
Sanitation workers are given injections : एक सफाईकर्मी मरीज को ड्रिप लगा रहा है, इंजेक्शन दे रहा है…वो सब कुछ कर रहा है,जिसकी न उसे ट्रेनिंग है, न कानूनी इजाज़त और ये सब अस्पताल परिसर में, खुलेआम होता रहा.
दरअसल, यह केस छतरपुर जिले के चंद्रनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां सफाई कर्मी मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है. जब इस पूरे मामले में स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर भावना सोनी से सवाल किया गया, तो उनका जवाब प्रशासनिक संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर गया. उन्होंने कहा स्टाफ नहीं है, डॉक्टर थोड़ी लगाते हैं इंजेक्शन. ये बयान एक डॉक्टर का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है?
डॉक्टर भावना ने किया चौंकाने वाला खुलासा

डॉक्टर भावना ने एक और चौंकाने वाली बात कही. जिला अस्पताल में जाकर देखिए, वहां भी सफाईकर्मी इलाज करते हैं, यानि अब ये सिर्फ एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात नहीं,बल्कि पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में है जहां हर नागरिक को 'स्वास्थ्य का अधिकार' मिला है ?
यदि कुछ हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?
छतरपुर की ये स्थिति कोई अपवाद नहीं…बल्कि व्यवस्था की उस गहरी खाई की तस्वीर है, जहां अस्पताल सिर्फ नाम के रह गए हैं…और जिंदगी…बिना जिम्मेदारियों के हाथों में छोड़ दी गई है. अगर डॉक्टर की जगह सफाई कर्मी इलाज करे,तो जिम्मेदारी किसकी है? अगर मरीज की जान चली जाए, तो जवाब कौन देगा ? यह सिर्फ लापरवाही नहीं…यह एक संस्थागत विफलता है अब वक्त आ गया है कि सवाल सिर्फ पूछा न जाए…बल्कि जवाबदेही तय हो.
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