
MP Rajesh Mishra : सीधी में विश्वविद्यालय खोलने के लिए सदन से मांग की गई है. यदि ऐसा होता है, तो आदिवासी बाहुल्य जिले के लिए ये एक बड़ी सागौत होगी. बीते दिन सीधी सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने लोकसभा में सीधी मुख्यालय में विश्वविद्यालय खोले जाने का मुद्दा उठाया. इसके बाद से जिले वासियों की उम्मीदें और भी विवि. को लेकर बढ़ गई हैं. वहीं, छात्र-छात्राओं में खुशी देखी जा रही है. दरअसल, सीधी जिला मध्य प्रदेश के पुराने जिलों में शुमार है. पहले सीधी सिंगरौली एक हुआ करता था और सीधी के नाम से ही सिंगरौली का नाम भी चलता था. लेकिन विभाजन के बाद सिंगरौली अलग हो गया. सीधी दो जिलों में बट गया. ऐसे में पूरे लोकसभा क्षेत्र में विश्वविद्यालय की काफी समय से जरूरत बनी हुई है. यहां के छात्र-छात्राएं शिक्षा के लिए बाहर जाते हैं.
पहली बार हुई पहल
विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर पहली बार पहल हुई है लोकसभा में सांसद डॉ राजेश मिश्र ने सीधी में विश्वविद्यालय की मांग रखते हुए कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र में तीन जिले सीधी, सिंगरौली का पूरा भाग व शहडोल जिले का आधा भाग आता है, परन्तु मेरे संसदीय क्षेत्र में कोई विश्वविद्यालय नहीं है.
सीधी व सिंगरौली जिला दूरांचल और वनांचल है. यहां के छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालयीन कार्य के लिए 200 किलोमीटर कि दूरी तय करके अन्यत्र जाना पड़ता है. एक दिन में कार्य न होने कारण 2 दिन रुकना पड़ता है. विशेषकर छात्राओं को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यदि सीधी जिला मुख्यालय में विश्वविद्यालय की स्थापना कि जाती है, तो उक्त छात्र- छात्राओं को सुविधा तो होगी ही साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम भी स्थापित होंगे शत प्रतिशत बालक बालिका साक्षर होंगे.सांसद ने सदन के माध्यम से शिक्षा मंत्री से आग्रह है कि जिला मुख्यालय सीधी में विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए.
छात्र-छात्राओं के संघर्ष का निकल रहा नतीजा
सीधी जिले में विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग को लेकर के छात्र छात्राओं का संगठन काफी समय से संघर्ष कर रहा है. पर अभी तक इस पर पहल नहीं हो पा रही थी. अब सीधी सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने इस आवश्यक मुद्दे को लोकसभा में उठाकर एक बार आस्वस्थ कर दिया है कि सीधी जिला मुख्यालय में आगामी समय में विश्वविद्यालय की स्थापना होने वाली है.
आदिवासी बहुल जिले में होगी बड़ी सौगात
सीधी सिंगरौली जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां के छात्र-छात्राएं दूर दराज शिक्षा अर्जित करने के लिए जाते हैं. ऐसे में यदि सीधी मुख्यालय में विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाती है, तो एक बड़ी सौगात होगी. शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा, जो छात्र-छात्राएं शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, उन्हें उच्च शिक्षा का मौका जिले में ही मिलेगा. रोजगार समेत हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे.
छात्राओं की शिक्षा रह जाती है अधूरी
रीवा अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय दूर होने के कारण खास तौर पर छात्राओं की शिक्षा अधूरी रह जाती है. जिले में संचालित महाविद्यालयों मे सुविधा नहीं मिल पाती है, जो वर्तमान समय में छात्राओं के लिए आवश्यक होती है. सीटों की कमी व विषय पाठ्यक्रम न होने के कारण छात्राएं अध्ययन नहीं कर पाती हैं, और ऐसे में उनकी शिक्षा अधूरी रह जाती है. यदि सीधी में विश्वविद्यालय होता ,तो यहां शिक्षा का स्तर कुछ अलग होता.
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