Hriday Drishyam: मध्य प्रदेश का लोकप्रिय संगीत समागम ‘‘ह्रदय दृश्यम'' के आठवें संस्करण का आयोजन 5 से 7 दिसम्बर, 2025 तक भोपाल के तीन स्थानों पर किया जा रहा है. रविन्द्र भवन में 5 दिसंबर को, 6 दिसंबर को जगदीशपुर में और भारत भवन में 7 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा. इस समारोह में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सुविख्यात कलाकारों की संगीत सभाएं सजेंगी. संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने बताया कि ह्रदय दृश्यम, मध्यप्रदेश की दूरदर्शी सांस्कृतिक संवेदना का ऐसा उदाहरण है, जो प्रदेश की कलात्मक धड़कन को नए आयाम देता है. यह आयोजन अपने आप में एक जीवंत सांस्कृतिक दर्पण है. इस संगीत समारोह के माध्यम से जहां एक ओर समृद्ध सांस्कृतिक संसार की छवि सुरों के माध्यम से उकेरी जाती है, वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की प्राचीन धरोहरों को भी बढ़ावा दिया जाता है.
Hriday Drishyam: Starting Tomorrow!
— Madhya Pradesh Tourism (@MPTourism) December 4, 2025
The 8th Edition of Hriday Drishyam is here to weave magic into the winter air.
Prepare for an evening where the soulful breath of the Bansuri dances with the deep, resonant strings of the Sarod. Feel the pulse of the Tabla merging with… pic.twitter.com/kapbH9JEP0
इस जगदीशपुर भी शामिल
‘ह्रदय दृश्यम' केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि वह अनुभूति है जो ताल, स्वर, रंग और परम्परा के संगम से हृदय को स्पंदित करती है तथा भोपाल की झीलों, पहाड़ियों और ऐतिहासिक स्थलों के बीच एक आध्यात्मिक-संगीतमय वातावरण रचती है. संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि इस वर्ष रवीन्द्र भवन एवं भारत भवन के साथ ही विशेष रूप से भोपाल से निकट प्राचीन जगदीशपुर स्थित सौंदर्यपूर्ण चमन महल में भी संगीत सभाएँ आयोजित की जा रही हैं. जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा विरासत से विकास की पहल की गई है, इसी अनुक्रम में जगदीशपुर को इस प्रतिष्ठित आयोजन के लिए चुना गया है. जैसा कि संस्कृति विभाग की परम्परा रही है कि अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढ़ी को भी प्रेरित करने का भी प्रयास किया जाता है.
तीन दिनों का विविधतापूर्ण सांगीतिक उत्सव
अपर मुख्य सचिव संस्कृति, पर्यटन, गृह और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि हृदय दृश्यम - 2025 की शुरुआत 5 दिसंबर को भोपाल के प्रतिष्ठित रवीन्द्र भवन में होगी. उद्घाटन सत्र शाम 5 बजे होगा, जिसके बाद लगातार तीन घंटे संगीत की ऐसी प्रस्तुतियाँ होंगी, जो दर्शकों को भारतीय संगीत की विविध विधाओं से परिचित कराएँगी. सबसे पहले मंच सजाएंगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुविख्यात बांसुरी वादक पं. राकेश चौरसिया, जिनके सुरों की मधुरता और तकनीक विश्वभर में सराही जाती है. बांसुरी - जो भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन और पवित्र वाद्य परंपराओं में से एक है - इसके माध्यम से पं. चौरसिया अपने श्रोताओं को एक अलौकिक संगीत-यात्रा पर ले जाएंगे. इसके बाद सरोद की अनुगूँज से वातावरण भर जाएगा, जब सेनिया बंगश घराने के सुप्रसिद्ध कलाकार अमान और अयान अली बंगश अपनी सरोद जुगलबंदी प्रस्तुत करेंगे. बंगश घराना भारतीय संगीत की उस गौरवपूर्ण परंपरा का प्रतिनिधि है, जिसकी विशेषता है रसपूर्ण राग - विन्यास, सुरुचिपूर्ण मींड और गहन सांगीतिक संवाद. उनकी जुगलबंदी न केवल शास्त्रीय स्वरूप का उच्चतम प्रदर्शन होगी, बल्कि दो कलाकारों के बीच सांगीतिक संवाद का भी अनूठा उदाहरण बनेगी. पहले दिन की अंतिम प्रस्तुति सुप्रसिद्ध गायिका मधुवंती बागची के सुगम संगीत की रहेगी. इस प्रकार, पहला दिन शास्त्रीय संगीत के विभिन्न आयामों - वादन और गायन के साथ सुगम संगीत का व्यापक परिचय करायेगा.
जगदीशपुर का ऐतिहासिक चमन महल - संगीत और इतिहास का संगम
भोपाल एवं इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में अनेक ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं, जो अपने उत्कृष्ट स्थापत्य, अद्वितीय वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं. ह्रदय दृश्यम का प्रारंभ से उद्देश्य रहा है कि संगीत, संस्कृति के साथ ही मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों को भी प्रचारित एवं बढ़ावा दिया जा सके. पूर्व में भी इकबाल मैदान, गौहर महल, माण्डू, राजबाड़ा इंदौर इत्यादि ऐतिहासिक स्थलों पर ह्रदय दृश्यम की संगीत सभाऐं सज चुकी हैं. इसी अनुक्रम में जगदीशपुर स्थित चमन महल में समारोह के दूसरे दिन 6 दिसंबर को सुरीली संगीत सभाऐं सजाई जाएंगी. 1715 में निर्मित यहाँ का चमन महल अपनी अनोखी वास्तुकला, मुगल और अफगानी शैली के मिश्रण, ऊँचे मेहराबों, पत्थर के बरामदों और विशाल बागों के लिए जाना जाता है. जब प्राचीन वास्तुकला में संगीत की धुनें गूंजेंगी, तो अनुभव और भी दिव्य हो उठेगा.
सायं 5:30 बजे पूर्वरंग कार्यक्रम के साथ संगीत वातावरण को तैयार किया जाएगा. इसके बाद विख्यात सितार वादक श्री रवि चारी सायं 6:15 बजे से सितार वादन की प्रस्तुति देंगे. रवि चारी अपने सूक्ष्म तानों, नफीस अलंकरणों और रचनात्मक तानों के लिए जाने जाते हैं. आधुनिकता और परंपरा की संतुलित शैली उन्हें युवा श्रोताओं में भी लोकप्रिय बनाती है. इसी क्रम में रात्रि 8:15 से पं. आदित्य कल्याणपुरकर तबला वादन की प्रस्तुति देंगे. तबले की लयकारी, बोलों की जटिलता और प्रस्तुति की ऊर्जस्विता संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देगी. तबला भारतीय संगीत का हृदय माना जाता है और पं. कल्याणपुरकर जैसे कलाकार इसकी असाधारण सुंदरता को श्रोताओं तक पहुँचाने में सक्षम हैं.
मध्यप्रदेश के व्यंजन एवं कला का भी आनन्द
चमन महल में आयोजित पारंपरिक व्यंजन एवं आर्ट एण्ड क्राफ्ट मेला विशेष आकर्षण का केन्द्र होगा. यहां संगीतप्रेमियों को स्वर लहरियों के साथ मध्यप्रदेश के उन व्यंजनों का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा, जो देश ही नहीं दुनिया भर में लोकप्रिय हैं. विभिन्न अंचलों - मालवा, बुंदेलखंड, निमाड़, बघेलखंड के साथ ही जनजातीय व्यंजन एवं स्थानीय पकवान यहाँ उपलब्ध होंगे. साथ ही मध्यप्रदेश के कलाकारों की हस्तशिल्प कला भी यहां प्रदर्शन सह विक्रय हेतु उपलब्ध रहेगी. यह आयोजन संगीत, कला और स्वाद के माध्यम से सांस्कृतिक अनुभव को पूर्ण बनाएंगे.
कला, अध्यात्म और आधुनिक संगीत
समारोह के अंतिम दिन 7 दिसंबर, 2025 को, भारत भवन में संगीत सभाएँ सजेंगी. सायं 6:30 बजे से नाद ब्रह्मा द्वारा फ्यूजन बैण्ड प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत होगी. फ्यूजन संगीत आज की पीढ़ी में अत्यंत लोकप्रिय शैली है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय, लोक और आधुनिक पश्चिमी धुनों का संगम होता है. इसके बाद रात्रि 8:30 बजे सुप्रसिद्ध ताल वाद्य कलाकार सेल्वगणेश मंच संभालेंगे. वे ताल वाद्यों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कलाकारों में से एक हैं. उनकी प्रस्तुति भारतीय ताल परंपरा की गहराई, जटिलता और रोमांच को दर्शकों तक पहुँचाती है.
सांस्कृतिक निरंतरता और ऐतिहासिक यात्रा
हृदय दृश्यम का प्रारंभ वर्ष 2016 से हुआ था. संगीत की उत्कृष्ट सभाओं का इस मंच के माध्यम से श्रोताओं ने रसास्वादन किया है. इंदौर, माण्डू, बटेश्वर आदि पर्यटन स्थलों पर इसके आयोजन ने संगीत, पर्यटन एवं प्राचीन धरोहरों को एक-दूसरे से जोड़ा है. इस उत्सव ने शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, सूफी, फ्यूजन, वादन और गायन - सभी रूपों को समान सम्मान दिया है. हर वर्ष यह न केवल संगीत प्रेमियों, बल्कि पर्यटकों, विद्यार्थियों और सांस्कृतिक शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता है.
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