाता है. सांप की आत्मा ने कहा तेरे खेत में शांति से रहता था, तूने तो मेरा ही घर तोड़ दिया, तेरे खेत में शांति से रहता था. तूने तो मेरा ही घर तोड़ दिया. इसी की सजा मैंने तुझे दी थी. मैं तो तुम्हारे परिवार का हर जगह साथ दिया था और तुमने मुझे अपने से दूर क्यों कर दिया. कुछ इस तरह के सवाल पेशी के दौरान मानव के शरीर में सांपों की आत्मा ने आकर बताए. सांपों के पेशी में आने का कार्यक्रम सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता है.

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कांडी और भरनी की धुन पर

पिछले एक साल में सांप के काटने से पीड़ित लोग अपनी परेशानी लेकर मंदिर पहुंचते है. जहां काटे जाने का कारण जानने के लिए ढोल मंजिरों और मटकी की धुन पर कांडी व भरनी गाई जाती है, जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति सांप की तरह लहराने लगता है, जहां पेशी पर बुलाए गए सांप काटे जाने का कारण बताते है. मुन्ना यादव ने बताया की कांड़ी, भरनी और विशेष मंत्र के साथ दोबारा पीड़ित को न काटे इसका संकल्प लिया जाता है.

डिसक्लेमर:  यहां NDTV स्पष्ट कर रहा है कि ऐसी लोक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ऐसे किसी भी दावे की हम पुष्टि नहीं करते हैं.

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